हरियाणा के स्थानीय निकायों में भ्रष्टाचार पर HC सख्त, सरकार से मांगी घोटालों और फंड दुरुपयोग की पूरी जानकारी
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट प्रदेश के स्थानीय निकायों में भ्रष्टाचार पर सख्त हो गया है। कोर्ट ने सरकार से घोटाओं और फंड दुरुपयोग से जुड़ी सभी शिकायतों पर उनके निपटान के संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने निदेशक शहरी स्थानीय निकाय हरियाणा को हलफनामा दायर कर इस मामले में की गई करवाई की स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। स्थानीय निकायों में भ्रष्टाचार पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह के भीतर स्थानीय निकाय में कितने घोटाले, कितने फंड दुरुपयोग की शिकायत व अन्य जानकारी देने का सरकार को आदेश दिया है। कुरुक्षेत्र जिले की शाहबाद नगरपालिका में सड़कों के निर्माण कार्यों में हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि यह राज्य मशीनरी के उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने में विफल होने का मामला है जो निर्विवाद रूप से सरकारी धन के गबन में पाए जाते हैं और घटिया सामग्री का उपयोग करके एक बुनियादी ढांचे का निर्माण करते हैं। प्रतीत होता है कि निदेशालय उन लोगों को बचाने के लिए फाइल को कालीन के नीचे खिसकाता रहता है जो इसमें शामिल थे और धोखाधड़ी के संदेह में थे।
कोर्ट में दाखिल करनी होगी स्टेटस रिपोर्ट
कोर्ट ने निदेशक शहरी स्थानीय निकाय, हरियाणा को हलफनामा दायर कर इस मामले में की गई करवाई की स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। वह अपने हलफनामे में उक्त फाइल पर उचित निर्णय लेने में देरी के कारणों का भी उल्लेख करेगा। निदेशक को हरियाणा राज्य में विभिन्न नगर पालिका समितियों/निगमों/परिषदों में फंड के दुरुपयोग कर विभिन्न कार्यों के संबंध में निदेशालय के पास अन्य सभी लंबित सिफारिशों/शिकायतों का विवरण प्रस्तुत करने का भी कोर्ट ने आदेश दिया।
भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसने में कितना समय लगेगा?
निदेशक अपने हलफनामे में उस समय अवधि का भी उल्लेख करें जिसके लिए ऐसी शिकायतें लंबित हैं और निदेशालय के स्तर पर देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्रस्ताव दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए कानून के अनुसार उचित दिशा-निर्देश जारी करेगा। इस मामले में कोर्ट ने एक सुनवाई पर विजिलेंस ब्यूरो से पुछा था कि मुख्यमंत्री के विजिलेंस जांच के आदेशों के बावजूद भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसने में और कितना समय लगेगा?
याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा?
कोर्ट में विजिलेंस की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि विजिलेंस ब्यूरो ने सड़कों के निर्माण कार्य में प्रयोग हुई सामग्री के नमूने मधुबन लैब में भेज दिए हैं। इस पर याचिकाकर्ता राकेश बैंस के वकील प्रदीप रापडिया ने कोर्ट को बताया था कि विजिलेंस ब्यूरो की जांच सिर्फ सड़कों के निर्माण कार्य में प्रयोग हुई सामग्री के नमूने मधुबन लैब भेजने तक ही सीमित हो गई है जबकि जांच के अन्य पक्षों पर विजिलेंस मौन धारण किए हुए है।
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