अल फलाह में TATP की 'सीक्रेट लैब', आतंकी डॉ. मुजम्मिल ने कबूला-'जम्मू में सुरक्षाबलों पर बड़े हमले की थी साजिश'
विस्फोटक तैयार था, बस इसकी बड़ी खेप जम्मू-कश्मीर पहुंचानी बाकी थी। इसके बाद वहां सुरक्षाबलों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया जाता। मकसद अधिक से अधिक सुरक्षाबलों को मारना था लेकिन इससे पहले हमारे तीन साथी जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पकड़ लिए और इनके माध्यम से मुझ तक पुलिस पहुंच गई। इससे सारा प्लान फेल हो गया।

प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। विस्फोटक तैयार था, बस इसकी बड़ी खेप जम्मू-कश्मीर पहुंचानी बाकी थी। इसके बाद वहां सुरक्षाबलों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया जाता। मकसद अधिक से अधिक सुरक्षाबलों को मारना था लेकिन इससे पहले हमारे तीन साथी जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पकड़ लिए और इनके माध्यम से मुझ तक पुलिस पहुंच गई। इससे सारा प्लान फेल हो गया। कुछ इस तरह के राज उगले हैं अल फलाह यूनिवर्सिटी में आतंकी गतिविधियां संचालित करते पकड़े गए आतंकी डाॅ. मुजम्मिल ने।
एनआईए टीम मुजम्मिल को लेकर पहुंची यूनिवर्सिटी
सोमवार रात एनआईए की टीम आतंकी को यूनिवर्सिटी लेकर आई थी। डाॅ. मुजम्मिल यहां कई साल से रह रहा था और मरीजों का इलाज भी करता था। इसी जगह को उसने आतंकी गतिविधियों का मुख्य केंद्र बनाया हुआ था।
लैब में बनाते थे घातक विस्फोटक
पुलिस सूत्रों के अनुसार, एनआईए मुजम्मिल को धौज व फतेहपुर तगा लेकर गई। इन दोनों जगह मुजम्मिल की निशानदेही पर 2923 किलो विस्फोटक बरामद हुआ था। पता चला कि धौज में सीमेंट के गोदाम के ऊपर बने जिस कमरे में 360 किलो विस्फोटक और हथियार बरामद हुए थे, यहां मुजम्मिल और उसके साथी डाॅ. उमर नबी ने लैब भी बनाई थी। इसमें यूनिवर्सिटी से लाए गए केमिकल की मदद से घातक विस्फोटक तैयार किया जाता था। वे यहीं परीक्षण करते थे। आतंकी यहां टीएटीपी (ट्रायएसीटोन ट्राइपेरोक्साॅइड) भी तैयार कर रहे थे।
चाइनीज भाषा में करते थे बात
सूत्रों से पता चला है कि आतंकी उमर उस दौरान हैरिसन नामक किताब (आतंरिक चिकित्सा के सिद्धांत) अपने पास रखता था और उसे यह किताब कंठस्थ याद थी। सूत्रों के अनुसार, आतंकी उमर ने छह महीने में ही चाइनीज भाषा सीख ली थी और आरोपित एक चाइनीज कोर ग्रुप में ही बात करते थे ताकि किसी अन्य को कुछ समझ न आ सके।
आमने-सामने बिठाकर की पूछताछ
आतंकी मुजम्मिल को एनआईए उसके यूनिवर्सिटी परिसर स्थित कमरे पर लेकर गई। इसके बाद जिस आपातकालीन विभाग में वह रात की ड्यूटी करता था, जिस पार्क में सुबह व रात को सैर करता था, मेडिकल रूम सहित अन्य जगह की शिनाख्त कराई गई। इस दौरान एनआईए ने ऐसे लोगों से पूछताछ की जो मुजम्मिल को जानते थे। आमने-सामने बिठाकर कुछ सवाल भी किए। टीम ने लोगों से पूछा कि मुजम्मिल के जानकार कौन-कौन छात्र हैं जो सबसे अधिक संपर्क में थे। लोगों ने कुछ छात्रों के नाम भी नोट कराए।
बोला, 'हम डाक्टर हैं, कार की चेकिंग नहीं होती'
मुजम्मिल ने एनआईए को बताया कि हम डाॅक्टर हैं, उनकी कार की चेकिंग नहीं होती। किसी को शक भी नहीं होता था। इसलिए यूनिवर्सिटी में विस्फोटक आसानी से लाते रहे। दिनभर कार में ही विस्फोटक पार्किंग में रहता था। अंधेरा होने के बाद वह विस्फोटक धौज व फतेहपुर तगा के ठिकानों पर पहुंचाया जाता था। फतेहपुर तगा में किराये के मकान से 2563 विस्फोटक बरामद हुआ था। यहां भी टीम आतंकी को लेकर गई थी। मुजम्मिल से विस्फोटक लाने का रूट पता किया। यहां टीम करीब 50 मिनट तक रही। करीब चार घंटे बाद टीम दिल्ली रवाना हो गई। याद रहे मुजम्मिल इस समय एनआईए के रिमांड पर चल रहा है।
... ताकि किसी को शक न हो
सूत्रों के अनुसार, मुजम्मिल कार से ही विस्फोटक लाकर जमा करता था। उसने एनआईए को बताया है कि विस्फोटक लाने के लिए वह अपनी सहयोगी डाॅ. शाहीन की कार का इस्तेमाल करता था और थोड़े-थोड़े करके छोटे कट्टे लाता था। कार से कट्टे उतारने के बाद वह धौज के सर्विस स्टेशन पर इसकी धुलाई कराता था ताकि और किसी को शक न हो।

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