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    ऑनलाइन खरीदारी करते रहें सतर्क, सरकारी योजनाओं को हथियार बना साइबर ठग कर रहे बैंक खाते खाली

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 04:35 PM (IST)

    भिवानी में सरकारी योजनाओं के नाम पर साइबर ठगी बढ़ रही है। ठग एपीके फाइल और फर्जी कॉल के जरिए लोगों को निशाना बना रहे हैं जिससे हर महीने कई मामले सामने आ रहे हैं। कम पढ़ी-लिखी महिलाएं आसानी से इनका शिकार हो रही हैं। पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार ने लोगों को सतर्क रहने और अनजान लिंक पर क्लिक न करने की सलाह दी है।

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    सरकारी योजनाओं को हथियार बना साइबर ठग कर रहे बैंक खाते खाली। फोटो जागरण

    नवनीत शर्मा, भिवानी। अगर आप किसी सरकारी योजना का लाभ उठाना चाहते है तो इंटरनेट मीडिया पर आए किसी भी अंजाम लिंक कर क्लिक करने की गलत न करें। आपकी ये गलती आपके बैंक खाते को पलभर में खाली कर सकती है और आप साइबर ठगी का शिकार हो चुके है।

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    जी हां, हम बात कर रहे है सरकारी योजनाओं के साथ नाम चल रही साइबर ठगी की। इसमें एपीके फाइल, लिंक और काल के माध्यम से साइबर ठगी इस वारदात को अंजाम दे रहे है। इनके पीड़ित हर माह 30 से 35 मामले साइबर अपराध थाना पुलिस में पहुंच रहे है। जबकि इससे भी ज्यादा लोग पुलिस को शिकायत करने से भी बचते नजर आते है।

    पुलिस थाना पहुंच रहे पीड़ित

    सरकारी योजनाओं में सोलन पैनल पर सब्सिडी, पीएम योजना, सरकारी लोन, एलआइसी करवाने, जच्चा-बच्चा के साथ गर्भवती महिलाओं को रुपये दिलवाने की योजनाओं के नाम पर ठगी चल रही है। एपीके फाइल के माध्यम से ठगी के हर माह 20 से अधिक मामले सामने आ रहे है।

    इसके अलावा लाेन के नाम पर ठगी के 20 से 25 मामले आ चुके है। वहीं इस माह में जच्चा-बच्चा और गर्भवती महिलाओं से ठगी के सात-आठ मामले सामने आ चुके है। इसमें पहले आशा वर्कर के पास साइबर ठग काल करते है और फिर उनसे गर्भवती महिलाओं की जानकारी देते है। इस दिनों एक महिला से आठ हजार, एक से नौ हजार, एक से साढ़े तीन हजार रुपये सहित अन्य से भी आठ से 10 हजार रुपये की ठगी हुई है।

    महिलाओं को भरोसे में लेकर करते है ठगी

    कम पढ़ने लिखी महिलाओं को ठगना ठगों के लिए बेहद आसान होता है क्योंकि वो ज्यादा टेक्नोलाजी को नहीं समझते हैं। ऐसे में उनको अपनी बातों में फंसा लेना और उनका विश्वास जीतना आसान हो जाता है, जिसके बाद ठग जैसा बोलते जाते हैं, लोग वैसा करते जाते हैं। क्योंकि वे केवाईसी, ओटीपी जैसी चीजों को नहीं जानते।

    ऐसे में जब ठग बैंक अधिकारी बनकर फोन करते हैं तो ये आसानी से उनपर यकीन कर लेते हैं। उनको केवाईसी और आधार कार्ड लिंक करने के चक्कर में अपनी सारी जानकारी दे देते हैं। ये साइबर जालसाज बेहद शातिर होते हैं। हर काम की ऐसी जल्दबाजी पैदा कर देते हैं कि महिलाएं किसी से कोई बात पूछकर जांच पड़ताल भी न कर पाएं और तुरंत किसी काम को करने के लिए इन्हें सारी जानकारी मुहैया करा दें।

    अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें।

    इंटरनेट मीडिया पर अपनी निजी जानकारियां शेयर न करें। - गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर जैसे भरोसेमंद प्लेटफार्म से ही एप डाउनलोड करें। - एकमुश्त लाखों की ट्रांजेक्शन करने से बचें। - आनलाइन मिलने वाले प्रलोभन और कार्रवाई का डर दिखाने पर न डरें।

    - सरकारी योजनाओं के लिए अधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करें।

    साइबर अपराध से बचने के लिए सतर्कता जरूरी है। ऐसे में मोबाइल यूजर्स के पास अगर किसी भी अनजान नंबर से मैसेज और काल आती है तो पहले अच्छी तरह जांच लेना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि यह मैसेज आपको बैंक की तरफ से आया है या किसी निजी नंबर से।

    इसके बाद अपना बैंक बैलेंस भी अवश्य चेक करें। इसके अलावा कोई आपका परिचित या अन्य विभाग का अधिकारी बताता है तो उसकी भी पहले जांच जरूर करें। मोबाइल पर आने वाले एपीके फाइल पर क्लिक न करें। इससे ठगी का शिकार हो सकते है। साइबर अपराध थाना पुलिस बेहतर कार्य कर रही है।

    - सुमित कुमार, पुलिस अधीक्षक।

    वर्तमान समय में अधिकतर लोग मोबाइल फोन पर इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से उनके साथ प्रतिदिन किसी न किसी प्रकार का फ्राड हो रहा है। इस दौरान बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। यदि आपके साथ किसी भी तरह का फ्राड होता है तो आप 1930 पर काल करके शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर लिखित शिकायत कर सकते हैं।

    - इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार, प्रबंधक साइबर अपराध थाना पुलिस।