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    हरियाणा के किसानों की बढ़ी परेशानी, बारिश से बाजरा का कलर फेड, सरकारी नियमों पर नहीं उतर रहा खरा

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 03:27 PM (IST)

    भिवानी में बारिश और सरकारी नियमों के चलते किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। मंडी में रखा बाजरा खराब हो गया है क्योंकि सरकारी खरीद नहीं हो रही और निजी खरीदार कम दाम दे रहे हैं। किसान भावांतर योजना से राहत की उम्मीद कर रहे हैं। व्यापारियों और किसानों ने हड़ताल भी की ताकि बाजरे की खरीद जल्द हो सके।

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    वर्षा से बाजरा का कलर फेड, सरकारी नियमों पर नहीं उतर रहा खरा (File Photo)

    जागकर संवाददाता, भिवानी। इस बार की वर्षा ने किसानों पर दोहरी मार मारी है। वर्षा के कारण किसानों की काफी फसल बर्बाद हो गई तो जो बची उसका रंग बदल गया। कलर फेड होने व नियमों पर खरा नहीं उतरने के कारण अनाजमंडी में एक लाख क्विंटल से अधिक बाजरा खुले आसमान के नीचे है।

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    नियमों पर खरा नहीं उतरने के कारण सरकारी खरीद हो नहीं रही और प्राइवेट खरीदार नहीं मिल रहे। इस कारण किसान और आढ़ती दोनों चिंतित है। भिवानी अनाजमंडी में बुधवार को करीब चार हजार क्विंटल बाजरा प्राइवेट बिका है। वह भी सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 2200 रुपये से कम में। यहां 2100 रुपये क्विंटल तक बाजरा बिका है। मगर किसानों की राहत की बात है कि उन्हें 575 रुपये प्रति क्विंटल भावांतर योजना के तहत मिलेंगे।

    पहले ही मौसम की मार झेल रहे किसानों के लिए इस बार बाजरा की बिक्री करना बड़ी समस्या बन गया है। पिछले 15 दिन से किसान बाजरा लेकर मंडी पहुंच रहा है। जिस कारण मंडी में भी बाजरा के ढेर लग गए है। अब तो मंडी में बाजरा रखने तक की जगह नहीं है। सरकारी खरीद हो नहीं रही। इस कारण माना जा रहा है कि बाजरा का कलर फेड होना। यानी बाजरा वर्षा का पानी लगने के कारण काला पड़ गया है।

    वर्षा का पानी लगने के कारण गुणवत्ता काफी प्रभावित हुई है। इसके अलावा अन्य नियमों पर भी बाजरा खरा नहीं उतर रहा। इसका सरकार ने अब प्राइवेट खरीद से निकाला है। सरकार के नए निर्देशों के अनुसार, किसान प्राइवेट में भी बाजरा बेच सकेंगे और उन्हें भावांतर योजना के तहत 575 रुपये प्रति क्विंटल मिलेंगे।

    उन्हें जे फार्म लेना होगा। इसके चलते भिवानी अनाजमंडी में बुधवार को चार हजार क्विंटल बाजरा प्राइवेट बिका है। यह निर्धारित न्यूनतम मूल्य से कम में बिका है। आढ़तियों की माने तो 2100 रुपये प्रति क्विंटल तक किसानों यह बाजरा बेचा है। किसानों को भावांतर योजना के तहत मिलने वाले 575 रुपये प्रति क्विंटल से आस है ताकि उनकी भरपाई हो सके।

    आसमान में बादल, किसान और आढ़ती चिंतित

    किसान अपना बाजरा आढ़ती के माध्यम से तौल के बाद मंडी में डालकर जा चुका है। सरकारी खरीद हो नहीं रही और दो दिन से आसमान में बादल छाए हुए है। मंगलवार को तो वर्षा भी हुई थी।

    इस कारण किसान और आढ़ती चिंतित है। पहले से ही क्वालिटी में कमजोर बाजरा में अगर और वर्षा का पानी लगा तो यह बिल्कुल ही खराब हो जाएगा। जिसकी मार किसानों को लगेगी।

    बाजरा नहीं यह तो हमारे लिए गले की फांस बन गया, अभी प्राइवेट एजेंसी बाजरा खरीदेंगे और किसान को थोड़ा भावांतर देंगे, इतना भी कर दिया यह भी बहुत है। बाजरा खराब होने से कुछ हद तक बच जाएगा।- वेदप्रकाश, किसान देवसर

    29 सितंबर को किसानों और आढ़तियों की परेशानी को ध्यान में रखकर 30 सितंबर को व्यापारियों और आढ़तियों ने मंडी में सामूहिक हड़ताल की। जिसमें मांग थी कि बाजरे की खरीद जल्द से जल्द की जाए और आढ़तियों को ओर किसानों को राहत दी जाए। एक दिन बाजरे की मामूली खरीद की औपचारिकता करके अब खरीद कार्य बंद कर दिया है।

    जिस तरह से किसान और आढ़ती परेशान थे, उसे देखकर लग रहा था कि अब तो बाजरा बारिश में खराब हो जाएगा और मजदूरों के हिस्से फिर से परेशानी आती। लेकिन अब प्राइवेट एजेंसी बाजरा खरीदेंगी तो कुछ राहत मिलेगी।- दलबीर, भिवानी

    नई अनाजमंडी के भूरू प्रधान कहते हैं कि बाजरा पिछले वर्ष के मुकाबले अच्छी क्वालिटी का है और कहा यह जा रहा है कि अच्छी क्वालिटी का बाजरा नहीं है। हम मांग करते हैं कि सरकार आनाकानी करने की बजाय सारा बाजरा खरीदा जाए। किसान और आढ़ती को परेशाान न किया जाए नहीं तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।