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Gujarat Election 2022: आदिवासियों का पसंदीदा दल बनकर उभरा AAP, कई सीटों पर BJP को दी कड़ी टक्कर

Gujarat Election 2022 गुजरात में आदिवासी बाहुल्य सीटों पर आम आदमी पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। भाजपा ने गुजरात में अनुसूचित जनजाति की 27 में से 23 सीटों पर जीत दर्ज की है लेकिन AAP ने 9 सीटों पर उसे कड़ी टक्कर दी है।

By Achyut KumarEdited By: Published: Fri, 09 Dec 2022 09:56 AM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2022 09:56 AM (IST)
Gujarat Election 2022: आदिवासियों का पसंदीदा दल बनकर उभरा AAP, कई सीटों पर BJP को दी कड़ी टक्कर
Gujarat Election 2022: आदिवासी बाहुल्य सीटों पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को पछाड़ा

अहमदाबाद, पीटीआइ। Gujarat Assembly Election 2022: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुजरात में अनुसूचित जनजाति की 27 में से 23 सीटों पर जीत हासिल की। आम आदमी पार्टी (AAP) के रूप में नए राजनीतिक दल ने आदिवासी बेल्ट में पैर जमाने के लिए कांग्रेस को किनारे कर दिया। हालांकि, यह केवल एक सीट जीत सकी, लेकिन 27 एसटी-आरक्षित सीटों में से नौ पर AAP भाजपा के लिए सीधी चुनौती के रूप में उभरी।

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कांग्रेस ने जीतीं सिर्फ तीन सीटें

कांग्रेस ने 2017 की 14 सीटों की तुलना में इस बार सिर्फ तीन सीटें जीतीं। भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP), जिसने 2017 के चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन में दो सीटें जीती थीं, सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। कांग्रेस और बीटीपी ने यह चुनाव अलग-अलग लड़ा था।

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देदियापाड़ा सीट पर AAP को मिले सबसे ज्यादा वोट

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच विपक्षी वोटों के बंटवारे को भुनाते हुए भाजपा ने 2017 की तुलना में अपनी सीटों की संख्या दोगुनी कर ली। देदियापाड़ा सीट पर 'आप' उम्मीदवार चैतर वसावा ने भाजपा के हितेश वसावा को हराया। 'आप' के वसावा को 1.02 लाख वोट मिले, जो इस चुनाव में 'आप' उम्मीदवार को मिले सबसे ज्यादा वोट हैं।

झगड़िया में भाजपा को मिली जीत

झगड़िया में सात बार के विधायक छोटू वसावा को भाजपा उम्मीदवार रितेश वसावा ने हराया। वंसदा और दांता सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा। यह खेड़ब्रह्म पर नियंत्रण हासिल करने में भी कामयाब रही, जहां आदिवासी नेता तुषार चौधरी ने अश्विन कोतवाल को हराया, जिन्होंने बीजेपी में जाने तक कांग्रेस के टिकट पर सीट पर कब्जा किया था।

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'आप' ने ईमानदारी से लड़ी लड़ाई

छोटा उदेपुर से चुनाव लड़ने वाले अर्जुन राठवा ने कहा कि 'आप' उम्मीदवारों ने उन क्षेत्रों में 'ईमानदारी' से लड़ाई लड़ी, जहां शराब और पैसे के बंटवारे ने मतदाताओं को प्रभावित किया। राठवा को 43,880 वोट मिले, लेकिन अनुभवी आदिवासी नेता मोहनसिंह राठवा के बेटे राजेंद्रसिंह राठवा से हार गए।

बीजेपी को दी सीधी चुनौती

उन्होंने कहा, 'हमारे कई नेताओं को भारी संख्या में वोट मिले और वे बीजेपी को सीधी चुनौती देने के लिए उभरे, जबकि हमने उनकी तरह पैसा और शराब बांटने का सहारा नहीं लिया। उनके लिए काम करना जारी रखेंगे।' राजनीतिक विश्लेषक दिलीप गोहिल ने कहा कि यह देखना दिलचस्प था कि आप जैसी शहरी पार्टी ने कुछ सबसे पिछड़े आदिवासी इलाकों में कैसे पैर जमाए।

गोहिल ने कहा, 'जिस तरह से इसने आदिवासी आबादी को आकर्षित किया, वह महत्वपूर्ण है, जिससे पता चलता है कि आदिवासी कैसे महत्वाकांक्षी हो रहे हैं।' उन्होंने कहा कि कभी सबसे पुरानी पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली पट्टी में 'आप' ने कांग्रेस को गंभीर चोट पहुंचाई है।  इस प्रवृत्ति के उलटने की संभावना नहीं है। 

'अलग तरह से सोच रहे आदिवासी '

गोहिला ने कहा, 'AAP ने आदिवासी क्षेत्र में प्रवेश करने की पहले से ही योजना बना ली थी, क्योंकि उसे वहां अवसर नजर आ रहा था। इससे यह भी पता चलता है कि आदिवासी आबादी अलग तरह से सोच रही है।'

14 प्रतिशत है अनुसूजित जनजाति समुदाय की आबादी

अनुसूचित जनजाति समुदाय राज्य की आबादी का लगभग 14 प्रतिशत है और 182 सदस्यीय विधानसभा में उनके लिए आरक्षित 27 सीटों के साथ पूर्वी बेल्ट में फैले हुए हैं। 1995 के बाद से यह केवल तीसरी बार है, जब अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा की संख्या कांग्रेस से आगे निकल गई है।

कांग्रेस और AAP ने आदिवासियों से किया वादा

कांग्रेस और AAP दोनों ने राज्य में सत्ता में आने पर पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) (पीईएसए) अधिनियम को लागू करने का वादा किया था। केजरीवाल ने यह सुनिश्चित करने का भी वादा किया कि अधिनियम के तहत जनजातीय सलाहकार समिति का नेतृत्व समुदाय के एक सदस्य द्वारा किया जाएगा।

दूसरी ओर, भाजपा ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों के लिए विशेष बजट के आवंटन के माध्यम से अपनी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों को उजागर करने की मांग की, जबकि कांग्रेस को परंपरागत रूप से शिक्षा और सामाजिक सुधारों के लिए क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों के एक नेटवर्क के माध्यम से आदिवासियों का समर्थन प्राप्त था।

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