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    Aarya Review: मास्टरपीस बनने की लाइन से ठीक पीछे खड़ी है सुष्मिता सेन की वेब सीरीज़ 'आर्या'

    By Rajat SinghEdited By:
    Updated: Sat, 20 Jun 2020 08:30 AM (IST)

    Aarya Review क्राइम और थ्रिलर से पैक्ड इस सीरीज़ में सुष्मिता सेन के अलावा भी कई आकर्षक चीज़ें हैं जिनके लिए आप वेब सीरीज़ देख सकते हैं। आइए जानते हैं...

    Aarya Review: मास्टरपीस बनने की लाइन से ठीक पीछे खड़ी है सुष्मिता सेन की वेब सीरीज़ 'आर्या'

     नई दिल्ली, (रजत सिंह)। Aarya Review: सुष्मिता सेन ने लगभग 17 साल के बाद एक्टिंग की दुनिया में वापसी की है। इसके लिए उन्होंने डिज़्नी प्लस हॉटस्टार की वेब सीरीज़ 'आर्या' को चुना है। यह उनका डिजिटल डेब्यू है। उन्होंने स्क्रीन पर वजनदार वापसी की है। क्राइम और थ्रिलर से पैक्ड इस सीरीज़ में सुष्मिता सेन के अलावा भी कई आकर्षक चीज़ें हैं, जिनके लिए आप वेब सीरीज़ देख सकते हैं। आइए जानते हैं...

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    कहानी

    वेब सीरीज़ डज़ वेब सीरीज़ पोनज़ा की ऑफ़िशियल रीमेक है। इसका अगर पोनज़ा का सिंपल मतलब निकाले, तो यह लेडी डॉन होगा। कहानी भी एक लेडी डॉन के आसपास बुनी गई है।  आर्या सरीन का परिवार गैर कानूनी अफीम और दवाईओं के बिजनेस में लिप्त है। उसका पति तेज सरीन, भाई संग्राम और दोस्त जवाहर तीन पाटर्नर है। संग्राम और जवाहर अफ़ीम से आगे बढ़कर हीरोइन के बिजनेस में उतरना चाहते हैं। हालांकि, तेज इसके लिए तैयार नहीं है। क्योंकि इस बिजनेस में पहले से शेखावत नाम का बड़ा क्रिमिनल शामिल है। वहीं, आर्या चाहती है कि उसके बच्चों पर इसका असर ना पड़े और वह तेज पर बिजनेस से बाहर आने का दवाब बनाती है। तेज इसके लिए तैयार हो जाता है। लेकिन इस बीच उसका भाई संग्राम पकड़ा जाता है और तेज को गोली मार दी जाती है। आर्या को कई लोगों से धमकियां मिलने लगती हैं। लोग पैसे मांगने लगते हैं। वहीं, आर्या इस बात को भी जानना चाहती है कि उसके पति का हत्यारा कौन है? वहीं, नॉरकॉटिक्स डिपॉर्टमेंट भी उसके पीछे पड़ी है। अपने बच्चों को बचाने के लिए आर्या आखिरकार इस दलदल में उतर जाती है। क्या वह अपने बच्चों को बचा पाती है? क्या वह अपने पति के कातिल को ख़ोज पाती है? इन सवालों के जवाब ख़ोजने के लिए आपको वेब सीरीज़ देखनी होगी।

