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    'अच्छा! पेट दुख रहा है, 4 दिन बाद आना फिर करेंगे...; अस्पताल से मायूस लौटे मरीजों का छलका दर्द, कहा- सिर्फ डेट मिल रही है

    जिला नागरिक अस्पताल भिवानी में अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। एक्स-रे करवाने के लिए मरीजों को एडवांस में डेट मिल रही है। इसकी वजह से मरीज बार-बार अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं। कुछ मरीज मजबूरी में निजी लैब में महंगे दामों में जांच करवा रहे हैं। इससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है।

    By Navneet Navneet Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 13 Jan 2025 04:21 PM (IST)
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    मरीज आरती देवी और रीना देवी, इलाज नहीं मिलने से परेशान। जागरण फोटो

    नवनीत शर्मा, भिवानी। अच्छा पेट दुख रहा है! चार दिन बाद आना फिर अल्ट्रासाउंड करेंगे। यह हम नहीं बल्कि जिला नागरिक अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी यहां आने वाले मरीजों को कह रहे हैं। मरीजों को अगर अल्ट्रासाउंड करवाना होता है तो उन्हें एडवांस में डेट मिल रही है। इसकी वजह से मरीज बार-बार अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं तो कुछ मरीज मजबूरी में निजी लैब में महंगे दामों में जांच करवा रहे हैं।

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    इन दिनों लगातार बढ़ रही सर्दी के साथ बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। जिला नागरिक अस्पताल में खांसी जुकाम, बुखार, निमोनिया, बीपी, शुगर के साथ पेट से संबंधित बीमारियों के मरीजों की भरमार है। हालांकि, इन बीमारियों की ओपीडी में मरीजों की संख्या कम हो गई है।

    सोमवार को करीब 600 मरीज जांच करवाने आए। इसमें से 200 से अधिक तो सिर्फ फिजिशियन की ओपीडी में आए, जबकि बाकि अन्य ओपीडी में पहुंचे। इसके अलावा साेमवार सुबह 10 बजे तक रेडियोलाजिस्ट भी ड्यूटी पर नहीं आए थे, जिसके कारण मरीज उनके इंतजार में बैठे रहे। मरीजों ने बताया कि जांच समय पर नहीं होने के कारण परेशानी बनी हुई है।

    ओपीडी में नहीं उचित सामुदायिक दूरी

    वायरस जनित बीमारी ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जिला नागरिक अस्पताल में 36 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया है। लेकिन ओपीडी में भी उचित सामुदायिक दूरी बनाए रखना विभाग के लिए सिर दर्द बन गया है। ओपीडी में लगी मरीजों की भीड़ बीमारियों काे न्योता दे रही है।

    क्योंकि हवा में फैले वायरस के कारण यह बीमारी छींक व खांसी के माध्यम से दूसरे व्यक्तियों में फैलती है। ऐसे में अगर उचित सामुदायिक दूरी और मास्क होगा तो इससे संक्रमण नहीं फैलेगा। तभी इस बीमारी से बचाव संभव है। चिकित्सक कक्ष के बाहर लगी भीड़ के कारण संक्रमण बढ़ने का खतरा रहता है।

    रोजाना दे रहे 200 मरीजों को जांच का परामर्श

    गर्भवती महिलाओं के अलावा अन्य मरीजों को मिलकर करीब 200 को चिकित्सक अल्ट्रासाउंड करवाने का परामर्श देते है। लेकिन सिर्फ एक रेडियाेलाजिस्ट होने के कारण 70 से 80 मरीजों की ही रोजाना जांच हो पाती है। ऐसे में अन्य मरीजों को एडवांस में ही आगे की डेट दे दी जाती है। मरीजों से दो से तीन दिन में नंबर आता है। मरीज मजबूरी में निजी लैब में जांच करवा रहे है।

    अतिरिक्त कार्य के चक्कर में देरी से पहुंच रहे चिकित्सक

    जिला में चिकित्सकों की कमी बड़ी आफत बनी हुई है। जो चिकित्सक कार्यरत है उन पर काम का अतिरिक्त दबाव है। वे ओपीडी में आने से पहले आपातकालीन विभाग, वार्ड और कार्यालय के कागजात संबंधित कार्य करते है। इसके बाद ओपीडी आते है।

