Sikandar Ka Muqaddar Review: क्या सिकंदर लिख पाएगा पुलिसवाले का मुकद्दर, सस्पेंस ऐसा कि उड़ जाएंगे होश
Sikandar Ka Muqaddar Review जिम्मी शेरगिल अविनाश तिवारी और तमन्ना भाटिया स्टारर सस्पेंस थ्रिलर फिल्म सिकंदर का मुकद्दर का फैंस को एक लंबे समय से इंतजार था। नीरज पांडे के निर्देशन में बनी ये फिल्म फाइनली अब सबसे बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स (Netflix) पर रिलीज हो चुकी है। क्या ट्रेलर की तरह ढाई घंटे की इस मूवी की कहानी है पावरफुल यहां पर पढ़ें रिव्यू

तान्या अरोड़ा, नई दिल्ली। 'यहां हम सबकी लाइफ के पकोड़े तल गए और तू तबस्सुम के साथ स्विट्जरलैंड में..। दमदार डायलॉग्स और मजबूत स्क्रीनप्ले के साथ लौटे निर्देशक नीरज पांडे की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। स्पेशल 26, बेबी और अ वेडनेसडे जैसी फिल्मों के डायरेक्टर नीरज पांडे ने अलग-अलग जॉर्नर की फिल्मों का निर्देशन किया है।
स्पेशल ऑप्स के साथ ओटीटी पर डेब्यू करने वाले डायरेक्टर की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'सिकंदर का मुकद्दर' फाइनली नेटफ्लिक्स पर आ चुकी है। जब फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ था तो उसमें जिम्मी शेरगिल एक डायलॉग कहते हैं 'सिकंदर के मुकद्दर' की बायोपिक लिखी जा रही है, जिसका डायरेक्टर मैं हूं।
हालांकि, जब आप ये फिल्म देखेंगे तो सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर कौन किसका मुकद्दर लिख रहा है। ट्रेलर में सबसे बड़ा सवाल ये था कि कामिनी सिंह, मंगेश देसाई और सिकंदर शर्मा में से कौन आरोपी है? फिल्म में हर कदम पर इतना सस्पेंस है कि आप शायद मूवी में इतना डूब जाए कि जिम्मी शेरगिल के साथ-साथ खुद भी आरोपी ढूंढने के चक्कर में खाना पीना भूल जाए। नीरज पांडे की ये फिल्म ढाई घंटे बिना बोर किए आपका मनोरंजन करेगी या नहीं, यह जानने के लिए पढ़ें पूरा रिव्यू:
फिल्म में सस्पेंस देख घूम जाएगा दिमाग
'सिकंदर का मुकद्दर' की कहानी शुरू होती है मुंबई के नेस्को में चल रहे एक एग्जीबिशन के साथ, जहां एक अनजान शख्स फोन करके ऑन ड्यूटी इंस्पेक्टर कांबले से बात करने की गुजारिश करता है। जब कांबले फोन उठाता है, तो वह उसे बताता है कि आपके एग्जीबिशन में चार लोग चोरी करने वाले हैं, जिनके पास एके-47 जैसे हथियार है और सेंटर में घुसने के लिए उनकी फेक आईडी बनाई गई है, आपके पास बस पांच मिनट है।
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जब पुलिस चेक करती है, तो ये सच निकलता है, जिसके बाद वहां मौजूद सभी लोगों को इन्फॉर्म किया जाता है और जैसे ही वह सबको एक जगह इकठ्ठा करने लगते हैं, तभी गोली की आवाज आती है, जिससे एग्जीबिशन में अफरा-तफरी मच जाती है। पुलिस वहां माहौल शांत करवाती है और लूटमार करने आए चार लोगों को पकड़ती है। इस बीच ही कामिनी सिंह अपने सीनियर मंगेश देसाई को ये बताती है कि उनके पांच रेड सॉलिटेयर चोरी हो गए हैं।
होम मिनिस्टर इस केस को सॉल्व करने की ड्यूटी जसविंदर सिंह को देते हैं। एग्जीबिशन में चोरी के केस की पड़ताल कर रहे सब इंस्पेक्टर को ये शक होता है कि किसी ने मौका देखकर चौका मारा है और हीरो की चोरी की है। वह कांबले से उसके नाम पूछता है और वह मंगेश और कामिनी की तरफ इशारा करता है।
वहां मौजूद सभी से पूछताछ होती है, ऐसे में क्लाइंट के एवी ठीक करने आया सिकंदर शर्मा पूछताछ के दौरान कुछ ऐसा करता है, जिससे जसविंदर को उस पर शक होता है और वह अपनी मूल प्रवृत्ति (instinct) के आधार पर मंगेश को आरोपी नंबर 1, कामिनी को आरोपी नंबर 2 और सिकंदर शर्मा को आरोपी नंबर 3 मान लेता है और उनसे पूछताछ करने के लिए उन्हें गिरफ्तार करता है। रिमांड में लेकर वह सिकंदर से सच उगलवाने की कोशिश करता है, लेकिन तीनों में से कोई ये स्वीकार करने को तैयार नहीं होता कि वह आरोपी हैं। 15 साल बीत जाते हैं, लेकिन आरोपी नहीं मिलता।