    क्या है ख़ास

    1. इसी सीरीज़ की सबसे ख़ास बात है सुष्मिता सेन की एक्टिंग। उनको वापस स्क्रीन पर देखना काफी शानदार लगता है। हालांकि, इसके पीछे उनकी एक्टिंग का भी कमाल है। वह अपने किरदार में काफी जचतीं हैं। उन्होंने और की अपेक्षा काफी ज्यादा समय मिला है। उनकी फिटनेस और उनकी आदयगी देखने लायक है। चंद्रचूड़ सिंह ने सुष्मिता के ऑन स्क्रीन पति तेज का किरदार निभाया है। उन्होंने ज्यादा मौका नहीं मिला है। वहीं, चंद्रचूड़ सुष्मिता के सामने हल्के से डल नज़र आते हैं। हालांकि, उनकी डलनेस सुष्मिता के किरदार को और भी मजबूती देती है। इन दोनों के अलावा  सिंकदर खेर भी अहम किरदार में हैं, लेकिन उनके हिस्से ज्यादा डायलॉग्स नहीं हैं। वहीं, आर्या के ऑन स्क्रीन बच्चों का किरादर निभाने वाले वृति, वीरेन और प्रत्यक्ष पंवार  ने भी काफी इम्फैक्ट फुल परफॉर्मेंस दी है। ख़ास कर आदि का किरदार निभाने वाले प्रत्यक्ष जिस तरीके से डर और सदमे को अपने चेहरे पर उतरा है, वह 'चिंटू का बर्थडे'  के वेदांत छिब्बर की याद दिलता है। 

    2. वेब सीरीज़ की कहानी आपको काफी रोचक लगने वाली है। ख़ास बात है कि कहानी आपको अंत तक बांधकर रखती है। एपिसोड दर एपिसोड थ्रिलर बरकरार रहता है। 9 एपिसोड की वेब सीरीज़ है। प्रत्येक एपिसोड करीब 45  मिनट का है। ऐसे में यह प्रॉपर सीरीज़ लगती है। ऐसा नहीं है किसी ढाई घंटे की फ़िल्म को पांच पार्ट में तोड़ दिया गया हो। किसी विदेशी वेब सीरीज़ को भारतीय पृष्ठभूमि में उतारने में लेखक कामयाब हुए हैं। कई अलग-अलग स्तर पर घट रही कहानी आपको बोझिल नहीं लगती है। 

    3. निर्देशन भी आपको काफी प्रभावित करने वाला है। किसी विदेशी सीरीज को भारतीय प्रवेश में उतारना इतना आसान काम नहीं है। हालांकि, निर्देशक राम माधवानी, संदीप मोदी और विनोद रावत इसमें सफल रहे हैं। निर्देशकों ने एक्टर्स का बखूबी इस्तेमाल किया है। हालांकि, कहानी को उतने बेहतर तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं। वहीं, तकनीकी तौर पर कैमरे का इस्तेमाल आपको सही लगेगा।

    4. अन्य क्राइम सीरीज़ की तरह इसमें आपको बेज़ा गाली-गलौज़ नहीं मिलेगी। ऐसा कहीं नहीं लगता है कि जबरदस्ती गाली को ठूंसकर इसे मिलेनियनल बनाने की कोशिश की गई हो। 

     

     

     

     

     

     

     

     

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    कहां रह गई कमी

    1. सीरीज़ में कुछ और मेहनत करने की गुंजाइश है। कहानी पर संदीप श्रीवास्तव और अनु चौधरी और मेहनत कर सकते थे। वेब सीरीज़ को स्पीड पकड़ने में टाइम लगता है। मतलब यह कि शुरुआती कुछ एपिसोड स्लो हैं। आपको सीरीज़ देखने के हल्का-सा धैर्य दिखना होगा। ऐसा डॉयलॉग्स भी नहीं है, जिसे आप याद रख सकें।

    2. म्यूज़िक उतना बेहतर नहीं है। बीच में कुछ कविताएं कहने की कोशिश की गई हैं। हालांकि, वह आपको कनेक्ट नहीं कर पाती है। बैकग्राउंड स्कोर भी काफी औसत हैं। 

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    अंत में 

    सुष्मिता सेन की वापसी ना सिर्फ फैंस, बल्कि सिनेमा प्रेमियों को भी अच्छी लगने वाली है। 'स्पेशल ऑप्स' के बाद हॉटस्टार एक और बेहतरीन सीरीज़ के साथ हाजिर है। वेब सीरीज़ की कुछ-कुछ कमियां इसे मास्टरपीस बनने वाली लाइन से ठीक पीछे रोक लेती हैं। हालांकि, यह आपका समय बर्बाद नहीं करने वाली है।