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    'अच्छी पैदावार के लिए सही मात्रा में खाद का प्रयोग करें'

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    Updated: Thu, 15 Dec 2011 05:33 PM (IST)

    बल्लभगढ़, वसं : गेहूं की बुवाई के बाद किसान फसलों की पहली सिंचाई कर रहे हैं। अच्छी पैदावार के लिए किसानों को फसलों में यूरिया डालना चाहिए, जो नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व जिंक की जरूरत को पूरा करता है। प्रति एकड़ भूमि में 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस, 24 किलोग्राम पोटाश व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट की आवश्यकता होती है। जरूरत पड़ने पर किसान कृषि वैज्ञानिक से सलाह भी ले सकते हैं।

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    कैसे करें उर्वरक का प्रयोग : कृषि वैज्ञानिक विरेंद्र कुमार के अनुसार 75 किलोग्राम इफको मिश्रण में 45 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ बीजाई के समय प्रयोग किया जाना चाहिए। एक महीने के बाद पहली सिंचाई व 65 किलोग्राम यूरिया का छिड़का करें। यदि यही मात्रा डीएपी से देनी हो तो 50 किलोग्राम डीएपी, 45 किलोग्राम यूरिया, 40 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश दें। सिंचाई के बाद यूरिया की मात्रा 65 किलोग्राम ही रखें। सल्फर की कमी वाले क्षेत्रों में सिंग सुपर फास्फेट का प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए 65 किलोग्राम यूरिया, 150 किलोग्राम सुपर फास्फेट, 40 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति एकड़ प्रयोग करें। शेष नाइट्रोजन की मात्रा 65 किलोग्राम यूरिया पहली सिंचाई के बाद छिड़कें। यदि सिंगल सुपरफास्फेट उपलब्ध न हो तो सल्फर की कमी को 100 किलोग्राम जिप्सम प्रति एकड़ खेत तैयार करते समय प्रयोग करके दूर किया जा सकता है।

    उर्वरक के प्रयोग संबंधी सावधानियां : कृषि वैज्ञानिक प्रदीप कुमार तथा रामानंद शर्मा के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के अनुसार ही करना चाहिए। नाइट्रोजन अधिक मात्रा में प्रयोग करने से फसल में बीमारी व कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है व फसल देर से पकती है। यूरिया को गेहूं के बीज के साथ मिलाकर नहीं बोना चाहिए, क्योंकि इसमें कई बार गेहूं के जमाव पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। फोस्फोरस व पोटाश प्रयोग करते समय कम से कम मिट्टी के संपर्क में आना चाहिए। अधिक लाभ के लिए इन तत्वों को बीजाई के समय ड्रिल करें। यदि खेत में दलहनी फसलों को हरी खाद के रूप में प्रयोग किया गया हो तो नाइट्रोजन की मात्रा कम कर दें। यदि गेहूं की बुवाई ज्वार या बाजरे की फसल काटने के बाद की तो नाइट्रोजन की मात्रा 25 प्रतिशत बढ़ा दें। ओस पड़ी फसल पर यूरिया न डाले। यदि दिन का तापमान अधिक हो तो दोपहर बाद यूरिया डालें।

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