Abhay Chautala की सुरक्षा बढ़ाने की मांग पर HC ने सरकार से मांगा जवाब, इनेलो नेता ने कहा- फोन पर मिली धमकियां
अभय चौटाला ने सुरक्षा बढ़ाने की मांग करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनकी याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। अभय चौटाला ने अदालत को बताया कि वह हरियाणा में परिवर्तन यात्रा निकाल रहे हैं और इस वजह से उनको फोन पर धमकियां मिल रही हैं। वहीं याचिकाकर्ता की मांग पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया है।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। इनेलो के प्रधान महासचिव व विधायक अभय चौटाला ने हाई कोर्ट में अपनी जान को खतरा बताकर सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। इस याचिका पर हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। चौटाला के वकील संदीप गोयत ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि याची को तीन पुलिसकर्मी सुरक्षा के लिए मिले हुए हैं। फोन पर धमकी मिलने के बाद उन्हें चार अन्य सुरक्षा कर्मी भी दिए गए थे। लेकिन दो दिन के बाद उनको वापस बुला लिया गया।
अभय चौटाला की तरफ से बताया गया कि वे राज्य की कई समस्याओं को लेकर 24 फरवरी से हरियाणा परिवर्तन पदयात्रा पर हैं, जिसमें भारी संख्या में उनके समर्थक शामिल होते हैं। उनके निजी सहायक के नंबर पर उन्हें धमकियां दी गई कि अगर वे यह यात्रा बंद नहीं करते हैं तो उन्हें इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा।
'विदेशी नंबरों से मिली धमकियां'
याचिका के अनुसार, अभय चौटाला को विदेशी नंबरों से भी धमकियां मिली हैं। इसकी शिकायत पुलिस को किए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिका के अनुसार, 30 जुलाई व एक अगस्त को हरियाणा के डीजीपी को अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग को लेकर ईमेल किया किया गया था, लेकिन उनकी मांग को नजरअंदाज कर दिया गया है। लिहाजा अब उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी सुरक्षा बढ़ाने या उन्हें केंद्रीय सुरक्षा बलों की सुरक्षा दिए जाने की मांग की है।
'यात्रा को रोकने के लिए दी जा रही धमकी'
अभय चौटाला का कहना है कि वह हरियाणा के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हैं और लोगों के लिए सरकार का हर स्तर पर विरोध कर रहे हैं। उनके विरोध के चलते और उनकी यात्रा को रोकने के लिए उन्हें धमकी दी जा रही है। याचिका में हाई कोर्ट से इस मामले में उचित आदेश पारित करने का आग्रह किया गया है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने हरियाणा सरकार से अभय चौटाला को मिली धमकी व सुरक्षा देने पर बृहस्पतिवार तक जवाब देने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
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