'गुड से मीठा इश्क' के साथ अपने फैन्स का दिल जीतेंगी पंखुड़ी अवस्थी, कहा- महिलाओं में आत्मविश्वास होना जरूरी है
ये रिश्ता क्या कहलाता है जैसे शोज में नजर आ चुकीं टीवी एक्ट्रेस पंखुड़ी अभिनेत्री जल्द ही स्टार भारत पर शुरू हो रहे शो गुड से मीठा इश्क में अहम भूमिका में नजर आएंगी। हाल ही में पंखुड़ी ने अपने किरदार प्यार और महिलाओं के आत्मविश्वास को लेकर बात की।

दीपेश पांडेय, मुंबई। शो 'रजिया सुल्तान' और 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' की अभिनेत्री पंखुड़ी अवस्थी अब शो गुड़ से मीठा इश्क में काजू के किरदार में नजर आएंगी। यह शो 18 अप्रैल से स्टार भारत पर प्रसारित होगा। ऐतिहासिक कहानियों को पसंदीदा जॉनर मानने वाली पंखुड़ी का कहना है कि अब कलाकारों के टाइपकास्ट होने के दिन गए।
संघर्ष का आकर्षण
इस शो में अपने किरदार और उसके प्रति आकर्षण की वजह पंखुड़ी बताती हैं, 'मेरा किरदार काजू उत्तराखंड के एक छोटे से गांव की टूरिस्ट गाइड है, जहां पर लड़कियों को इतना ज्यादा बाहर जाने और इस तरह के काम करने की स्वतंत्रता नहीं है। अपने समाज की इस सोच से लड़ते हुए वह किस तरह से अपना रास्ता तय करती है। इस शो में काजू के उसी संघर्ष को दिखाया गया है। यह कहानी और किरदार मुझे पहली बार सुनकर ही पसंद आ गया था। इस पुरुष प्रधान समाज में काजू के टूरिस्ट गाइड बनने के संघर्ष और उसकी स्वीट सी लव स्टोरी ने मुझे काफी आकर्षित किया। इसके अलावा उसके पति नील की बहन के साथ उसकी केमिस्ट्री और दोनों का अपनी जिंदगी में कुछ पाने का संघर्ष इसे दिलचस्प बनाता है'।
इश्क के तीन रूप
भावनाओं को व्यक्त करने में असहज पंखुड़ी अपने पति अभिनेता गौतम रोड़े से इश्क बयां करने को लेकर कहती हैं, 'मेरे लिए इश्क की कई परिभाषाएं हैं। मुख्यत: हम अपनी जिंदगी में तीन तरह का इश्क महसूस करते हैं। पहला जो हमें अपने माता-पिता और परिवार से मिलता है, दूसरा जो हमें हमारे हमसफर या जीवनसाथी की तरफ से मिलता है, तीसरा वह इश्क जो आपके काम या शौक के प्रति होता है। इन तीनों इश्क में बेईमानी की कोई जगह नहीं होती है। ये तीनों ही निस्वार्थ प्यार होते हैैं। इश्क ही आपको मंजिल तक पहुंचाता है। व्यक्तिगत जीवन में मैं अंतर्मुखी स्वभाव की हूं, लेकिन धीरे-धीरे बदलने की कोशिश कर रही हूं। शुरू में मेरे लिए अपने इश्क को बयां करना बहुत मुश्किल होता था। हालांकि अपने पार्टनर को कभी यह नहीं अहसास होने दिया कि मैं उनसे प्यार नहीं करती या उनका ख्याल नहीं रखती'।
मिलें बराबरी के मौके
आज भी काम को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को जगह बनाने के संघर्ष पर पंखुड़ी कहती हैं, 'अब हमारे यहां काफी चीजें बदली हैं, लेकिन अब भी ऐसी कई जगह हैं, जहां पर महिलाओं को काम के मामले में बराबरी की मौका नहीं मिलता है। ऐसे कई सारे पेशे हैं, जहां आज भी लड़कियों का होना सही नहीं माना जाता है। लड़का हो या लड़की अगर उसे लगता है कि वह उक्त काम को अच्छी तरह से कर सकता है तो उन्हें वह मौका जरूर मिलना चाहिए। हर पेशे में बराबरी का मौका हासिल करने के लिए सबसे पहले महिलाओं को अपना आत्मविश्वास बढ़ाना जरूरी है। समाज में जो धारणा है कि जीवन में आगे बढने के लिए पुरुष की जरूरत होती है, ऐसी धारणाओं से छुटकारा पाना होगा। महिलाओं से साथ होने वाले असमानता के व्यवहार को अंजाम देने वाली ज्यादातर महिलाएं ही होती हैं, क्योंकि वे भी पितृसत्तात्मक समाज में पली-बढ़ी होती हैं। उन्हें वही चीजें सही लगती हैैं। इन चीजों को खत्म करने के लिए शैक्षिक स्तर पर काम करना जरूरी है। देश के हर गांव की महिला तक शिक्षा और उसके समान अधिकारों की जानकारी पहुंचना जरूरी है। अगर सुधार की शुरुआत जड़ से हो तो ज्यादा प्रभावशाली होता है'।
पसंदीदा जॉनर है ऐतिहासिक
इससे पहले शो रजिया सुल्तान में रजिया तथा सूर्यपुत्र कर्ण में द्रौपदी का किरदार निभाने वाली पंखुड़ी अपने पसंदीदा जानर को लेकर कहती हैं, 'व्यक्तिगत तौर पर मुझे ऐतिहासिक जॉनर बहुत पसंद हैं, क्योंकि उनमें बहुत भव्य और लार्जर दैन लाइफ किरदार निभाने का और ऐसे किरदारों के जरिए दर्शकों के सामने एक अलग दौर प्रस्तुत करने का मौका मिलता है। इस तरह के किरदार शैक्षिक, ज्ञानपरक और मनोरंजक तीनों होते हैं। बतौर कलाकार भी ऐसी कहानियों में काफी चीजें सीखने को मिलती हैं। शो रजिया सुल्तान के दौरान मैंने घुड़सवारी और तलवारबाजी सीखी थी। अगर आगे भी मुझे इस तरह के प्रस्ताव मिलते हैं तो मैं उन्हें जरूर करना चाहूंगी। मैं इसे टाइपकास्ट होने की समस्या के तौर पर नहीं देखती हूं। अब टाइपकास्ट होने वाले दिन चले गए हैं'।
याद आता है लखनऊ
पंखुड़ी का बचपन लखनऊ में गुजरा है, ऐसे में लखनऊ को लेकर वह कहती हैं, 'लखनऊ मेरा गृहनगर है, वहां मेरा परिवार रहता है। इसलिए मेरा जुड़ाव है। साल में तीन चार-बार जाना तो होता ही है। मुंबई की भागमभाग भरी जिंदगी की अपेक्षा लखनऊ की शांत जिंदगी में जाकर बहुत अच्छा लगता है। वहां लोगों का एक-दूसरे से करीबी जुड़ाव है और वह अदब का शहर है। दूर रहकर वहां का खाना और माहौल सब याद आता है'।
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