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    Railways: यात्रियों की सुरक्षा पर रेलवे की अजीब पॉलिसी, ट्रेनों से LPG सिलेंडर हटे; प्लेटफॉर्म पर अब भी हो रहा उपयोग

    By Deepa BehalEdited By: Jeet Kumar
    Updated: Thu, 19 Oct 2023 02:00 AM (IST)

    हाल ही में एक ट्रेन में सिलेंडर फट जाने से कोट में आग लग गई थी। जिसके बाद रेलवे ने ट्रेनों में एलपीजी सिलेंडरों को पैंट्री कारों से हटा दिया। लेकिन अजीब बात ये है कि ट्रेन से तो एलपीजी सिलेंडर हट गए लेकिन स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर अब भी रेहड़ियों पर सिलेंडर की छूट दे रखी है।

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    यात्रियों की सुरक्षा पर रेलवे की अजीब पॉलिसी, ट्रेनों से LPG सिलेंडर हटे लेकिन प्लेटफॉर्म पर जमे

    दीपक बहल, अंबाला। रेलवे में भी अजीबोगरीब पॉलिसी लागू है। वह भी यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ी है। ट्रेनों में एलपीजी सिलेंडरों को पैंट्री कारों से हटा दिया गया है, जबकि स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर अब भी रेहड़ियों पर सिलेंडर की छूट दे रखी है। रेलवे की नई कैटरिंग पालिसी में भी सिलेंडर के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।

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    खाद्य पदार्थों को गरम करने के लिए कई विकल्प आ चुके हैं, जिसके चलते सिलेंडर को रेलवे अब बाहर कर रहा है। अगस्त 2023 में स्पेशल बुक कराए गए कोच में छोटा सिलेंडर फट जाने से कई लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद रेल मंत्रालय ने सख्ती कर दी।

    इसके बाद जोन के सीसीएम से मंडल के अधिकारियों से शताब्दी, राजधानी, दुरंतो आदि ट्रेनों में चेकिंग कर रिपोर्ट मांगी थी। अब हाल ही में अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन पर भी एक रेहड़ी में आग लगते-लगते बच गई। ऐसी कई रेहड़ियों पर अंबाला मंडल में ही नहीं, बल्कि कई जगहों पर छूट दे रखी है।

    एक छूट तो दूसरी पाबंदी की नीति जारी

    रेलवे बोर्ड स्टेशनों पर गैस सिलेंडर के उपयोग पर नई पालिसी में पाबंदी लगा चुका है, वहीं जहां अभी सिलेंडर का प्रयोग करने की छूट दे रखी है और लिबर्टी इंश्योरेंस नहीं है, उसको लेकर रेल मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी की थी। ठेकेदारों पर जुर्माना लगाने के निर्देश दिए गए।

    गाइडलाइन के अनुसार लिबर्टी इंश्योरेंस के साथ अन्य पहलुओं को भी जोड़ा है। गैस कनेक्शन के सभी पाइप और फिटिंग सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं। ठेकेदार इसको लेकर घोषणापत्र स्टेशन अधीक्षक को जमा करवाएगा। ठेकेदार हर वर्ष अपने कनेक्शन की कंपनी के कर्मचारियों द्वारा सुरक्षा जांच करवाने के सप्ताह के भीतर सुरक्षा का प्रमाणपत्र भी स्टेशन अधीक्षक के पास जमा करवाएा।

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    खाना बनाने की प्रक्रिया के दौरान चूल्हा और गैस को यात्रियों से सुरक्षित दूरी पर रखेगा। अपनी प्रत्येक इकाई पर प्रति गैस सिलेंडर के हिसाब से पांच-पांच किलो के कम से कम दो ड्राइ केमिकल के अग्निशमन यंत्रों को भी लगाएगा और वेंडरों को इसका प्रशिक्षण भी दिलाएगा। जारी किए गए नियमों की यदि ठेकेदार पालना नहीं करता, तो दुर्घटना होने की स्थिति में यात्री को होने वाले नुकसान के लिए ठेकेदार ही जिम्मेदार होगा।

    इस तरह भी किया गया था काम

    रेलवे की ओर से जब गैस सिलेंडरों पर पाबंदी लगाई गई तो इसके विकल्प पर भी काम किया गया था। यह व्यवस्था बनाई गई थी कि स्टाल संचालक बेस किचन से खाना बनाकर लाएंगे और यात्रियों को बेचेंगे। यात्रियों की सुरक्षा को देखकर रेलवे ने यह निर्णय लिया था। दूसरी ओर स्टेशन पर छोले और कुलचे गर्म मिल सकेंगे, क्योंकि उनको गैस सिलेंडर इस्तेमाल की इजाजत जारी रखी है। उन पर सुरक्षा को लेकर शर्तें लगाई।

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    सप्ताह भर अफसरों ने भी चेक की थी ट्रेनें

    ट्रेनों में चेकिंग अभियान चलाया गया था। यात्री किसी भी सूरत में ज्वलनशील पदार्थ न लेकर जाएं। ट्रेनों की पेंट्री कारों में बिना आग के ही खाना पकाया जाए। इसी को लेकर ट्रेनों को खंगाला गया था, जबकि इसकी रिपोर्ट बनाकर भी उच्चाधिकारियों को दी थी। इस दौरान इलेक्ट्रिकल, तकनीकी, आपरेटिंग विभाग के अधिकारियों ने विभिन्न पहलुओं पर चेकिंग की थी।