अब हरियाणा में हुआ बैंक घोटाले का खुलासा, फर्जी बैंक गारंटी पर लिया 40 करोड़ का टेंडर
हरियाणा में भी एक बैंक फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। आरोप है कि एक कंपनी ने फर्जी बैंक गारंटी देकर रेलवे में 40 करोड़ रुपये का टेंडर ले लिया।
अंबाला, [दीपक बहल]। अब हरियाणा में बैंक फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। रेलवे में फर्जी बैंक गारंटी पर 40 करोड़ का टेंडर अलॉट किए जाने कर मामला सामने आया है। इससे रेलवे के अफसरों में हड़कंप मच गया है। बताया जाता है कि पूरे मामले में फरीदाबाद के देना बैंक के अधिकारी भी बराबर के भागीदार बने। कंपनी को रेल विद्युतीकरण का करीब 40 करोड़ का टेंडर दिलाने के लिए बैंक ने चार फर्जी बैंक गारंटी पर मुहर लगा दी।
फरीदाबाद के देना बैंक ने किसी अन्य गारंटी को बताया ठेका लेने वाली कंपनी की गारंटी
बताया जाता है कि इसके बल पर कंपनी को टेंडर अलॉट कर दिया गया। मामला गाजियाबाद-मुरादाबाद सेक्शन के विद्युतीकरण का है, जिसका टेंडर अंबाला स्थित विद्युतीकरण कार्यालय से जारी किया गया। यह भी बताया जा रहा है कि फर्जीवाड़ा उजागर होने पर जांच विजिलेंस को सौंपी गई, लेकिन जब बड़े अधिकारी फंसते दिखे तो फाइल बंद कर दी गई। ऐसे में न तो कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया गया और न ही किसी अफसर पर कार्रवाई हुई।
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यूं हुआ फर्जीवाड़ा
जानकारी के अनुसार, अंबाला के विद्युतीकरण कार्यालय से वर्ष 2011 में एक कंपनी को टेंडर दिया गया था। करीब 40 करोड़ के इस टेंडर के लिए 10 फीसद सिक्योरिटी राशि बतौर बैंक गारंटी बैंक में जमा करा दी गई। कंपनी ने रेल अफसरों से पत्राचार कर कहा कि फरीदाबाद स्थित देना बैंक में एक करोड़ 24 लाख 9 हजार 671 रुपये, 69 लाख 50 हजार की दो और एक करोड़ 39 लाख की बैंक गारंटी बैंक में जमा करा दी है।
नियमों के मुताबिक रेलवे अफसरों को चारों बैंक गारंटी को डाक के माध्यम से बैंक भेजकर वेरिफाई करना चाहिए था कि कंपनी ने बैंक में गारंटी जमा कराई या नहीं। अंबाला से फरीदाबाद रेलकर्मी पहुंचे और बैंक से लिखवाकर फाइल में दस्तावेज फाइनल कर दिए गए। बैंक मैनेजर की ओर से वेरिफाई कर दिया गया कि बैंक गारंटी जमा है।
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ऐसे हुआ पर्दाफाश
इसी बीच बैंक मैनेजर का तबादला हो गया और अंबाला से फिर से बैंक से पत्राचार कर बैंक गारंटी की अवधि बढ़ाने की सिफारिश की गई। इस पर नए बैंक मैनेजर ने जवाब दिया कि उक्त कंपनी की कोई भी गारंटी हमारे बैंक में जमा नहीं है। इसके बाद फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ। नियम के मुताबिक कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए था, लेकिन रेलवे विजिलेंस ने करीब चार माह पहले फाइल ही बंद कर दी है। हालांकि, इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद इसमें संलिप्त एक ऑफिस अधीक्षक के रिटायर होने के बाद पेंशन नहीं बनाई जा रही थी, लेकिन फाइल बंद होते ही हरी झंडी दे दी गई।
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नौ महीने बाद दर्ज कराया मामला
फर्जीवाड़े का पर्दाफाश होने के नौ महीने बाद अंबाला छावनी के पड़ाव थाना में रेल अफसरों ने मामला दर्ज कराया। पुलिस ने तत्कालीन बैंक मैनेजर को गिरफ्तार किया, लेकिन किसी भी रेल अफसरों तक पुलिस नहीं पहुंची। अंबाला पुलिस ने भी एक नामजद आरोपित को गिरफ्तार कर चालान कोर्ट में पेश कर दिया। न तो फर्जी बैंक गारंटी रखने वाले कंपनी मालिक को आरोपित बनाया गया और न ही किसी रेल अधिकारी को। एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बैंक मैनेजर फिलहाल जमानत पर है और मामला कोर्ट में विचाराधीन है।