भिवानी में श्राद्ध में हलवा-पूरी खाने से 6 गायों की मौत, 27 की हालत गंभीर
भिवानी में श्राद्ध अमावस्या पर लोगों द्वारा गायों को हलवा-पूरी खिलाने से 33 गायें बीमार हो गईं जिनमें से 6 की मौत हो गई। गोसेवकों के प्रयासों के बावजूद गायों को बचाया नहीं जा सका। गोरक्षा दल ने जागरूकता अभियान भी चलाया था लेकिन इसका असर नहीं हुआ। बीमार गायें शहर और गांवों दोनों जगह मिलीं।

जागरण संवाददाता, भिवानी। गोसेवकों के तमाम प्रयासों, प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग और धर्म गुरुओं की अपील का भी श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर ज्यादा असर नहीं दिखा। लोगों ने पुण्य के नाम पर गायों को खूब हलवा-पूरी और रोटी खिलाई। इससे 33 गायों की तबीयत बिगड़ गई। गोसेवक उन्हें उपचार के लिए महम रोड स्थित गोशाला में लाए, जहां उपचार के दौरान छह गायों ने दम तोड़ दिया जबकि 27 गायों की हालत गंभीर बनी है।
चिकित्सकों की टीम इन्हें बचाने के प्रयास में जुटी है। श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर हर साल ही हलवा-पूरी और अत्यधिक रोटियां खाने से औसतन 30 से 35 गायों की मौत हो जाती है। गोरक्षा दल भिवानी के सदस्यों ने इस बार इन गायों को बचाने के लिए एक महीना पहले ही जागरूकता अभियान चलाया। विभिन्न राजनीतिज्ञों, प्रशासनिक अधिकारियों से अपील करवाई। धर्म गुरुओं से अपील करवाई। 12 अस्थायी बाड़े बनाकर करीब एक हजार गायों को उनमें रोका।
इसके साथ ही रविवार को अमावस्या के दिन विभिन्न कॉलोनियों में घूम-घूमकर गायों की हालत जांची। दिन में माहौल ठीक लग रहा था मगर सायं होते-होते एक के बाद एक 33 बीमार गाय सामने आईं। ये अत्यधिक गोग्रास हलवा-पूरी, रोटियां खाने से बीमार हो गईं। इन्हें अफारे की समस्या हुई। गोसेवकों ने एक-एक कर सभी को महम रोड स्थित गोशाला पहुंचाया जहां पशुपालन विभाग के चिकित्सकों की टीम नियुक्त थी। उन्होंने गायों का उपचार शुरू किया।
अब तक छह गाय दम तोड़ चुकी हैं, बाकी 27 का उपचार चल रहा है। इनमें भी छह-सात की हालत तो ज्यादा गंभीर बनी हुई है। इन गांवों से सामने आए गायों के बीमार होने के मामले निनान, चांग, उमरावत, देवसर में दो-दो बीमार गाय सामने आईं। इनके अलावा बडे़सरा, बापोड़ा, लोहानी, पालुवास, धिराणा, धारेडू, कालुवास, गुजरानी में एक-एक गाय बीमार सामने आई। जिन्हें उपचार के लिए महम रोड स्थित गोशाला में लाया गया।
इनके अलावा 17 गाय शहर की विभिन्न कालोनियों में बीमार सामने आई हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान शहरी क्षेत्र में ही अमावस्या पर गायों के अत्यधिक गोग्रास खाने से मौत के मामले सामने आते थे। इस बार 16 गाय ग्रामीण क्षेत्र में बीमार सामने आई हैं।
हमारी टीम ने गायों को बचाने के लिए काफी प्रयास किए। जागरूकता अभियान चलाए, अस्थायी बाडे़ बनाए। प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध किया। बावजूद इसके लोग नहीं माने और श्राद्ध अमावस्या पर गायों को हलवा-पूरी, रोटियां खिलाकर मौत के मुंह में झोंक दिया। अब तक 33 बीमार गाय सामने आ चुकी हैं और इनमें से छह गायों की मौत हो चुकी है। -संजय परमार, जिलाध्यक्ष, गोरक्षा सेवा दल
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