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    भिवानी में करोड़ों की जमीन हड़पने के लिए रची फर्जीवाड़े की साजिश, कानूनगो, पटवारी और नंबरदार समेत 10 पर केस

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 09:19 AM (IST)

    हरियाणा के भिवानी जिले के गोपी गांव में करोड़ों की जमीन हड़पने के लिए फर्जी वसीयत बनाने का मामला सामने आया है। पुलिस ने तत्कालीन कानूनगो, पटवारी और नं ...और पढ़ें

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    हरियाणा के भिवानी जिले के गोपी गांव में करोड़ों की जमीन हड़पने के लिए फर्जी वसीयत बनाने का मामला सामने आया है

    संवाद सहयोगी, बाढडा। उपमंडल के गांव गोपी में करोड़ों रुपये की पैतृक जमीन हड़पने के लिए फर्जी वसीयतनामा तैयार करने का मामला सामने आया है।

    इस खेल में राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने तत्कालीन कानूनगो, पटवारी और नंबरदार सहित 10 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।

    मूलरूप से गोपी निवासी कृष्ण कुमार (हाल निवासी गुडाना) और राजस्थान के जैतपुर निवासी रमेश कुमार ने पुलिस अधीक्षक दादरी को शिकायत दी थी।

    उन्होंने बताया कि उनके पूर्वजों (पिता पूर्ण, चाचा सुबराम व दादी छन्नी देवी) के नाम गांव गोपी में करोड़ों की जमीन थी। आरोपियों ने मिलीभगत कर फर्जी वसीयतनामा तैयार किया।

    जांच में पता चला कि पटवारी रविंद्र ने 22 दिसंबर 2022 को इंतकाल तस्दीक किया, जबकि उस दिन वह गांव गोपी में तैनात ही नहीं था। इसी तरह, 5 जनवरी 2023 को गिरदावर अवतार ने दस्तावेज तस्दीक किए, जबकि उस दिन वह भी गोपी गांव का कानूनगो नहीं था।

    डीसी दादरी के आदेश पर सीईओ जिला परिषद को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था। 29 अक्टूबर 2025 को सौंपी गई रिपोर्ट के मुख्य बिंदु चौंकाने वाले हैं। एक्सपर्ट रिपोर्ट के अनुसार, वसीयत पर मृतक पूर्ण पुत्र खूबीराम के अंगूठे के निशान का मिलान नहीं हुआ।

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    रमेश कुमार के पिता सुबराम भारतीय सेना में थे और वे हमेशा 'सुबराम' लिखते थे, लेकिन फर्जी वसीयत में 'शुभराम' लिखा गया है। यह वसीयतनामा सक्षम राजस्व अधिकारी के कार्यालय से पंजीकृत नहीं था।

    जांच में सामने आया कि इंतकाल नंबर 1349, 1350 और 1351 फरवरी 2022 में दर्ज हुए थे, तब पटवारी अजीज अहमद थे, जिन्होंने इसे तस्दीक नहीं किया।

    बाद में रविंद्र पटवारी ने पद पर न रहते हुए भी हस्ताक्षर किए। वहीं, जिस दिन अवतार कानूनगो ने हस्ताक्षर किए, उस दिन गांव का कानूनगो कपूर सिंह था और वह कार्यालय में ही मौजूद था। मृतक के वसीयतनामों की छाया प्रतियों को वकील द्वारा सत्यापित किया गया और नंबरदार फतेह सिंह द्वारा अधूरे वारिसान सत्यापित किए गए।

    पुलिस ने इस मामले में जगदीश, रतीराम (व वारिसान), तत्कालीन पटवारी रविंद्र कुमार, सेवानिवृत्त गिरदावर अवतार, नंबरदार फतेह सिंह, हरिओम, पारस और मनिंद्र के खिलाफ केस दर्ज किया है। पुलिस के अनुसार, एक आरोपित की मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक अन्य आरोपित दिव्यांग (सुनने-बोलने में असमर्थ) होने के कारण अभी जांच में शामिल नहीं हो सका है।