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Morbi Bridge Accident: गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी नगर पालिका को लगाई लताड़, कहा- होशियारी दिखाने की जरूरत नहीं

गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि मोरबी नगर पालिका को होशियारी दिखाने की जरूरत नहीं है। साथ ही कोर्ट ने 30 अक्टूबर को ढह गए 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए दिए गए ठेके पर भी सवाल उठाया।

By AgencyEdited By: Dhyanendra Singh ChauhanPublished: Tue, 15 Nov 2022 02:26 PM (IST)Updated: Tue, 15 Nov 2022 02:26 PM (IST)
गुजरात हाईकोर्ट ने आज इस मामले में स्वत: संज्ञान ली गई याचिका पर की सुनवाई

अहमदाबाद, आइएएनएस। गुजरात के मोरबी जिले में पिछले दिनों पुल गिरने से 135 लोगों की जान चली गई थी। गुजरात हाईकोर्ट ने आज इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की। गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी नगरपालिका की जमकर लताड़ लगाई। कोर्ट ने कहा कि मोरबी नगर पालिका को होशियारी दिखाने की जरूरत नहीं है। साथ ही कोर्ट ने 30 अक्टूबर को ढह गए 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए दिए गए ठेके पर भी सवाल उठाया। कोर्ट की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नोटिस के बावजूद नगरपालिका का प्रतिनिधित्व आज किसी अधिकारी ने नहीं किया। वे इस मामले में बहुत ही होशियारी से काम कर रहे हैं।

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कोर्ट ने कहा, प्रथम दृष्टया नगरपालिका ने की चूक

इस मामले पर गुजरात हाईकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति ए.जे. शास्त्री की पीठ ने मंगलवार को सुनवाई की। पीठ ने कहा कि राज्य ने गुजरात नगर पालिका अधिनियम की धारा 263 के तहत अपनी शक्ति का उपयोग क्यों नहीं किया? प्रथम दृष्टया नगरपालिका ने चूक की है। इसके कारण ही यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। इसी के चलते 135 निर्दोष लोगों की जान चली गई।

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फिटनेस को प्रमाणित करने के लिए रखी गई थी कोई शर्त?

कोर्ट ने कहा कि नगरपालिका विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रहा है। 2008 के एमओयू या 2022 के समझौते के तहत पुल की फिटनेस को प्रमाणित करने के लिए कोई शर्त रखी गई थी। साथ ही कोर्ट ने पूछा कि पुल को प्रमाणित करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति कौन था।

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24 नवंबर को होगी इस मामले की अगली सुनवाई

वहीं, गुजरात हाईकोर्ट में अब इस मामले पर अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। कोर्ट की पीठ ने पूछा कि पहला एग्रीमेंट समाप्त हो जाने के बाद किस आधार पर ठेकेदार को पुल को तीन सालों तक ऑपरेट करने की इजाजत दी गई? अदालत ने कहा कि इन सवालों का जवाब हलफनामे में अगली सुनवाई के दौरान देना चाहिए, जो कि दो हफ्तों के बाद होगी।


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