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    The Trial Review: पति, पत्नी और बेवफाई में वकालत का तड़का, फिसलती सीरीज में काजोल-अली के अभिनय ने जकड़ा

    The Trial Review ओटीटी स्पेस में कई कोर्टरूम ड्रामा मौजूद हैं। खुद डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर क्रिमिनस जस्टिस जैसी सीरीज मौजूद हैं जिसमें पंकज त्रिपाठी लीड रोल निभाते हैं। अब अजय देवगन निर्मित द ट्रायल डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आ गयी है जिसमें काजोल वकील के किरदार में हैं। पहली बार उन्होंने इस फॉरमेट में काम किया है। पूरा रिव्यू यहां पढ़ें।

    By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthUpdated: Fri, 14 Jul 2023 03:21 PM (IST)
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    The Trial Review Staring Kajol Jisshu Sengupta. Photo- Instagram

    मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। ओटीटी स्पेस में देवी, त्रिभंग और द लस्ट स्टोरीज 2 कर चुकीं काजोल ने डिज्नी प्लस हॉटस्टर के शो द ट्रायल के साथ वेब सीरीज की दुनिया में कदम रख दिया है। यह अमेरिकी टीवी शो द गुड वाइफ का भारतीय रूपांतरण है।

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    हालांकि, हिंदी अडेप्टेशन की घोषणा द वाइफ शीर्षक के साथ ही की गयी थी, मगर रिलीज नजदीक आते-आते शो का टाइटल 'द ट्रायल' कर दिया गया।

    टाइटल बदल दिया गया, मगर सीरीज में यहां-वहां काजोल के किरदार को उसकी चारित्रिक खूबियों के कारण द गुड वाइफ कहकर संबोधित किया गया है। इस कोर्टरूम ड्रामा सीरीज में काजोल वकील के किरदार में हैं, साथ ही उन्हें एक मां और पत्नी के रूप में भी दिखाती है।

    नेटफ्लिक्स की एंथोलॉजी फिल्म लस्ट स्टोरीज 2 में घरेलू हिंसा की शिकार पत्नी का किरदार निभाने के बाद द ट्रायल में उन्होंने तेज-तर्रार वकील का रोल निभाया है। काजोल के अभिनय की एक अलग रेंज दिखायी देती है और यही इस सीरीज को देखने की सबसे बड़ी वजह भी है। कोर्टरूम ड्रामा आम तौर पर रोमांचक होते हैं, मगर द ट्रायल उस लिहाज से हल्का साबित होता है। 

    क्या है 'द ट्रायल' की कहानी?

    राजीव सेनगुप्ता (जिशु सेनगुप्ता) मुंबई में एजिश्नल जज है। एमएमएस सार्वजनिक होने पर उसे घूस के रूप में सेक्सुअल फेवर मांगने के इल्जाम में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है और सारी चल-अचल सम्पत्ति को जब्त कर लिया जाता है।

    दो बेटियों की परवरिश के लिए पत्नी नोयोनिका सेनगुप्ता (काजोल) को वापस वकील का चोगा पहनना पड़ता है। नोयोनिका शादी से पहले खुद वकील थी, मगर पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से वो वकालत छोड़ देती है और अब मजबूरी में उसे फिर कोर्ट में उतरना पड़ता है।

    नोयोनिका, अपने लॉ कॉलेज के साथी विशाल (अली खान) एक लॉ फर्म में इंटर्न से शुरू करती है, मगर अपनी काबिलियत से फर्म में अहम जगह बना लेती है। हालांकि, विशाल की पार्टनर मालिनी (शीबा चड्ढा) को वो पसंद नहीं।

    कोर्ट केसेज और काम की चुनौतियों के साथ नोयोनिका के सामने दोनों टीनेज बेटियों की सम्भालने का भी बड़ा टास्क है, जो पिता की वजह से स्कूल में उपहास का पात्र बन चुकी हैं। सीरीज जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, राजीव और उस पर लगे इल्जामों को लेकर भी नये खुलासे होते हैं।

    कैसा है 'द ट्रायल' का स्क्रीनप्ले और अभिनय?

    रॉबर्ट किंग और मशेल किंग के शो द गुड वाइफ को हिंदी में अब्बास दलाल, हुसैन दलाल और सिद्धार्थ कुमार ने लिखा है और सुपर्ण वर्मा ने निर्देशन किया है। पूरी कहानी को आठ एपिसोड्स में फैलायी गयी है। हर एक एपिसोड 40 मिनट से अधिक अवधि का है।

    एक विचार के स्तर पर देखें तो 'द ट्रायल' की कहानी काफी दिलचस्प है, मगर लेखन टीम स्क्रीनप्ले के माध्यम से वो असर पैदा करने में चूक गयी, जैसा कहानी की संवेदनशीलता और संजीदगी के मद्देनजर होना चाहिए। इसीलिए यह टुकड़ों में प्रभावित करती है और एक रोमांच की रवानगी की कमी महसूस होती है। 

