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    Rajkot Gamezone Fire: बच्‍चे की हिम्‍मत से बची 27 लोगों की जान, नाबालिग ने बताया भयावह मंजर; निकलने का था सिर्फ एक ही रास्ता, लाइसेंस पर उठ रहे सवाल

    Updated: Sun, 26 May 2024 06:03 PM (IST)

    Rajkot TRP Gamezone Fire नाना मावा रोड पर मोकाजी सर्कल के पास टीआरपी गेम जोन में कल शाम आग लगने की घटना हुई। इस भीषण अग्निकांड में बच्चों समेत 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई। आग लगने के वक्त गेम जोन में मौजूद दक्ष कुंजड़िया नाम के किशोर ने पूरी घटना की कहानी बताई। दक्ष ने साहस करके स्‍टील शीट तोड़ी जिसमें से 27 लोग बाहर निकल सके।

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    दक्ष कुंजड़िया ने स्‍टील की शीट तोड़कर 27 लोगों को निकलने में मदद की।

    जेएनएन, राजकोट। राजकोट में नाना मावा रोड पर मोकाजी सर्कल के पास टीआरपी गेम जोन में कल शाम आग लगने की घटना हुई। इस भीषण अग्निकांड में बच्चों समेत 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई।

    आग लगने के वक्त गेम जोन में मौजूद दक्ष कुंजड़िया नाम के किशोर ने पूरी घटना की कहानी बताई। उसने बताया कि जब आग लगी तो धुएं के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उसने साहस करके स्‍टील शीट तोड़ी और 27 लोग बाहर निकल सके।

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    नहीं था निकलने का कोई विकल्‍प

    पूरी घटना के बारे में बताते हुए दक्ष कुंजड़िया ने कहा कि वह और उसका 10 साल का चचेरा भाई बॉलिंग के लिए गए थे। जब वे गेंदबाजी कर रहे थे तभी अचानक आग लग गई। वहां मौजूद कर्मचारी हमें आपातकालीन निकास तक ले गए। जो आग लगी वह आपातकालीन निकास के पास थी। हमारा आपातकालीन द्वार और प्रवेश द्वार सभी बंद थे। हमारे पास बाहर निकलने का कोई विकल्प नहीं था।

    मैंने कोने में देखा कि एक स्टील की शीट है, जिसे तोड़कर निकला जा सकता है। मैंने इसे तोड़ दिया और हम 20 से 30 लोग थे। बॉलिंग बॉक्स भरा हुआ था। वहां कोई प्रवेश या निकास नहीं था। मैं और 15 लोग उस स्टील शीट से बाहर निकले जिसे मैंने तोड़ दिया था।

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    ग्राउंड फ्लोर में लगी थी आग

    किशोर ने बताया कि आग ग्राउंड फ्लोर में लगी थी। नीचे गो-कार्टिंग का खेल चल रहा था और पेट्रोल के डिब्बे पड़े हुए थे, जहां निर्माण कार्य चल रहा था वहां लकड़ी के तख्ते भी पड़े हुए थे, जिसमें आग लग गई। नए खेलों के लिए निर्माण कार्य चल रहा था, जहां बॉलिंग का एंट्री गेट था और वहां लकड़ी के दो तख्त पड़े हुए थे। साथ ही वहां पर वेल्डिंग का काम चल रहा था।

    छोटे बच्चे ट्रैम्पोलिनिंग पार्क में थे। गेंदबाजी में प्रवेश और निकास के लिए केवल एक ही द्वार था। जो कांच का बना हुआ था, उसमें रबर की प्लेट थी जो गर्म होने के कारण चिपक गई, जिससे गेट नहीं खुल सका। उनका स्टाफ भी हमारे साथ बंद था। धुआं इतना ज्यादा था कि सांस लेना मुश्किल हो रहा था।