Move to Jagran APP

Tejas Review: कमजोर स्क्रीनप्ले ने फेरा कंगना रनोट की मेहनत पर पानी, एक्ट्रेस के कंधों पर पूरी फिल्म

Tejas Movie Review कंगना रनोट की फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो गयी है। एक्ट्रेस ने फिल्म में वायु सेना अधिकारी का रोल निभाया है। फिल्म की कहानी एक तेजस गिल के जांबाजी से भरे मिशन गको दिखाती है। फिल्म में वरुण मित्रा अंशुल चौहान और आशीष विद्यार्थी ने प्रमुख किरदार निभाये हैं।

By Jagran NewsEdited By: Manoj VashisthFri, 27 Oct 2023 02:59 PM (IST)
Tejas Review: कमजोर स्क्रीनप्ले ने फेरा कंगना रनोट की मेहनत पर पानी, एक्ट्रेस के कंधों पर पूरी फिल्म
तेजस सिनेमाघरों में रिलीज हो गयी है। फोटो- इंस्टाग्राम

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। स्‍वदेश में निर्मित और भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल लड़ाकू विमान तेजस की सबसे बड़ी खासियत है कि ये विमान एक साथ दस टारगेट्स को ट्रैक करते हुए हमला कर सकता है। इसे टेकऑफ के लिए ज्यादा बड़े रनवे की जरूरत नहीं होती।

साथ ही यह हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों जगहों पर हमला करने में कारगर है। यह हर तरह के मौसम में काम करने में पूरी तरह से सक्षम है। यह सभी खूबियां तेजस को एक अनूठा एयरक्राफ्ट बनाती हैं।

साल 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ही इस हल्के लड़ाकू विमान का नामकरण किया था। इसी तेजस के केंद्र में कंगना रनोट अभिनीत फिल्‍म तेजस सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। यह फिल्‍म तेजस की खूबियों को बेहतर तरीके से बताती है, लेकिन कहानी और स्क्रीनप्‍ले के स्‍तर पर लड़खड़ा गई है।

यह भी पढ़ें: 12th Fail Review- अभिनय की परीक्षा में विक्रांत मैसी अव्‍वल नम्बरों से पास, कोचिंग संस्थानों की खुली पोल

क्या है तेजस की कहानी?

सर्वेश मेवाड़ा द्वारा लिखित और निर्देशित तेजस के ओपनिंग शॉट से विंग कमांडर तेजस गिल (कंगना रनोट) के साहस से परिचित करवा दिया जाता है। वह निर्देशों की अनदेखी करते हुए अपनी जान जोखिम में डालकर निषिद्ध घोषित द्वीप में अपने सहयोगी की जान बचाती हैं। फिल्म की कहानी स्क्रीनप्ले के जरिए अतीत और वर्तमान का सफर करती है। अतीत में तेजस और प्रख्‍यात गायक एकवीर (वरूण मित्रा) की प्रेम कहानी परवान चढ़ती है।

कहानी वर्तमान में लौटती है तो दिखाया जाता है कि एक भारतीय एजेंट प्रशांत (विकास नायर) को पाकिस्‍तानी आतंकियों द्वारा पकड़ने का वीडियो जारी किया गया है। दरअसल, यह एजेंट वायुसेना की ट्रेनिंग के दौरान तेजस का सहयोगी होता है।

वह अपनी आंखों के इशारे से कोई जानकारी दे रहा होता है। तेजस उसे बचाने के मिशन पर जाती है। इस बीच पता चलता है कि 26 नवंबर, 2008 को हुए हमले में उसके परिवार और एकवीर की मृत्‍यु हो चुकी होती है।

कैसा है स्क्रीनप्ले और कंगना का अभिनय?

करीब तीन साल पहले आई फिल्‍म गुंजन सक्‍सेना : द कारगिल गर्ल भारतीय महिला पायलट की सच्‍ची कहानी से प्रेरित थी। उससे वायु सेना की कार्यप्रणाली की अच्‍छी झलक मिली थी। तेजस को शुरुआत में ही काल्‍पनिक कहानी बता दिया गया है।

फिल्‍म का फर्स्‍ट हाफ तेजस की जिंदगी से परिचित कराता है। कहानी के मुख्‍य मुद्दे महिला सशक्तिकरण, लिंग भेद और देशभक्ति हैं। इन मुद्दों के साथ स्क्रीनप्‍ले पर गहराई से काम करने की जरूरत थी। अनुशासनात्‍मक कार्रवाई के दौरान तेजस का सारी जिम्‍मेदारी खुद पर लेना जैसे दृश्‍यों में कोई नयापन नहीं है।

यह भी पढ़ें: Mujib Review: बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान की जिंदगी पर्दे पर लाये श्याम बेनेगल, दहलाता है क्लाइमैक्स

इसी तरह तेजस जब पुरुषों के शौचालय में घुस जाती है तो हड़कंप मचना चाहिए था। वह दृश्‍य उतना रोमांचक नहीं बन पाया। मध्‍यांतर के बाद कहानी प्रशांत को बचाने पर केंद्रित होती है। वहां से कहानी में गति आती है। तेजस और उसकी सहयोगी महिला पायलट आफिया (अंशुल चौहान) को इस मिशन पर भेजा जाता है।

पाकिस्‍तानियों की आंख में धूल झोंक कर रनवे पर तेजस विमान को खड़ा करने और फिर वहां से उड़ान भरने के दृश्‍य रोचक हैं। उसके बाद आकाश में तेजस का दुश्‍मन के विमानों से लोहा लेने और धरातल पर आतंकियों के मंसूबे कायम करने के दृश्‍य बांध कर रखते हैं।

क्‍लाइमैक्‍स में राम मंदिर पर सुनियोजित हमले का प्रसंग बेहद बचकाना है। लगता है कि खुफिया एजेंसिया बुरी तरह नाकाम हैं। सारा भार सिर्फ तेजस पर है। लेखन स्‍तर पर यह फिल्‍म बुरी तरह मात खाती है। फिल्‍म में मुंबई हमले का जिक्र है। उस सीन को बहुत सतही तरीके से चित्रित किया है। पाकिस्‍तानी आतंकियों द्वारा पकड़े गये भारतीय एजेंट को छुड़ाने का दृश्‍य भी हैरतअंगेज नहीं बन पाया है।

कंगना बेहतरीन अभिनेत्री हैं। फिल्‍म का भार मूल रूप से उनके कंधों पर है। उनका सधा अभिनय कमजोर स्क्रिप्‍ट का भार नहीं उठा पाता है। अंशुल चौहान फिल्‍म का खास आकर्षण हैं।

कंगना की मौजूदगी में वह अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहती हैं। वरूण मित्रा के हिस्‍से में कुछ खास नहीं आया है। कुमार के लिखे गीत और शाश्‍वत सचदेव का संगीत साधारण है। फिल्‍म का कमजोर पहलू इसका स्‍पेशल इफेक्‍ट्स भी है।