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    Haryana Waqf Board: आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया...सलाना 17 हजार करोड़ की आय, फिर भी लेना पड़ रहा लोन

    हरियाणा (Haryana News) वक्फ बोर्ड (Waqf Bill) की 20 हजार 896 एकड़ जमीन लीज (Waqf Amendment Bill) पर है लेकिन किराया सिर्फ 23 हजार किरायेदारों से ही मिल रहा है। आमदनी 17 हजार करोड़ रुपये सालाना है लेकिन खर्च इससे भी ज्यादा। कर्मचारियों के वेतन के लिए भी लोन लेना पड़ रहा है। करीब एक हजार केस कोर्ट में विचाराधीन हैं।

    By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 04 Apr 2025 02:07 PM (IST)
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    अंबाला छावनी के स्टाफ रोड स्थित हरियाणा वक्फ बोर्ड का कार्यालय। जागरण

    दीपक बहल, अंबाला। वक्फ संशोधन बिल-2024 (Waqf Amendment Bill 2024) लोकसभा में पास होने के बाद हरियाणा में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां भी चर्चा का विषय बन गई हैं।

    हरियाणा वक्फ बोर्ड (Haryana Waqf Board) ने 20 हजार 896 एकड़ जमीन लीज पर दे रखी है और करीब 23 हजार किरायेदारों से किराया मिल रहा है। इसके बावजूद हरियाणा वक्फ बोर्ड की आय और खर्च की बात करें, तो आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया वाला है।

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    17 हजार करोड़ रुपये है सलाना आय

    करीब 17 हजार करोड़ रुपये सालाना आय है, लेकिन खर्च इससे अधिक होता है। आलम यह भी रहा है कि कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी फंड नहीं था और अन्य खर्च भी होने थे। ऐसे में करीब पांच करोड़ रुपये का लोन तक लेना पड़ा। कमाई का सात प्रतिशत हरियाणा वक्फ बोर्ड के पास आता है, जबकि एक प्रतिशत सेंट्रल वक्फ काउंसिल के पास चला जाता है।

    लेकिन आमदनी अधिक न होने के कारण काउंसिल को उसका एक प्रतिशत भी नहीं दिया जा रहा। करीब एक हजार केस कोर्ट में विचाराधीन हैं, जिनमें अलग-अलग तरह के मामले हैं। कुछ मामलों में तो जमीन छुड़वाने तक के आदेश जारी हो चुके हैं, लेकिन इन आदेशों पर शत प्रतिशत अमल नहीं हो पाया।

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    1954 में बना था वक्फ बोर्ड

    साल 1954 में वक्फ बोर्ड बना था और इसके बाद करीब 29 साल, यानी 1983 में, बाद एक्ट में पहला संशोधन किया गया था। साल 1995 में फिर से संशोधन किया गया, जिसमें बदलाव करते हुए 1954 के एक्ट को बदल दिया गया था। इसके बाद साल 2013 में भी एक्ट को अपडेट किया गया, जिसके बाद लीज रूल में बदलाव किया गया।

    एक जुलाई 2014 से इसे लागू कर दिया गया। हालांकि, इस रूल का विरोध भी हुआ, क्योंकि पहले वक्फ प्रापर्टी में बोली सिस्टम नहीं था, लेकिन जुलाई 2014 से वक्फ प्रापर्टी देने से पहले लीज बोली का सिस्टम शुरू कर दिया गया यानी कि जिस प्रापर्टी को तीन साल, पांच साल या तीस साल के लिए लीज़ पर दिया गया है, उसकी बोली लीज अवधि पूरी होने पर दोबारा होगी।

    इसमें जिसकी बोली अधिक होगी, उसी को जमीन किराए पर देने की बात कही गई थी। हर बार बोली में किराया भी बढ़ना था। हालांकि, तब से अब तक वही रूल चल रहा है। अब लोकसभा में बिल पेश किया गया है, उस पर अभी वक्फ बोर्ड की प्रापर्टी पर जो किराएदारों हैं, उनको फायदा होगा या नहीं, इस बारे स्थिति स्पष्ट नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार खत्म होगा और पारदर्शिता आने से वक्फ की आमदनी भी इजाफा होगा।

    कोर्ट में करीब एक हजार केस विचाराधीन

    हरियाणा वक्फ बोर्ड ने अपनी 12560 वक्फ संपत्तियों का डिजीटाइजेशन किया जा रहा है। हालांकि, यह कार्य शतप्रतिशत नहीं हो पाया है। अब नया पोर्टल लागू किया जा सकता है, जिस पर फिर से इस डाटा को शिफ्ट किया जाएगा। हरियाणा वक्फ बोर्ड ने जीआईएस मैपिंग के द्वारा 8202 वक्फ संपत्तियों की मैपिंग कर ली थी, जबकि जियो टैगिंग भी की गई थी। इसी तरह इन संपत्तियों के करीब आठ हजार फोटो भी वामसी ऑनलाइन सिस्टम पर अपलोड किए गए थे।

    एक तरफ जहां वक्फ संशोधन बिल 2024 में लोकसभा और राज्यसभा से पारित हो गया। दूसरी ओर हरियाणा वक्फ बोर्ड के अंबाला छावनी स्थित कार्यालय में सीएम फ्लाइंग की टीम पहुंच गई। यहां पर टीम ने लेखा-जोखा हासिल किया। वक्फ बोर्ड की फाइलों को खंगाला तथा हरियाणा वक्फ बोर्ड की प्रापर्टी को लेकर जानकारी ली।

    l 23 हजार किरायेदारों से भी शत प्रतिशत नहीं आ रहा किराया, एक हजार केस कोर्ट में विचाराधीन l बोली सिस्टम लागू होने के बाद आमदनी बढ़ गई, कर्मचारियों के वेतन व अन्य खर्च के लिए लेना पड़ा पांच करोड़ का लोन

    1960 में पंजाब वक्फ बोर्ड के अधीन था हरियाणा व हिमाचल

    पंजाब वक्फ बोर्ड साल 1960 में बना था। उस समय पंजाब वक्फ बोर्ड के पास ही हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ का क्षेत्र आता था। बाद में इससे अलग कर हर राज्य अपना वक्फ बोर्ड बना दिया गया। साल 2003 में हरियाणा वक्फ बोर्ड अस्तित्व में आया, जबकि प्रबंधन की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के पास आ गई थी।

    इस तरह जमीनें दी जाती हैं लीज पर

    नए एक्ट में लीज अब पांच साल, दस साल और तीस साल तक की जा रही हैं। इससे पहले जहां तीन साल बाद लीज आसानी से रिन्यू कर दी जाती थी, अब बोली अधिक होने पर जमीन पर कब्जे का मालिक कोई दूसरा हो सकता है।

    अब दुकान के लिए 5 साल, छोटी फैक्ट्री, छोटा उद्योग और मैरिज पैलेस आदि के लिए दस साल और शापिंग मॉल, होटल, रेस्टोरेंट आदि के लिए तीस साल तक लीज होती है। हालांकि, हरियाणा वक्फ बोर्ड ने सिफारिश की थी कि सभी की लीज तीस वर्ष होनी चाहिए, इसे अलग-अलग कैटेगिरी में न बांटें।

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