Corona Crisis: गुजरात में पटेल ट्रेवल्स ने बेची अपनी सौ बसें, शेष 200 बसों को भी बेचकर चुकाएंगे बैंक का कर्ज
Corona Crisis पटेल ट्रेवल्स के मालिक मेघजी भाई पटेल के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान ट्रेवल्स बिजनेस को बहुत नुकसान हुआ है। सरकार के भारी-भरकम टैक्स टोल टैक्स पेट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते बसों का मेंटेनेंस व ड्राइवर-कंडक्टर की तनख्वाह चुकाना मुश्किल हो रहा है।

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। Corona Crisis: गुजरात की नामी टूर एंड ट्रेवल्स ऑपरेटर कंपनी पटेल ट्रेवल्स के मालिक मेघजी भाई पटेल अपनी बसें बेच रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान कंपनी को लगातार हो रहे नुकसान के चलते वे अपनी बसों को बेचकर बैंक का बकाया चुकाना चाहते हैं। पटेल ट्रेवल्स के पास करीब 300 लग्जरी बसों का काफिला था, जिसमें से एक साथ 50 बसें बेची जा चुकी हैं तथा और 50 बसों का सौदा भी जल्द होने वाला है। कंपनी के मालिक मेघजी भाई पटेल बताते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान ट्रेवल्स बिजनेस को बहुत नुकसान हुआ है। सरकार के भारी-भरकम टैक्स, टोल टैक्स, पेट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते बसों का मेंटेनेंस व ड्राइवर-कंडक्टर की तनख्वाह चुकाना मुश्किल हो रहा है।
मेघजी पटेल का कहना है कि कोरोना महामारी के प्रारंभिक छह माह में केंद्र व राज्य सरकार ने टूर एंड ट्रैवल ऑपरेटर्स को काफी रियायतें दी तथा बाद में 50 फीसद यात्रियों के साथ इनके संचालन को भी मंजूरी मिली, लेकिन कोरोना महामारी के चलते यात्री नहीं मिल रहे हैं तथा बुकिंग भी नहीं आ रही है। पटेल ट्रैवल्स का प्रदेश मे इस कारोबार में बड़ा नाम है, लेकिन अब बसों का संचालन व उनके खर्चे उठाने में सक्षम नहीं है। इसीलिए धीरे-धीरे करके अपनी सभी 300 बसों को बेचकर बैंक का कर्ज चुकाना चाहते हैं, ताकि भविष्य में जब जरूरत पड़े बैंक से उन्हें मोटी रकम आसानी से लोन पर मिल सके। पटेल बताते हैं कि सरकार की नीतियों के कारण अब ट्रेवल्स का बिजनेस अधिक फायदेमंद नहीं रह गया है। एक बस पर मासिक 30000 रुपये का टैक्स होता है।
इसके अलावा पेट्रोल व डीजल का खर्च तथा कर्मचारियों का वेतन जोड़ने के बाद ट्रेवल्स ऑपरेटर को लाभ की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है। उनका कहना है कि आज उन्हें तकलीफ हुई है, इसलिए वह खुल कर बोल रहे हैं। हालांकि इस व्यवसाय से जुड़े हर ट्रेवल्स ऑपरेटर को यह तकलीफ हो रही है, लेकिन वह बोल नहीं पा रहे हैं। पटेल का कहना है कि सरकारी बसों का संचालन भी कोई लाभ का सौदा नहीं है, लेकिन सरकार उसके घाटे को सहन कर लेती है इसलिए उनका संचालन संभव है। लेकिन निजी टूर एंड ट्रेवल्स ऑपरेटर का खर्चा तो कोई दूसरा उठाने से रहा। हर महीने टैक्स की रकम तथा बसों का संचालन संभव नहीं है, इसलिए 100 बसों को बेचने के बाद अब बाकी बची 200 बसों को भी पटेल ट्रेवल्स धीरे-धीरे बेचकर फिलहाल इस व्यापार को अलविदा कहने वाला है।
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