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    Plane Crash: क्या होता है ब्लैक बॉक्स? पंचकूला में हुए प्लेन क्रैश का बताएगा सटीक कारण, जानिए जगुआर फाइटर जेट की विशेषताएं

    Updated: Fri, 07 Mar 2025 11:40 PM (IST)

    पंचकूला के मोरनी भोज राजपुरा के जौली और तूरयों गांव में प्रशिक्षण उड़ान के दौरान क्रैश हुए जगुआर का ब्लैक बॉक्स इसका सटीक कारण बताएगा। पायलट की सूझबूझ के चलते लड़ाकू जहाज रिहायशी नहीं बल्कि पहाड़ी क्षेत्र में गिरा और बाद में हेलीकाप्टर से पायलट को सेना अस्पताल ले जाया गया। जगुआर फाइटर जेट की कई विशेषताएं हैं। मामले की जांच चल रही है।

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    पंचकूला में वायुसेना का जगुआर फाइटर जेट क्रैश। फोटो जागरण

    दीपक बहल, अंबाला। पंचकूला के मोरनी भोज राजपुरा के जौली और तूरयों गांव में प्रशिक्षण उड़ान के दौरान क्रैश हुए जगुआर का ब्लैक बॉक्स इसका सटीक कारण बताएगा। पायलट की सूझबूझ के चलते लड़ाकू जहाज रिहायशी नहीं, बल्कि पहाड़ी क्षेत्र में गिरा और बाद में हेलीकाप्टर से पायलट को सेना अस्पताल ले जाया गया।

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    अंबाला एयरबेस से उड़ान भरने के बाद पायलट का संपर्क लगातार एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से रहा। विमान में तकनीकी खराब का पायलट को पता चल गया था।

    बताते हैं कि पायलट ने एटीसी को इसकी जानकारी भी दे दी थी। हालांकि अधिकारिक तौर पर इन पहलुओं की पुष्टि नहीं की गई, लेकिन बिठाई गई जांच के बाद यह सब सामने आ जाएगी।

    बता दें कि जून 2019 में अंबाला एयरबेस से उड़ान भरने के बाद एक पक्षी से टकरा जाने के बाद जगुआर विमान क्रैश होने से बचा लिया गया था। पायलट ने फ्यूल टैंक को नीचे गिरा दिया था। इसकी बाकायदा वीडियो तक वायरल की गई थी और बाद में पायलट की सूझबूझ की भी सराहना की थी।

    48 साल पहले अंबाला एयरबेस पर उतरा था जगुआर

    देश के सबसे पुराने एयरबेस में शामिल अंबाला एयरबेस पर करीब 48 साल पहले जगुआर लड़ाकू जहाज ने दस्तक दी थी। उस दौरान दो जहाज आए थे, जो टू-सीटर थे। यह जहाज प्रशिक्षण के लिए लाए गए थे।

    बताया जाता है कि अंबाला में जगुआर की दो स्कवाड्रन हैं। अंबाला एयरबेस से प्रशिक्षण हासिल कर रहे पायलटों को उड़ान भरनी होती है। यह नियमित प्रक्रिया है, जिसके तहत पायलट अपना प्रशिक्षण पूरा करते हैं।

    यह होता है ब्लैक बॉक्स

    हर विमान में एक ब्लैक बाक्स होता है, जो काफी महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध करवाता है। विमान हादसे के बाद ब्लैक बाक्स से ही तमाम जानकारियां मिलती हैं।

    विमान क्रैश होने से पहले क्या हुआ, पायलट और एटीसी के बीच क्या संपर्क रहा, विमान कितनी ऊंचाई पर था, किस स्पीड पर था जैसे तमाम तकनीकी पहलुओं की जानकारी यह ब्लैक बाक्स देता है।

    ये हैं जगुआर की विशेषताएं

    • जगुआर हाई-विंग लोडिंग डिजाइन की वजह से कम-ऊंचाई पर एक स्थिर उड़ान भर सकता है। इससे रडार की पकड़ में आने से भी बचता है।
    • अपने डिजाइन की वजह से जगुआर जंगी हथियारों को आसानी से ले जा सकता है। विमान के विंग स्पैन पर लगे पंखों से इसे शानदार ग्राउंड क्लीयरेंस मिलता है।
    • जगुआर एक मल्टीरोल फाइटर जेट है, जो एयर-टू-ग्राउंड, एयर-टू-एयर, और एंटी-शिप मिसाइलों से लैस है, इसमें परमाणु हथियारों से हमला करने की भी क्षमता है।
    • इसमें घातक हथियार भी मौजूद हैं। इससे जमीनी हमले, हवाई क्षेत्र की रक्षा, और नौसैन्य हमलों को अंजाम देने की क्षमताएं हैं।
    • जगुआर सिंगल सीटर, डबल इंजन एयरक्राफ्ट है। इसके ट्रेनर प्रारूप में दो पायलटों को बिठाने की भी व्यवस्था है।
    • ये फाइटर जेट एक बार में 900-1000 किमी तक उड़ान भर सकता है, रडार की पकड़ में आए बिना जमीन के करीब उड़ान भर सकता है। 

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