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    वार्ड 12 से निर्वाचित सुमन बाला की जाति को लेकर उठ रहे सवाल

    By Edited By:
    Updated: Tue, 10 Jan 2017 01:08 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : नगर निगम चुनाव में आरक्षित वार्ड नंबर-12 से जीती प्रत्याशी सुमन बाला की

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : नगर निगम चुनाव में आरक्षित वार्ड नंबर-12 से जीती प्रत्याशी सुमन बाला की जाति को लेकर अनुसूचित जाति अधिकार संगठन के नेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। ये संगठन सुमन बाला को लेकर अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।

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    बता दें कि पूर्व महापौर अनीता गोस्वामी का बुलंदशहर उत्तर प्रदेश में मायका है। उत्तर प्रदेश राज्य की जातिगत सूची में वैष्णव ब्राह्मण (बैरागी) पिछड़ी जाति में आती है। 2000 में नगर निगम महापौर का ड्रा पिछड़ा वर्ग के लिए निकला था। तब अनीता गोस्वामी अपने मायके के जाति प्रमाण पत्र का सहारा लेकर महापौर बन गई। उनके जाति प्रमाण पत्र को विरोधी पार्षदों ने अदालत में चुनौती दे दी। अदालत ने इस मामले में फैसला लिया था कि लड़की के मायके की जाति का प्रमाण पत्र उस राज्य में मान्य नहीं होगा, जहां की सूची में जाति का नाम शामिल नहीं है। बैरागी व वैष्णव ब्राह्मण गोस्वामी हरियाणा राज्य की पिछड़ी जाति की सूची में शामिल नहीं है, इसलिए वे महापौर पद पर नहीं रह सकती। इसके चलते उन्हें पद से त्याग पत्र देना पड़ा। इसी तरह से नगर निगम के वार्ड नंबर-12 से सुमन बाला चुनाव जीती हैं। उन्होंने अपनी जाति जुल्हा बताई है, जबकि उनके पति का नाम सचिन खेड़ा है। इसे लेकर अनुसूचित जाति संगठनों के नेताओं ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।

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    मैं कई स्थानों पर एसडीएम रहा हूं। मैंने अभी तक हरियाणा की अनुसूचित जाति सूची में खेड़ा कहीं पर भी नहीं देखा है और न ही किसी को भी इस जाति का अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनाकर दिया है। खेड़ा पाकिस्तान से आए पंजाबी समुदाय के लोग हैं। ये लोग अपने लाभ के लिए जाति को बता देते हैं, लेकिन वे बिना फायदे के किसी को भी अपनी जाती के बारे में नहीं बताते हैं। इस मामले को खोले जाने की जरूरत है। उनकी क्या जाति है और वे चुनाव कैसे अनुसूचित जाति के आरक्षित वार्ड से लड़ी हैं।

    आरसी पावरिया, सेवानिवृत्त एचसीएस व प्रधान अनुसूचित जाति अधिकार सुरक्षा संगठन फरीदाबाद

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    वार्ड नंबर-12 से चुनाव जीती प्रत्याशी सुमन बाला के पूर्वज अरोड़ा हैं, अभी भी उनके मकान के बाहर लिखा हुआ है। अरोड़ा और खेड़ा हरियाणा की अनुसूचित जाति की सूची में नहीं है। यदि वे जुल्हा भी हैं तो हरियाणा में तीन तरह के जुल्हा है। इनमें एक कबीर पंथी हैं, वे हरियाणा की अनुसूचित जाति में नहीं आते हैं। एक जुल्हा होते हैं रविदास पंथी, ये इसी पंथी में भी शामिल नहीं है। एक जुल्हा वाल्मीकि की पंथी में आते हैं इन लोगों में धानक हैं। ये धानक भी नहीं हैं। उन्होंने वार्ड से चुनाव लड़ कर अनुसूचित जाति के अधिकारों का हनन किया है। ऐसा होते हुए वे कभी भी नहीं देख सकते।

    ओपी धामा, महासचिव अनुसूचित जाति अधिकार सुरक्षा संगठन, फरीदाबाद