अपना एयरक्राफ्ट अमेरिका क्यों नहीं भेज रहा भारत? डिपोर्ट किए गए भारतीयों को लेकर संसद में हंगामा
कल अमेरिका से 104 भारतीयों को लेकर यूएस मिलिट्री एयरक्राफ्ट अमृतसर में लैंड हुआ। इन्हें अमेरिका में अवैध रूप से एंट्री की कोशिश करते हुए पकड़ा गया था। लेकिन देश की संसद में इसे लेकर तकरार शुरू हो गया है। विपक्ष ने सरकार पर निष्क्रिय रहने और अपने नागरिकों को दुर्व्यवहार से बचाने में विफल रहने का आरोप लगाया है। विदेश मंत्री ने भी केंद्र का पक्ष रखा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 100 से ज्यादा भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किए जाने को लेकर संसद में सरकार और विपक्ष के बीच तकरार शुरू हो गया है। विपक्ष ने सरकार से सवाल किया है कि आखिर इन्हें वापस लाने के लिए अमेरिका से अपनी शर्तों पर बात क्यों नहीं की गई।
बता दें कि अमेरिकी में गैरकानूनी तरीके से प्रवेश करने की कोशिश कर रहे भारतीयों को लेकर कल अमृतसर में यूएस मिलिट्री एयरक्राफ्ट लैंड हुआ। इन लोगों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां थीं। इसका वीडियो सामने आते ही बवाल खड़ा हो गया।
सरकार पर निष्क्रियता का आरोप
केंद्र ने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का हवाला देते हुए अपनी स्थिति का बचाव किया है, लेकिन विपक्ष ने सरकार पर निष्क्रियता और भारतीय नागरिकों को कथित दुर्व्यवहार से बचाने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। जल्द ही हम विश्व गुरु बन जाएंगे। विश्व गुरू के नागरिक चेन से बंधे हुए हैं और कोलंबिया जैसे देश, जो टॉप 10 में भी नहीं आते, ने अपने लोगों को ससम्मान वापस बुलाने के लिए एयरक्राफ्ट भेजा था।
- साकेत गोखले
विदेश मंत्री एस जयशंकर के संसद में संबोधन के बाद तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि सरकार ने इसके पहले भी संकट में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए स्पेशल फ्लाइट भेजी थी।
भारत ने पहले चलाया है अभियान
बता दें कि कोविड-19 महामारी फैलने के शुरुआती महीनों में भारत ने अलग-अलग देशों में अपने नागरिकों को निकालने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था। 2020 में चीन के वुहान से भारतीयों को निकालने के लिए एयर इंडिया ने स्पेशल फ्लाइट भेजी थी।
भारत की भूमि पर अमेरिका का मिलिट्री प्लेन कैसे लैंड हुआ? हमारे नागरिकों को हथकड़ी लगाकर क्यों लाया गया?
- संजय सिंह
रूस-यूक्रेन युद्ध के वक्त भी भारत ने यूक्रेन से अपने लोगों को सुरक्षित निकाला था। विपक्ष ने सवाल किया है कि भारत सरकार ने अमेरिकी अधिकारियों के सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत उन्हें ले जाने की अनुमति देने के बजाय अमेरिका से निर्वासित भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए।
सरकार-विपक्ष में वार-पलटवार
- तृणमूल कांग्रेस के सांसद डॉ. गोखले ने कहा कि मुझे हैरानी है कि विदेश मंत्री का ध्यान हमारे नागरिकों के हितों के बजाय यूएस डिपोर्टेशन पॉलिसी का बचाव करने पर है। दरअसल एस. जयशंकर ने राज्यसभा में कहा था कि प्रत्येक देश का अपने नागरिकों को वापस लेने का दायित्व है, अगर वह विदेश में अवैध रूप से रहते हुए पाए जाते हैं।
- जयशंकर ने कहा था कि यह नियम 2012 में आया था और यूएस में डिपोर्टेशन आईसीई अधिकारियों द्वारा किया जाता है। जयशंकर ने कहा कि सरकार अमेरिकी अधिकारियों के साथ बात कर यह सुनिश्चित कर रही है कि डिपोर्ट किए जा रहे लोगों के साथ दुर्व्यवहार न हो।
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