'घनी आबादी से प्लेन को...', अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद क्या बोले स्थानीय लोग?पायलट को मिल रही दुआएं
Air India Plane Crash अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त एयर इंडिया के विमान के पायलट सुमित सभरवाल को मेघाणी नगर के लोग आज भी याद करते हैं। निवासियों का मानना है कि पायलट ने विमान को घनी आबादी वाले इलाके में गिरने से बचाने के लिए सुनसान इलाके की ओर मोड़ने की कोशिश की थी।

अरविंद शर्मा, जागरण, अहमदाबाद। अहमदाबाद एयरपोर्ट और घटनास्थल मेडिकल कॉलेज के बीच स्थित घनी बस्ती मेघाणी नगर के निवासी आज भी हर आते-जाते विमान की आवाज से घबराते हैं। फिर जान बचाने के लिए भगवान को धन्यवाद देते हैं और साथ ही दुर्घटनाग्रस्त एअर इंडिया के विमान के कैप्टन सुमित सभरवाल को भी याद करते हैं।
मेघाणी नगर की हर गली में, हर बची हुई जिंदगी में सुमित की यादें धड़क रही हैं। पूरी सच्चाई तो जांच के बाद सामने आएगी लेकिन लोगों का मानना है कि पायलट ने घनी आबादी में विमान को गिरने से जरूर रोका होगा। उसे सुनसान स्थान की ओर ले जाने की कोशिश की होगी। वरना विमान घनी आबादी में गिरता और हजारों की जान जाती।
आज भी प्लेन देख घबरा जाते लोग
विमान हादसे में जान गंवाने वालों के परिजन और प्रत्यक्षदर्शी उस मनहूस घड़ी को कोस रहे हैं, जब आसमान से एक विशालकाय जहाज मेडिकल कॉलेज की दीवार से जा टकराया। वहां से मेघाणी नगर चंद कदम ही पीछे है। घनी बस्ती है, जहां बाजार है, मंदिर हैं। दोपहर 1.38 बजे के वक्त जो लोग अपने घरों से बाहर थे, उन्होंने जहाज को आसमान में डगमगाते हुए देखा। उन्हें एकबारगी लगा कि जहाज उनके माथे पर ही गिरने वाला है।
किंतु जो लोग घरों में थे, उन्होंने डरावनी आवाज के बाद आसमान में काला धुआं और चीख-पुकार सुनी तो समझा कि मेडिकल कालेज के मेस के बाटलों (गैस सिलेंडर) में विस्फोट हुआ है। गिरते जहाज की दशा-दिशा देखकर मेघाणी नगर के निवासी और डायमंड फैक्ट्री के कर्मचारी रमण प्रजापति ने दावे के साथ कहा कि पायलट को जब लगा होगा कि हादसे को टाला नहीं जा सकता है तो उन्होंने जहाज को आबादी से दूर निर्जन स्थान में ले जाने का प्रयास किया होगा।
घनी आबादी पर गिर सकता था प्लेन
- यदि तीन-चार सेंकेड की भी शिथिलता हो जाती तो जहाज घनी आबादी पर गिर सकता था। फिर नुकसान का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है। सुनीता कोरी हाउस वाइफ हैं। हादसे के वक्त वह अपने घर में थीं। वह भी मेघाणी नगर की घनी आबादी को तबाही से बचाने के लिए पायलट की अंतिम वक्त की समझदारी की सराहना करती हैं। घटना स्थल से मात्र दो सौ गज की दूरी पर रहने वाले बिट्ठल पाटनी का डर आज भी जिंदा है।
- उनके घर के ऊपर से आसमान में हर दस मिनट पर कोई न कोई जहाज गुजरता है तो उन्हें डर लगता है। पाटनी उस भयावह क्षण को याद करते हुए कहते हैं कि कुछ सेकेंड भी इधर-उधर हो जाता तो आज हमारे में से कोई नहीं बचता। मुकेश राठौर फल दुकानदार हैं। फल बेचने के क्रम में अस्पताल परिसर में भी कभी-कभी जाते रहते हैं। उस दिन मेघाणी नगर में ही थे।
- भयानक विस्फोट के बाद धुएं का गुब्बार देखकर उन्हें 2008 में सिविल अस्पताल के ट्रामा सेंटर के बाहर विस्फोट की याद आ गई। उन्हें लगा कि कई बम एक साथ फटे हैं। डर के मारे इधर-उधर भागने लगे। हालांकि विमान हादसे की पूरी सच्चाई जांच के बाद सामने आएगी, लेकिन कैप्टन सुमित मेघाणी नगर की यादों में हमेशा जिंदा रहेंगे।
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