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    The Great Shamsuddin Family Review: कुछ कहते-कहते रह गई द ग्रेट शम्सुद्दीन फैमिली, कॉमेडी में उठाया गहरा मुद्दा

    By Priyanka SinghEdited By: Tanya Arora
    Updated: Fri, 12 Dec 2025 03:35 PM (IST)

    The Great Shamsuddin Family Movie: फरीदा जलाल और कृतिका कामरा की फैमिली ड्रामा कॉमेडी फिल्म 'द ग्रेट शम्सुद्दीन फैमिली ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो चु ...और पढ़ें

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    द ग्रेट शम्सुद्दीन फैमिली रिव्यू/ फोटो- जागरण ग्राफिक्स

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    प्रियंका सिंह, मुंबई। कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जिन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कहना आसान होता है। जियो हॉटस्टार पर रिलीज हुई फिल्म द ग्रेट शम्सुद्दीन फैमिली की कहानी भी ऐसी ही है।

    क्या है द ग्रेट शम्सुद्दीन फैमिली की कहानी?

    कहानी दिल्ली के एक मुस्लिम परिवार की है। बानी (कृतिका कामरा) तलाकशुदा है और अमेरिका में नौकरी के लिए अप्लाई करती है, उसे अपना प्रेजेंटेशन 12 घंटों में सबमिट करनी होती है। उसी दिन उसके घर में परिवार एक के बाद एक लोग जमा होने लगते हैं। बानी की कजिन बहन इरम (श्रेय धनवंतरी) भी तलाकशुदा है, उसे मेहर के 25 लाख कैश में मिले हैं, जिसे उसे बैंक में जमा करवाने जाना है। बानी का कजिन भाई जोहेब (निशांक वर्मा) अपनी गर्लफ्रेंड पल्लवी (अनुष्का बनर्जी) के साथ आ जाता है, जिससे उसे शादी करनी है। बानी का प्रोफेसर अमिताव (पूरब कोहली) भी पहुंचता है। घर के बुजुर्ग जो मक्का पर जाने की योजना बना रहे हैं, जिनमें अक्को (फरीदा जलाल), आसिया (डॉली आहलूवालिया), सफिया (शीबा चड्ढा) और नबीला (नताशा रस्तोगी) शामिल हैं, वह भी बानी के घर पहुंच जाते हैं। फिल्म हर घरवाले की जिंदगी में झांकती है।

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    एक दिन में सिमटी कहानी

    अनूषा की लिखी यह कहानी एक ही दिन में सिमटी हुई है। ऐसे में एक घर के भीतर, इतने सारे पात्रों की अलग-अलग दिक्कतों के साथ एक कहानी को पिरोने के लिए अनूषा की सराहना बनती है। एक ही बैकग्राउंड में शूटिंग करना फिल्म को बोरिंग बना सकता है, लेकिन इसमें ऐसा नहीं होता, जिसका श्रेय देबाशीष रेमी दलाई की सिनेमैटोग्राफी को जाता है।

    संवादों के जरिए कई गहरे मुद्दों जैसे मुस्लिम परिवार की लड़की की दूसरी शादी, हिंदू धर्म के लड़के या लड़की से प्यार और शादी, जल्दबाजी में बेटी की कम्र में शादी फिर तलाक समेत कई बातें फिल्म करती है, लेकिन केवल सतही तौर पर। वह सभी पात्रों के जिंदगी में झांकती है और निकल जाती है। संदेश अच्छा है कि इन सबके बावजूद सब साथ हैं और एकदूसरे को संभालने की कोशिश कर रहे हैं।

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    फिल्म बहुत कुछ कहना चाहती है, लेकिन कह नहीं पाती है। एक सवाल बार-बार सामने आता है, जब बानी कहती है कि यहां कैसे रहेंगे, हालात देख रही हो.. यहां वह किन हालातों की बात कर रही है। अनूषा क्या ये कहना चाह रही हैं कि एक विशेष समुदाय के लिए देश में रहना कठिन है। जब पूरब का पात्र कहता है कि रजिस्ट्रार शादी कराने के लिए दो लाख रुपये लेगा, क्योंकि लड़का मुस्लिम है और उस पर फरीदा के पात्र का कहना कि रिश्वत तो सेक्यूलर होनी चाहिए, कुछ सवाल खड़े करके कहना चाहती है, लेकिन बिना जवाब दिए आगे बढ़ जाती है।

    कलाकारों ने कहानी में भर दी जान

    अभिनय की बात करें, तो कृतिका कामरा ने बानी के परतदार रोल को बखूबी निभाया है। उनकी बहनों के रोल में श्रेया धनवंतरी, जूही बब्बर सोनी का काम अच्छा है। फरीदा जलाल, डॉली आहलूवालिया, नताशा रस्तोगी और शीबा चड्ढा का अभिनय दमदार है। वह अपने संवादों से न केवल गहरी बातें कर जाती है, बल्कि कहानी में हल्के-फुल्के पल भी लेकर आती हैं। प्रोफेसर के रोल में पूरब कोहली मजेदार हैं।

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