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    जल संरक्षण के लिए बेहद कामगार खंभाती कुआं, 60 परिवारों को मिलेगी पानी की समस्‍या से निजात

    Updated: Tue, 20 Aug 2024 08:49 PM (IST)

    अहमदाबाद ग्रामीण पुलिस मुख्‍यालय में 60 फीट गहरा व 15 फीट चौडा खंभाती कुंए का निर्माण कराया गया है हर घंटे करीब एक लाख लीटर वर्षा जल को जमीन में उतार ...और पढ़ें

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    जल संरक्षण के लिए बेहद कामगार खंभाती कुआं (Image: Jagran)

    जेएनएन, शत्रुघ्‍न शर्मा। मानसून के दौरान शहर व गांवों को जल जमाव, बाढ जैसी समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है। इधर-उधर जमा पानी व बाढ के कारण जहां आमजन को आवाजाही में परेशानी होती है वहीं बाढ के हालात में कई बार स्‍कूलों तक को बंद करना पडता है।

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    गुजरात में ट्री वॉक्स संगठन के संस्‍थापक, पर्यावरणविद् व आर्किटेक्‍ट लोकेंद्र बालासरिया ने भारत के पारंपरिक ज्ञान के आधार पर खंभाती कुओं का निर्माण कराया है, जो इन समस्‍याओं के समाधान के साथ भूगर्भ जल संरक्षण की पुख्‍ता व्‍यवस्‍था करता है।

    खंभाती कुंए का निर्माण

    अहमदाबाद ग्रामीण पुलिस मुख्‍यालय में 60 फीट गहरा व 15 फीट खंभाती कुंए का निर्माण कराया गया है, यह हर घंटे करीब एक लाख लीटर वर्षा जल को जमीन में उतार देता है। इससे भूगर्भ जल की क्षारीयता कम होती है साथ ही शहर व गांवों में जल जमाव व बाढ को भी नियंत्रित करता है।

    बीते तीन साल में अहमदाबाद में करीब 100 खंभाती कुओं का निर्माण कराया गया। गुजरात के खंभात क्षैत्र में प्राचीनकाल से छत बनाने के लिए काम में लिए जाने वाले मिट्टी के नलियों से इन कुओं को बनाया जाने लगा इसलिए इन कुओं का नाम भी खंभाती कुआ हो गया।

    60 परिवारों को पानी की समस्‍या से मिलेगी निजात

    गुजरात पुलिस आवास निगम के प्रबंध निदेशक हंसमुख पटेल बताते हैं कि लोकेंद्र बालासरिया के सुझाव व सहयोग से अहमदाबाद ग्रामीण पुलिस मुख्‍यालय में बने खंभाती कुंए से आसपास के करीब 60 परिवारों को पानी की समस्‍या से निजात मिलेगी।

    चूंकि वर्षा जल शुद्ध होता है और इसमें किसी भी तरीके की गंदगी और दूषित पदार्थ (जैसे कि नाइट्रोजन , ब्लीच, कीटनाशक, फैक्ट्री का केमिकल युक्त पानी आदि) नहीं होते हैं। लगातार 3 मानसून के बाद इस तरह के वर्षा जल संरक्षण से भूगर्भ जल की क्षारियता टीडीएस को 1700 से 1000 तक लाया जा सकता है।

    टीडीएस की मात्रा करीब 1700

    शहरों में अधिकांश सोसायटियों में मोटर लगाकर बोरवैल से भूगर्भ जल को खींचकर उपयोग के लिए टंकियों में भरा जाता है, इस पानी में क्षार याने टीडीएस की मात्रा करीब 1700 तक होती है, अगर खंभाती कुंए के जरिए लगातार तीन मानसून में रेन वाटर हार्वेटिंग की जाए तो यह घटकर 1000 तक आ सकती है। इससे शहरों में आरओ सिस्‍टम की जरुरत को भी काफी कम किया जा सकता है। क्षार के कारण शहरों की सोसायटियों के नल, पाइप लाइन व बाथरूम की टाइल्‍स भी जल्‍द खराब होते हैं, इस समस्‍या का भी इससे निराकरण हो सकता है।

