Uunchai Review: दोस्ती के जज्बे से निकले हौसले और उम्मीद की दिल छू लेने वाली कहानी, पढ़ें पूरा रिव्यू
Uunchai Review ऊंचाई उन जज्बात को बड़ी खूबसूरती से पेश करती है जिन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में महसूस किया जाता है। दोस्ती के विषय पर बनने वाली फिल्मों की कमी नहीं। खुद अमिताभ बच्चन ने पर्दे पर कई बार दोस्ती निभायी है मगर इस बार एहसास अलग है।

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। राजश्री प्रोडक्शन के तहत बनने वाली फिल्में पारिवारिक मूल्यों, परिवार और रिश्तों के ताने-बाने से बुनी होती हैं। मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन, विवाह, प्रेम रतन धन पायो जैसी फिल्मों के निर्देशक सूरज बड़जात्या ने इस बार भी राजश्री की परंपरा को कायम रखा है। हालांकि, भव्य विवाह, नाच गाना से इतर दोस्ती और उम्मीद को फिल्म ऊंचाई का आधार बनाया है। इस फिल्म में चार दोस्तों की कहानी के साथ बुढ़ापे, वक्त के साथ जीवन, रिश्तों में आए बदलाव और नई पीढ़ी की बदलती सोच जैसे पहलुओं को समेटने की कोशिश हुई है।
दोस्त की आखिरी इच्छा के लिए एवरेस्ट का सफर
कहानी 65 साल की उम्र पार कर चुके चार दोस्तों अमित श्रीवास्तव (अमिताभ बच्चन), ओम (अनुपम खेर), जावेद (बमन ईरानी) और भूपेन (डैनी डेंजोग्पा) की है। चारों भूपेन के जन्मदिन पार्टी में मिलते हैं। भूपेन की ख्वाहिश एवरेस्ट पर अपने दोस्तों के साथ जाने की होती है, लेकिन जन्मदिन के अगले दिन ही उसका निधन हो जाता है। अमित को उसके कमरे से एवरेस्ट बेस कैंप तक जाने के उन चारों के नाम के चार टिकट मिलते हैं।
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तीनों दोस्त उसकी अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए उसकी अस्थियों को एवरेस्ट पर ही बिरखने का फैसला करते हैं। हालांकि, यह आसान नहीं होता। जावेद की पत्नी शबीना (नीना गुप्ता) उसमें रोड़ा होती है। वह जावेद को अकेला नहीं छोड़ती। वे उससे झूठ बोलते हैं कि काठमांडू जा रहे हैं और रास्ते में कानपुर में उसे उसकी शादीशुदा बेटी के पास छोड़ जाएंगे।
किताबों की दुकान चलाने वाले ओम की पत्नी का निधन हो चुका है। वह अपने बेटे और बहू साथ रहता है। नामचीन लेखक अमित ने अपनी जीवनसाथी अभिलाषा (नफीसा अली) को रहस्य बनाकर रख रखा है। वह युवाओं का आदर्श लेखक है। मेडिकल टेस्ट में ओम और जावेद की रिपोर्ट ठीक आती है, लेकिन अमित की बीमारी को रहस्य रखा जाता है।
तीनों दोस्त और शबीना कार से पहले कानपुर फिर गोरखपुर में ओम के घर पर होते हुए नेपाल की यात्रा पर निकलते हैं। यात्रा के दौरान उनके रिश्ते को एक्सप्लोर किया जाता है। इस सफर में नाटकीय घटनाक्रम में उनके माला (सारिका) भी उनके साथ आती है। हालांकि, गोरखपुर से शबीना दिल्ली वापस चली जाती है। धीरे-धीरे परतें खुलती हैं। पता चलता है कि माला का भूपेन के साथ अतीत रहा है। रोड ट्रिप के बाद एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचने तक कहानी रिश्तों की कई परतों को खंगालती है।
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नहीं मिले कुछ सवालों के जवाब
फिल्म की शुरुआत में अमिताभ का किरदार कहता है- भूपेन कहता था कि हर सवाल का जवाब एवरेस्ट पर मिलता है। पता नहीं, हमको किस सवाल का जवाब मिलेगा? सूरज बड़जात्या ने ऊंचाई के जरिए उम्रदराज लोगों के द्वंद्व को तलाशने की कोशिश की है। उन्होंने बताया है कि अपनी उम्र को अपनी चाहतों के आड़े ना आने दें। जीवन एक ही है उसे भरपूर जिएं। इसमें किशोर कुमार के गाए गाने 'यह जीवन है, इस जीवन का, यही है...' का उपयोग बहुत खूबसूरती से किया है।
उन्होंने चारों दोस्तों के अलग स्वभाव के साथ एकदूसरे के प्रति लगाव को सहजता से दर्शाया है। हालांकि, सुनील गांधी की लिखी कहानी और अभिषेक दीक्षित द्वारा लिखित पटकथा एवं संवाद में यह नहीं बताया है कि यह दोस्ती कैसे हुई? बहरहाल, रोड ट्रिप के बहाने सूरज ने जीवन के कई पहलुओं को खंगाला है, जिनसे संभवत: हर कोई रिलेट करें। तीस साल पहले अपना घर छोड़ने वाले अनुपम ने क्यों एक बार भी घर वापसी की नहीं सोची? जैसे कई सवालों के जवाब कहानी नहीं देती।
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सारिका के किरदार पर भी लेखकों को थोड़ा काम करने की जरूरत थी। बहरहाल सिनेमेटोग्राफर मनोज कुमार खटोई ने दिल्ली से एवरेस्ट तक के सफर को बहुत खूबसूरती से दर्शाया है। फिल्म की दिक्कत इसकी अवधि है। 169 मिनट की इस फिल्म को चुस्त एडिटिंग से कम किया जा सकता था।
ऊर्जावान दिखे अमिताभ बच्चन
कलाकारों की बात करें तो अमित के किरदार में अमिताभ असल जिंदगी की तरह किरदार में भी बेहद ऊर्जावान हैं। उन्होंने अपने किरदार के उतार-चढ़ाव को समुचित भाव के साथ उतारा है। चाहे भावनात्मक दृश्य हो या हल्का फुल्का कामिक सीन वह अपनी अदायगी की छाप छोड़ने में कामयाब रहते हैं। हालांकि, इंस्टाग्राम पर जब वह कहते हैं कि अभिलाषा की बढ़ती उम्र कहीं मेरी उम्र का पर्दा ना खोल दें, इसलिए उसे दूर कर दिया। एक लेखक की यह सोच समझ से परे रही। तुनकमिजाज ओम की भूमिका में अनुपम खेर जंचते हैं।
(सभी फोटो सौजन्य- टीम ऊंचाई)
दब्बू पति की भूमिका में बमन ईरानी भी प्रभावित करते हैं। कहानी का आकर्षण नीना गुप्ता का किरदार भी है। इतने कलाकारों की मौजूदगी में उन्हें अभिनय के कई पहलू दिखाने का मौका मिला है। ट्रेक गाइड की भूमिका में परिणीति चोपड़ा ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। सारिका के हिस्से में भावनात्मक दृश्य आए हैं, जिन्हें वह सहजता से निभा ले जाती हैं। बाकी फिल्म का गीत-संगीत औसत है।
प्रमुख कलाकार: अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर, बमन ईरानी, नीना गुप्ता, सारिका, परिणीति चोपड़ा आदि।
निर्देशक: सूरज बड़जात्या
अवधि: 169 मिनट
स्टार: तीन
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