वडनगर भारतीय संस्कृति का एक प्राचीन नगर: तालाब किनारे एक कतार में बने हैं स्तूप
गुजरात के मेहसाणा में स्थित वडनगर भारतीय संस्कृति का एक प्राचीन नगर है। यहां भारतीय पुरातत्व विभाग पिछले कई साल से उत्खनन वह सर्वे का कार्य कर रहा है। यहां दूसरी से सातवीं सदी के मध्य के प्राचीन बौद्ध स्तूप मिले हैं।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात के मेहसाणा जिले का वडनगर भारतीय संस्कृति का एक प्राचीन नगर है। उत्तर गुजरात के मेहसाणा में ही मोढेरा में स्थित सूर्य मंदिर भी अति प्राचीन है। दोनों प्राचीन भारत की वैभवशाली संस्कृति स्थापत्य कला तथा नगर आयोजन के सर्वोत्तम उदाहरण हैं: काल के गर्भ की आखिरी कड़ी बडनगर में मिले बौद्ध स्तूपों के अवशेषों पर:
उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले का वडनगर एक प्राचीन नगर है जहां भारतीय पुरातत्व विभाग पिछले कई साल से उत्खनन वह सर्वे का कार्य कर रहा है। यहां दूसरी से सातवीं सदी के मध्य के प्राचीन बौद्ध स्तूप मिले हैं। संख्या में हैं तथा इनकी लंबाई 50 मीटर तथा चौड़ाई 25 मीटर के करीब है। 164 बाइ 8 फीट के यह स्ट्रक्चर पूरी तरह प्राचीन ईटों से निर्मित हैं। प्राचीन भवन निर्माण की कला का यह अद्भुत नमूना है। एक अनुमान के मुताबिक इनका निर्माण पांचवी सदी के आसपास भी बताया जा रहा है।
चांदी के सिक्के, लोहे के औजार और शंख के हार मिले:
भारतीय पुरातत्व विभाग को खुदाई में कहीं चांदी के सिक्के तो कहीं पुराने बर्तन लोहे के औजार शंख से बने हार, पुरानी मोटी दीवारें, स्टोर ग्रह चांदी के सिक्के तथा मोती के हार भी मिले हैं।
दूसरे से सातवीं शताब्दी के हैं स्तूप :
इतिहासकार रतीलाल भावसार बताते हैं कि यहां पर मिलने वाली प्राचीन बौद्ध गुफाएं तथा बौद्ध स्तूप दुनिया के प्राचीन नगरों में मिलने वाले अवशेषों से मिलती-जुलती है या यूं कहें कि उनके समकालीन है।
व्हेनसांग ने दिया नाम दिया आनंदपुर :
वडनगर प्राचीन कला का जीता जागता नमूना है। चीनी यात्री व्हेनसांग ने भी अपने संस्मरण में इसका उल्लेख किया है तथा इसे ओ नन को पू लो के नाम से संबोधित किया है जिसका अर्थ होता है आनंदपुर।