गैंगस्टर ऐसे बना गुरुभक्त, पहली बार प्रमुख स्वामी को देखकर बने सत्संगी, पढ़िए पेरिस के अमित भाई की कहानी
प्रमुख स्वामी शताब्दी महोत्सव के समाप्त होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। प्रमुख स्वामी नगर में लाखों हरि भक्त दर्शन कर चुके हैं। आज हम आपको गैंगस्टर से गुरुभक्त बने अमित भाई भावसार की कहानी के बारे में बताएंगे।

किशन प्रजापति, अहमदाबाद। Pramukh Swami Maharaj Shatabdi Mahotsav: प्रमुख स्वामी शताब्दी महोत्सव के समाप्त होने में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। लाखों लोग अब तक प्रमुख स्वामी नगर में दर्शन कर चुके हैं। आइए आज हम आपको एक गैंगस्टर के गुरुभक्त बनने के बारे में बताते हैं। यह कहानी है अमित भाई भावसार की, जो इस समय आगंतुकों को गोल्फ कार में बिठाकर प्रमुख स्वामी नगर ले जाने की सेवा कर रहे हैं। गुजराती जागरण से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि, कैसे उनका हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने भक्ति के मार्ग पर चलना शुरू किया।
अमित ने बताया कि उनका जन्म फ्रांस के पेरिस शहर में हुआ और वर्तमान में वो वहीं रहकर पैरामेडिकल स्टाफ का काम कर रहे हैं। बकौल अमित वो 17 दिसंबर को अहमदाबाद आए थे और भक्तों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, जब मैं बच्चा था तब से मैं अफ्रीका में एक लड़के के साथ घूमता था। वह लोगों के साथ चोरी कर रहा था, महिलाओं के पर्स चुरा रहा था। हशीश और मारिजुआना धूम्रपान कर रहा था।
माता के कहने पर प्रमुख स्वामी के दर्शन के लिए हुए तैयार
अमित भावसार ने बताया कि साल 2000 में प्रमुख स्वामी पेरिस आए थे। उनके आने से पहले मुझे कुछ हफ्ते पहले बताया गया था कि प्रमुख स्वामी आ रहे हैं और मुझे उनके दर्शन करने हैं। उस समय मैंने मना कर दिया क्योंकि मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। हालाँकि, मेरी माँ ने इतना जोर दिया कि मैंने कहा कि, ठीक है मैं आ जाऊंगा।
दर्शन करने में मुझे नहीं थी कोई रुचि
अमितभाई ने आगे कहा कि उस समय प्रमुख स्वामी तीन दिन के लिए आए थे और दो दिन पूरे हो गए थे। मैं समर जॉब कर रहा था, तो मॉम ने मेरे बॉस को फोन किया और कहा, हो सके तो मेरे बेटे को जल्दी जाने दो। क्योंकि हमारे गुरु आए हैं तो दर्शन करने हैं। इसके बाद मेरे बॉस ने कहा कि तुम्हारी मां ने फोन किया है। यह उनकी इच्छा है कि आप अपने गुरु के पास जाएं और उनसे मिलें। जिसके बाद मैं ऑफिस से निकल गया। मैं सोच रहा था कि जाऊं या नहीं और मुझे बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी।
प्रखम स्वामी महाराज को मोजड़ी देने मिला था सौभाग्य
अमितभाई ने कहा कि, मुझे लगा कि सब जिद करें तो मैं आ जाऊं। जब मैं सभागार में पहुँचा तो मंच पर प्रखम स्वामी महाराज खड़े थे। वहां कई हरिभक्त थे लेकिन मुझे प्रमुख स्वामी के ही दर्शन हुए। वह जाने की तैयारी कर रहे थे। इस बीच, जिग्नेशभाई पारेख ने इशारा किया और मुझे दूर से बुलाया। मैं उसके पास गया और पूछा कि क्या काम है। उन्होंने कहा कि आपको प्रमुख स्वामी का वेश धारण करना है। मैंने कहा, मुझे यह पसंद नहीं है इसलिए मैं ऐसा नहीं करूंगा। उन्होंने इतना जोर दिया जिसके बाद मैं प्रमुख स्वामी के पास मोजड़ी लेकर गया और उन्हें मोजड़ी पहनाने का प्रयास किया।
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