'यूरोप गई थी, पता नहीं अमेरिका कैसे पहुंची' डिपोर्ट किए गए गुजरातियों के परिवार का दावा
अमृतसर में कल शाम को यूएस मिलिट्री का प्लेन 104 भारतीयों को लेकर लैंड हुआ। इनमें से 33 गुजरात से हैं। इनमें से अधिकांश मेहसाणा गांधीनगर पाटन वडोदरा और खेड़ा जिलों से हैं। एक डिपोर्ट गुजराती के परिवार ने दावा किया कि वह एक महीने पहले अपने दोस्तों के साथ यूरोप छुट्टी मनाने गई थी। हमें नहीं पता कि वह अमेरिका कैसे पहुंची।

पीटीआई, अहमदाबाद। अमेरिका से निर्वासित किए गए गुजरात के अवैध आप्रवासियों के परिवारों ने दावा किया है कि उन्हें नहीं पता कि उनके परिजन अमेरिका कैसे पहुंचे। पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने निर्वासित गुजराती लोगों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि वे नौकरी या करियर की तलाश में विदेश गए थे और उन्हें अपराधी के रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिए। अमेरिका से अमृतसर पहुंचे 104 निर्वासितों में से 33 गुजरात से हैं। इनमें से अधिकांश मेहसाणा, गांधीनगर, पाटन, वडोदरा और खेड़ा जिलों से हैं।
छुट्टी मनाने यूरोप गई थी
उम्मीद है कि वे गुरुवार को अपने पैतृक स्थानों पर पहुंच जाएंगे। मेहसाणा जिले के चंद्रनगर-दाभला गांव के निवासी कनुभाई पटेल की बेटी भी निर्वासितों में शामिल है। कनुभाई ने दावा किया कि वह एक महीने पहले अपने दोस्तों के साथ यूरोप छुट्टी मनाने गई थी।
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि यूरोप पहुंचने के बाद उसने क्या योजना बनाई। आखिरी बार हमारी उससे बात 14 जनवरी को हुई थी। हमें नहीं पता कि वह अमेरिका कैसे पहुंची।
अमेरिका ने किया डिपोर्ट
एक अन्य निर्वासित वडोदरा जिले के लूना गांव की है। उसके चाचा प्रवीण पटेल ने पत्रकारों को बताया कि वह एक महीने पहले अमेरिका के लिए रवाना हुई थी। वह पास में ही, उसी गांव में रहती है।
उन्होंने कहा कि उसकी शादी एक साल पहले हुई थी और वह पिछले महीने अमेरिका गई थी। हमें केवल इतना पता है कि उसे निर्वासित कर दिया गया है। हमें उसके निर्वासन के पीछे का कारण नहीं पता।
संसद में मचा हंगामा
- बता दें कि अमृतसर में कल शाम को यूएस मिलिट्री का प्लेन 104 भारतीयों को लेकर लैंड हुआ। इन्हें अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने के आरोप के बाद डिपोर्ट किया गया था। डिपोर्ट किए गए भारतीयों को हथकड़ी और बेड़ियों से बंधे देख काफी हंगामा मचा।
- विपक्ष ने संसद में सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगाया। विपक्ष ने पूछा कि भारतीयों को वापस लाने के लिए सरकार ने अपना प्लेन क्यों नहीं भेजा। हालांकि विदेश मंत्री ने कहा कि यह नियम 2012 में आया था और सरकार अमेरिकी अधिकारियों के साथ बात कर यह सुनिश्चित कर रही है कि डिपोर्ट किए जा रहे लोगों के साथ दुर्व्यवहार न हो।
यह भी पढ़ें: अपना एयरक्राफ्ट अमेरिका क्यों नहीं भेज रहा भारत? डिपोर्ट किए गए भारतीयों को लेकर संसद में हंगामा

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।