Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पूर्वांचलियों ने इंसानियत से चुकाया गुजरात का कर्ज, अहमदाबाद हादसे के बाद बने मसीहा; ऐसे की मदद

    Updated: Sun, 15 Jun 2025 10:50 PM (IST)

    अहमदाबाद में विमान हादसे के बाद बिहार-उत्तर प्रदेश के लोगों ने मानवता दिखाई। पूर्वांचल के निवासियों ने घायलों को अस्पताल पहुँचाया अपने वाहनों को एम्बुलेंस बनाया और पीड़ितों के परिवारों की मदद की। उत्तर भारतीय विकास परिषद हिंदी भाषी महासंघ और छात्र संगठनों ने रक्तदान किया भोजन की व्यवस्था की और लापता लोगों की सूची साझा की।

    Hero Image
    पूर्वांचल के लोगों ने घटनास्थल पर पहुंचकर घायलों को अस्पताल पहुंचाया (फोटो: रॉयटर्स)

    अरविंद शर्मा, जागरण, अहमदाबाद। बिहार-उत्तर प्रदेश से बाहर एक पूर्वांचल अहमदाबाद में भी बसता है, जिसने विमान हादसे के बाद अपनी सेवा भाव से दिखा दिया कि वे दूसरे प्रांत से आकर गुजरात में दशकों से सिर्फ किरायेदार की तरह नहीं रहते हैं, बल्कि सुख-दुख में बराबर के साझीदार भी हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अहमदाबाद में रहने वाले उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखंड के लोगों ने विमान हादसे के बाद सेवा का मोर्चा संभाला एवं 'मजदूर' की पहचान से ऊपर उठकर 'मसीहा' बनकर दिखाया। घटनास्थल पर पहुंचकर घायलों को अस्पताल पहुंचाया। अपने ऑटो रिक्शा एवं निजी गाड़ियों को एंबुलेंस बनाने में भी संकोच नहीं किया।

    अहमदाबाद में पूर्वांचलियों के कई संगठन

    अहमदाबाद में पूर्वांचलियों के कई संगठन हैं, जिनमें उत्तर भारतीय विकास परिषद, हिंदी भाषी महासंघ, बिहार समाज कल्याण मंच प्रमुख हैं। शहर के विभिन्न कालेजों में पढ़ने वाले पूर्वांचली छात्रों ने भी एक समूह बना रखा है। जब शहर में चारों तरफ जहरीली हवा और मातम पसरा था तब उत्तर भारतीय लोगों की टीम अस्पतालों में चाय बांट रही थी। भीड़ को संभाल रही थी और पुलिस को सहयोग कर रही थी।

    गुजरात में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था। 2001 के भुज में आए भूकंप और 2020 के कोविड लॉकडाउन में भी पूर्वांचलियों की सेवा भावना ऐसी ही दिखी थी। उत्तर भारत विकास परिषद के गुजरात चैप्टर के सदस्यों ने आपदा राहत केंद्र बनाकर घायलों के लिए रक्तदान किया। घटनास्थल और अस्पतालों में जाकर घायलों की पहचान की। उनके परिजनों को सूचना दी।

    हिंदी भाषी महासंघ ने भी की मदद

    • बांका जिले के लाहौरिया गांव के मूल निवासी एवं अहमदाबाद के मेघाणी नगर में रहने वाले सोना सिंह राजपूत अपनी टीम के साथ घटनास्थल की ओर दौड़े। वहां का दृश्य देखकर उन्हें लगा कि गांधीवादियों को सिर्फ बापू की तस्वीरों के साथ ही नहीं, सेवा के साथ भी जीना चाहिए। उन्होंने सारा वह काम किया, जो मानवता के लिए जरूरी था।
    • हिंदी भाषी महासंघ के डॉ. महादेव झा, सीतामढ़ी के रहने वाले हैं। दशकों से अहमदाबाद में रहते आ रहे हैं। उन्हें आज तक भी चैन नहीं है। वह कहते हैं कि यह इंसानियत की परीक्षा की घड़ी है। भूगोल या धर्म देखने का समय नहीं। हादसे के बाद गुजराती, मराठी, पंजाबी एवं हरियाणवी भी सेवा में जुटे थे, लेकिन पूर्वांचलियों की संख्या एवं समर्पण का दायरा कहीं ज्यादा दिखा।
    • उत्तर भारतीय विकास परिषद के महेश सिंह कुशवाहा यूपी के जालौन के रहने वाले हैं। उन्होंने एक सौ से ज्यादा घायलों के लिए रक्त का इंतजाम किया। कम्युनिटी हॉल को राहत केंद्र में बदल दिया। घायलों के परिजनों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था की।

    छात्र संगठन ने स्वयंसेवी समूह की तरह काम किया

    गाजीपुर के मूल निवासी राम विलास यादव घटना के वक्त पास के वर्कशॉप में थे। उन्होंने बम फटने जैसा धमाका सुना और बाहर निकले तो धुएं का बड़ा सा गुब्बार देखकर हालत को समझते देर नहीं लगी। बाइक उठाकर भागे। आपदा राहत का कोई प्रशिक्षण नहीं था। फिर भी जो अच्छा समझा, उसमें लग गए। फिक्र थी कि कैसे कितने को बचाया जा सके।

    उत्तर भारतीय छात्र संगठन ने स्वयंसेवी समूह की तरह काम किया। मरीजों के परिचय जुटाए और इंटरनेट मीडिया पर घायलों और लापता लोगों की सूची साझा की। बनारस के छात्र मयंक पांडेय बताते हैं कि किसी से कुछ कहना या पूछना नहीं था। सिर्फ लोगों की जान बचानी थी। चाहे जैसे बचे।

    यह भी पढ़ें: 'हादसे से थोड़ी देर पहले ही प्लेन से उतर गया था', अहमदाबाद विमान हादसे के बाद शख्स का चौंकाने वाला दावा