    100 खंभाती कुओं का निर्माण कराया गया

    ट्री वॉक्‍स संस्‍था ने सरकार एवं जनभागीदारी से अहमदाबाद एवं आसपास 100 खंभाती कुओं का निर्माण कराया है, यह बाढ की समस्‍या व भूगर्भ जल संकट का एक पारंपरिक एवं टिकाऊ उपाय है लेकिन बडे शहरों में इसे व्रहद पैमाने पर अपनाया जाए तो ही इन समस्‍याओं का हल निकाला जा सकता है। मसलन हर एक सोसायटी में पार्किंग की तरह खंभाती कुओं का भी निर्माण कराया जाए। यह तरीका पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल एवं सबसे कम खर्च में अमल में लाई जाने वाली है। यह भारतीय ज्ञान का बेजोड नमूना है।

    कैसे बनाया जाता है खंभाती कुआ

    ट्री वॉक्स संस्‍था के संचालक लोकेंद्र बालासरिया बताते हैं की खंभाती कुआ का निर्माण दो ईंट के बीच जगह छोडते हुए, एक ईंट के उॅपर दूसरी ईंट रखकर मधुमक्‍खी की छाते की तरह बनाया जाता है। सोसायटी में वर्षा जल को सीधे बोर वेल से जोडकर भी उस पानी का उपयोग किया जा सकता है। इससे बोर वेल फेल नहीं होंगे और बिजली खर्च भी घटेगा।

    60 फीट गहरे व 15 फीट व्‍यास के खंभाती कुए से प्रति घंटे एक लाख लीटर तक पानी को जमीन में उतारा जा सकता है। इसका निर्माण कारीगर हकीम भाई ने किया है तथा इस पर करीब साढे तीन लाख रु की लागत आई है। करीब 10 से 15 वर्ष तक यह सिस्‍टम कार्य करता है। महात्‍मा गांधीजी की ओर से स्‍थापित गुजरात विध्‍यापीठ तथा अहमदाबाद के ही बीमानगर में खंभाती कुआ पहले से कार्यरत है तथा खेडा पुलिस मुख्‍यालय में भी यह बनाया जाएगा।

    कलक्‍टर शिवानी ने बनवाएं 1000 स्‍कूल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्‍टम

    वडोदरा में वर्ष 2019 में 6 घंटे में 242 मीलिमीटर बारिश हुई तो शहर में बाढ के हालात हो गये, जनजीवन अस्‍त व्‍यस्‍त हो गया तो तत्‍कालीन कलक्‍टर शिवानी अग्रवाल ने वर्षा काल निधि नामक अभियान चलाकर स्‍कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्‍टम बनवाना प्रारंभ किया। 90 हजार से एक लाख रु की लागत में हर स्‍कूल में यह सिस्‍टम कार्यरत किया गया तथा इसके संचालन के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया।

    कहीं कहीं पर वाटर रिचार्ज कुंए बनवाए गये। स्‍कूलों में बनाए गये वाटर हार्वेस्टिंग सिस्‍टम के कारण अब इन स्‍कूलों के 2 लाख बच्‍चों को सालभर पेयजल मुहैया कराया जाता है। मानसून से पहले स्‍कूल के शिक्षक स्‍कूलों की छत को साफ सुथरा कर पहली बारिश के पानी को बहने देते हैं तथा उसके बाद वर्षा के जल को इन कुओं में संग्रह कर लेते हैं।

    जल संचय के लिए गुजरात को 4369 करोड का अनुदान

    राज्‍यसभा सदस्‍य परिमल नथवाणी की ओर से संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पिछले जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने बताया है कि केंद्र सरकार ने जल शक्ति अभियान के तहत पिछले तीन वर्षों में वर्षा जल संचयन के लिए गुजरात को 4 हजार 369 करोड़ रु का अनुदान दिया। केंद्र ने अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन के तहत गुजरात में जल निकाय कायाकल्प परियोजनाओं के लिए 651 करोड़ रुपये की लागत वाली 188 परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है।

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