Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Morbi Bridge Collapse: हाई कोर्ट की ओरेवा ग्रुप को फटकार, पीड़ित परिवारों को पेंशन देने की भी वकालत; कहा- उम्रभर करनी होगी मदद

    By AgencyEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Sat, 09 Dec 2023 03:58 PM (IST)

    गुजरात हाई कोर्ट ने मोरबीसस्पेंशन ब्रिज हादसे को लेकर स्वत संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की और ब्रिज का रखरखाव करने वाली कंपनी को जमकर फटकार लगाई। साथ ही कोर्ट ने कहा कि एक बार दिए जाने वाले मुआवजे से पीड़ितों की मदद नहीं हो सकती है। उन्हें उम्रभर का घाव मिला है। कंपनी को पीड़ित परिवारों को पेंशन देना चाहिए।

    Hero Image
    30 अक्टूबर, 2022 को मोरबी में हुआ था ब्रिज हादसा (फाइल फोटो)

    पीटीआई, अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने मोरबी में 30 अक्टूबर, 2022 को हुए सस्पेंशन ब्रिज हादसे को लेकर स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान हाई कोर्ट ने मोरबी सस्पेंशन ब्रिज के रखरखाव के लिए जिम्मेदार कंपनी ओरेवा ग्रुप को जमकर फटकार लगाई और पीड़ितों परिवार की मदद करने को कहा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या है पूरा मामला?

    बता दें कि मोरबी में 30 अक्टूबर, 2022 सस्पेंशन ब्रिज ढहने से 135 लोगों की मौत हो गई थी। सरकार के मुताबिक, इस हादसे की वजह से 10 महिलाएं ऐसी हैं, जो विधवा हो गईं और सात बच्चे अनाथ हो गए।

    इस मामले की मुख्य न्यायाधीश सुनील अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध माई की खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश अग्रवाल ने ओरेवा ग्रुप से विधवाओं को नौकरी देने के लिए कहा। उन्होंने कहा,

    अगर विधवा महिलाएं नौकरी नहीं करना चाहती हैं तो उन्हें वजीफा दिया जाना चाहिए। आपको जीवनभर उनकी मदद करनी होगी। आपने उनके जीवन को पूरी तरह से उलट दिया है। हो सकता है कि वे काम करने की स्थिति में न हों। ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने कभी काम नहीं किया है, कभी भी वह अपने घरों से बाहर नहीं गईं। आप उनसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे अपने घर से बाहर आएंगी और कहीं काम पर जाएंगी।

    यह भी पढ़ें: मोरबी हादसे के लिए ओरेवा कंपनी के मालिक को बताया गया जिम्मेदार, एसआइटी ने धारा-302 लगाने की सिफारिश की

    कंपनी ने दावा किया कि वह अनाथों और विधवाओं की देखभाल कर रही है। वहीं, हाई कोर्ट जानना चाहता था कि कंपनी उन बुजुर्गों को लेकर क्या कर रही है जिन्होंने अपने युवा बेटों को खो दिया जिन पर वह निर्भर थे।

    'बेटों की कमाई पर निर्भर थे बुजुर्ग'

    कोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग अपने बेटों की कमाई पर निर्भर थे... उनका क्या सहारा है? उन्हें आजीवन पेंशन दें। एक बार दिया गया मुआवजा आपकी मदद नहीं करेगा। कृपया इसे ध्यान में रखें। यह उम्रभर के लिए एक घाव है। एक बार दिए गए मुआवजे से उनकी मदद नहीं हो सकती है। कंपनी को कुछ आवर्ती व्यय करना होगा।

    यह भी पढ़ें: मोरबी हादसे के आरोपी को SC से बड़ी राहत, HC से मिली जमानत रद्द करने से किया इनकार

    खंडपीठ ने यह भी कहा कि पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाना चाहिए, क्योंकि कोर्ट के लिए इस प्रक्रिया की सालों तक निगरानी करना संभव नहीं हो सकता है।

    comedy show banner
    comedy show banner