    ऐसे में सुबह नौ बजे आने वाले मरीजों को 11 बजे के बाद ही उपचार मिल पाता है। जिले में सीनियर मेडिकल आफिसर के 22 पद स्वीकृत हैं, 10 पदों पर कार्यरत व 12 पद खाली हैं। वहीं डिप्टी सिविल सर्जन के नौ पद स्वीकृत हैं व सभी पद खाली हैं।

    इसके अलावा मेडिकल ऑफिसर के 208 पद स्वीकृत हैं व 128 पदों पर कार्यरत व 80 पद खाली हैं। लेकिन अंडर रिजाइन व छुट्टी होने के कारण 105 पदों पर ही मेडिकल ऑफिसर कार्य कर रहे हैं।

    मरीजों के बैठने के लिए नहीं कुर्सियां

    ओपीडी के मरीजों के लिए सामूहिक कुर्सियों लगवाई हुई है, जिन पर 100 से 120 व्यक्ति मुश्किल से बैठ पाते है। ऐसे में अन्य मरीजों को बैठने के लिए जगह नहीं मिल रही। ऐसे ही हालात अस्पताल की लैब के बाहर है। यहां पर चार-पांच कुर्सियां रखी है, जिन पर 20 से 25 मरीज ही बैठ पाते है।

    जबकि मरीज 200 से अधिक आते है, जिनके बैठने के लिए ये कुर्सियां पर्याप्त नहीं है। अस्पताल में आने वाले मरीजों की रोजाना 1500 से अधिक टेस्ट होते है। ऐसे में मरीज और उनके स्वजन फर्श पर बैठने को मजबूर है।

    यहां बनी हैं अव्यवस्थाएं

    1. - अस्पताल की छत से फाल्स सिलिंग।
    2. - लैब कक्ष के बाहर शैड के नीचे बैठने के लिए अपर्याप्त व्यवस्था।
    3. - चिकित्सकों पर आपातकालीन व वार्ड की ड्यूटी का दोहरा भार।
    4. - अल्ट्रासाउंड में एक विशेषज्ञ होने के कारण देरी से हो रही जांच।
    5. - स्ट्रेचर पर ढो रहे बेड सीट, दवाइयां व उपकरण।
    6. - टूटी पड़ी व्हीलचेयर व स्ट्रेचर।
    7. - अस्पताल परिसर के दोनों पार्कों में सौंदर्यीकरण का अभाव।
    8. - कई तरह की आवश्यक दवाइयों की कमी।
    9. - शौचालयों में सफाई और उपकरणों का अभाव।
    10. - चिकित्सक कक्ष के बाहर मरीजों की भीड़, जिसके कारण हो रहे झगड़े।
    11. - अवैध पार्किंग बनी परेशानी।
    12. - परिसर में बंदरों का उत्पात।
    13. - लंबे समय से बंद पड़ी चार में से तीन लिफ्ट। 

    मेरे पेट में कई दिनों से दर्द था। अपने पति के साथ जिला नागरिक अस्पताल की ओपीडी में जांच करवाने आई। यहां चिकित्सक ने जांच के बाद अल्ट्रासाउंड करवाने का परामर्श दिया है। अल्ट्रासाउंड भवन में आई तो स्वास्थ्यकर्मियों ने 17 जनवरी की डेट दी है। अब इतने दिन जांच के लिए इंतजार करना पड़ेगा।

    - रानी देवी, विद्यानगर।

    मेरे पेट में दर्द था, जिसकी जांच के लिए नौ जनवरी को ओपीडी में आई थी। ओपीडी में चिकित्सक ने अल्ट्रासाउंड करवाने की कही थी। यहां स्टाफ ने कहा कि 11 जनवरी को आना। मैं 11 जनवरी को आई तो बोले 13 जनवरी को आना। अब दोबारा से अस्पताल आई, लेकिन अब 10 बजे है और रेडियाेलाजिस्ट अभी तक नहीं आया है।

    - आरती देवी, बिचला बाजार।

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