दुष्कर्म और उत्पीड़न के मामलों पर घिरी गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, Gujarat HC ने लिया स्वत: संज्ञान
गुजरात हाई कोर्ट ने एक अखबार की रिपोर्ट के आधार पर गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के दो अलग-अलग मामलों पर स्वत संज्ञान लिया है। दरअसल गुजरात हाई कोर्ट ने ...और पढ़ें

अहमदाबाद, पीटीआई। गुजरात हाई कोर्ट ने एक अखबार की रिपोर्ट के आधार पर गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के दो अलग-अलग मामलों पर स्वत: संज्ञान लिया है। दरअसल, गुजरात हाई कोर्ट ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एक छात्रा के साथ दुष्कर्म की घटना और अन्य छात्र के साथ उत्पीड़न के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है।
गुजरात हाई कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
जस्टिस एएस सुपेहिया और एमआर मेंगडे की खंडपीठ ने अखबार की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए इसे गंभीर मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि छात्रों के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और शैक्षणिक मामलों के प्रमुख को नोटिस जारी किया है।
अखबार में छपी थी दो मामलों को लेकर रिपोर्ट
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अखबार की रिपोर्ट में विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति और उसके प्रवक्ता के एक बयान का हवाला दिया गया। जिसमें छात्रों द्वारा किसी तरह की शिकायत दर्ज न करने का निर्देश दिया गया। हालांकि, अदालत ने विश्वविद्यालय को छात्रों की पहचान करने और पूरी गोपनीयता बनाए रखते हुए उनके बयान दर्ज करने का निर्देश दिया है।
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गुजरात हाई कोर्ट ने मांगी यूनिवर्सिटी से रिपोर्ट
कोर्ट ने आदेश में कहा कि मामले की अगली सुनवाई पर अदालत के समक्ष रिपोर्ट को पेश किया जाए। साथ ही समिति के सदस्यों का नाम भी अदालत में पेश करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को छात्रों के साथ होने वाले उत्पीड़न या रैगिंग से निपटने के लिए प्रक्रिया या नियमों के बारे में भी अवगत कराने को कहा है।
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गुजरात हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को लगाई फटकार
अदालत ने कहा कि इन मामलों में के बारे में 22 सितंबर को अखबार में एक रिपोर्ट छपी थी। जो छात्र-छात्राओं की परेशानी के मामले से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि पुरुष छात्र एक समलैंगिक था, जिस वजह से उसका उत्पीड़न किया गया। जबकि दूसरे मामले में छात्रा ने अपने एक साथी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में आईसीसी का भी जिक्र है और यूनिवर्सिटी प्रवक्ता द्वारा छात्रों से शिकायत न दर्ज कराने का निर्देश दिया गया था।
गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि 22 सितंबर को अखबार में छपी रिपोर्ट के आधार पर हम इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हैं और इसकी गंभीरता को देखते हुए यूनिवर्सिटी से रिपोर्ट की मांग करते हैं।
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