    शुरुआत टीवी चैनलों पर राजीव सेनगुप्ता के शारीरिक संबंध वाले एमएमएस के दिखाये जाने के बाद गिरफ्तारी के साथ होती है। यह ऐसा दृश्य है, जिसमें भावनाओं का ज्वार-भाटा दिखाने की अपार सम्भावनाएं थीं, मगर यह ओपनिंग सीक्वेंस भावुक नहीं कर पाती।

    हां, नोयोनिका का कसमसाकर राजीव को थप्पड़ मारना और फिर समाज को दिखाने के लिए उसका हाथ पकड़कर पुलिस वैन तक छोड़ने जाना बहुत कुछ कहता है।

    सीरीज साज-सज्जा के मामले में भी कहीं-कहीं मात खाती दिखती है। राजीव के सारे एसेट्स सीज होने के बाद नोयोनिका लगभग सड़क पर आ चुकी है। आय का कोई दूसरा साधन नहीं है, क्योंकि वो सालों से सिर्फ हाउसवाइफ है। राजीव के जेल जाने के बाद उन्हें मुंबई के उपनगर में किराये के फ्लैट में रहना पड़ता है। स्कूल की फीस का संकट है, मगर नोयोनिका का रहन-सहन देखकर इस गुरबत का एहसास नहीं होता।

    इसकी भरपाई कोर्ट-कचहरी के दृश्यों की लोकेशन, पृष्ठभूमि और साजसज्जा से हो जाता है। यह दृश्य वास्तविकता के ज्यादा करीब दिखते हैं, मगर यहां सीरीज जिरह के दृश्यों में मात खा जाती है। यह दृश्यों दो वकीलों के बीच तथ्यों की बहस पर टिके होते हैं और आम तौर पर रोमांचक होते हैं। यहां इन दृश्यों में इंटेंसिटी की कमी अखरती है।

    एक स्टार क्रिकेटर के सुसाइड केस में फंसी उसकी गर्लफ्रेंड (मनस्वी ममगई) का मीडिया ट्रायल बॉलीवुड में हुए एक ऐसे ही केस की याद दिलाता है। उसके बरी होने के बावजूद मीडिया में उसे दोषी ठहराने की जिद और इसके खिलाफ नोयोनिका की लड़ाई सीरीज का सबसे दिलचस्प हिस्सा है। कुछ स्थानों पर ऐसा लगता है कि बस संवाद अदायगी के लिए अभिनय कर रहे हैं। 

    कामकाजी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बैठाती मां के किरदार में काजोल ने अपनी उर्जा किरदार को देने को देने की पूरी कोशिश की है। तमाम दुख होते हुए भी खुद को सम्भालकर रखना और बेटियों को सब ठीक हो जाने की तसल्ली देने वाली मां के किरदार में उन्होंने प्रभावित किया है। मगर, जेल में बंद पति के साथ उनके दृश्य भावनात्मक तौर पर हल्के लगते हैं। इस किरदार की छटपटाहट खुलकर बाहर नहीं आ पाती। 

    जज राजीव के किरदार में जिशु सेनगुप्ता का किरदार परतदार है। उसके बारे में सही-गलत का फैसला करना मुश्किल है। राजीव भले ही अपने ऊपर लगे घिनौने आरोपों के अपराधबोध में हो, मगर फिर भी लगता है कि उसका कोई और सच भी है। जिशु ने इस किरदार को बस निभायाभर है। पति-पत्नी के बीच मोहब्बत और नफरत, दोनों की कमी खलती है।

    बाकी सहयोगी किरदारों में नोयोनिका के पूर्व प्रेमी और मौजूदा बॉस विशाल के रोल में अली खान बेहद संजीदा दिखे हैं। नोयोनिका के लिए अपनी भावनाओं को बहने से रोकते प्रेमी के तौर पर उनका अभिनय प्रभावित करता है।

    नोयोनिका की सहयोगी सना के रोल में कुब्रा सैत और बॉस के किरदार मालिनी में शीबा चड्ढा असरदार हैं। खासकर, सीनियर वकील और कम्पनी की पार्टनर के किरदार में शीबा हमेशा की तरह बेहद नैचुरल दिखी हैं। इस शिथिल रफ्तार स्क्रीनप्ले वाली सीरीज में कलाकारों का अभिनय रोककर रखता है। 

    कलाकार: काजोल, जिशु सेनगुप्ता, अली खान, शीबा चड्ढा, किरण कुमार, कुब्रा सैत आदि।

    निर्देशक: सुपर्ण एस वर्मा

    निर्माता: अजय देवगन फिल्म्स और बनिजेय एशिया

    प्लेटफॉर्म: डिज्नी प्लस हॉटस्टार

    अवधि: 8 एपिसोड्स (लगभग 40 मिनट प्रति एपिसोड)

    रेटिंग: तीन स्टार