15 साल बाद कहानी आगे बढ़ाते हुए निर्देशक ने दिखाया है कि केस सॉल्व न कर पाने के कारण जसविंदर को सस्पेंड कर दिया जाता है और जब वह दिन दहाड़े पुलिस स्टेशन के टॉयलेट में जाकर दारू पीता है, तो सीनियर उसे टर्मिनेट कर देता है। नौकरी से हाथ धो चुके जसविंदर का उसकी बीवी से भी तलाक हो जाता है। जब उसे 15 साल के बाद किसी से सिकंदर के बारे में पता लगता है, तो वह उससे उसका नंबर मांगकर माफी मांगता है और कहता है कि मेरा इंस्टिंक्ट गलत था।
सिकंदर उसे अपनी 15 साल पहले कही बात याद दिलाता है और उससे सामने-सामने मिलकर माफी मांगने के लिए कहता है। इस बीच उन 15 सालों में सिकंदर और कामिनी की जिंदगी में क्या-क्या होता है, उस बैक स्टोरी को भी दिखाया गया है। पुलिस के पास उनके खिलाफ सबूत न होने की वजह से उन्हें पहले बेल मिलती है। बेल के पैसे सिकंदर की जगह कामिनी देती है और दोनों की लव स्टोरी शुरू हो जाती है। दोनों शादी करके मुंबई छोड़ देते हैं और आगरा में शिफ्ट हो जाते हैं।
केस की तारीख पर मुंबई में न रहने के लिए कोर्ट कामिनी और सिकंदर के खिलाफ वॉरेंट जारी कर देता है, जिसकी वजह से सिकंदर को मुंबई आना पड़ता है। उसके बाद जज बदल जाने पर जसविंदर (पुलिस इंस्पेक्टर) जब कोर्ट में मौजूद नहीं होता तो तीनों आरोपियों को बरी कर दिया जाता है और केस बंद हो जाता है। 15 साल के गैप में फिल्म में ये भी दिखाया गया है कि कैसे पुलिस इंसपेक्टर जसविंदर, सिकंदर को परेशान करने के लिए कभी उसकी नौकरी, तो कभी उसका घर छीन लेता है। फिल्म में किरदारों की जिंदगी को 15 साल आगे जरूर बढाया गया है, लेकिन निर्देशक ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि बैक स्टोरी ऑडियंस को समझ आती रहे।
15 साल बाद जब सिकंदर अबू धाबी से लौटता है, तो उसका और जसविंदर का आमना-सामना होता है। जसविंदर उससे माफी मांगने से पहले ये पूछता है कि तबस्सुम कौन है, जो उसे अबू धाबी में मिली। यह सुनकर सिकंदर थोड़ा हैरान है, लेकिन फिर उसे पूरा सच बताता है। जसविंदर अपनी मूल प्रवृत्ति(instinct) गलत बताते हुए उससे फेस टू फेस माफी मांगता है। जिसे सुनकर राहत की सांस लेकर सिकंदर वहां से जाने लगता है, तभी जसविंदर उसे बताता है कि कामिनी उनके लिए काम करती है, लेकिन क्यों इसके पीछे भी एक कहानी है।
Photo Credit- Netflix Youtube
ये सुनकर सिकंदर को झटका लगता है, वह जसविंदर को थप्पड़ मारकर वहां से निकल जाता है। घर जाकर वह कामिनी को सच बताता है और छोड़ देता है। लास्ट के 30 मिनट की कहानी में खुलता है असली सस्पेंस जब सिकंदर अपनी पड़ोसी प्रिया से मिलने जाता है, जो उसके बचपन की दोस्त होती हैं और हीरों की हेरा-फेरी करने में उसकी मदद करती हैं।
सिकंदर को लगता है कि उसने हीरे चुराकर सबको चकमा दे दिया है, लेकिन जसविंदर जिसकी मूल प्रवृति कभी गलत नहीं होती, वह उसको बस में लौटते हुए पकड़ लेता है।उसने एग्जीबिशन से कैसे हीरे बाहर निकाले, उसे कैसे पता चला कि कामिनी उनके लिए काम करती है और कैसे उसने चोरी की प्लानिंग बनाई, जसविंदर उससे ये सब उगलवाता है। जसविंदर को लास्ट में ये समझ आता है कि वह सिकंदर का मुकद्दर नहीं, बल्कि सिकंदर उसका मुकद्दर लिख रहा था। फिल्म के एंड में सिकंदर उसे एक प्रपोजल देता है, वह प्रपोजल क्या है, इस सवाल के साथ फिल्म खत्म हो जाती है।
क्या हैं फिल्म के माइनस और प्लस प्वाइंट्स
फिल्म की कहानी अच्छी है। निर्देशक नीरज पांडे ने इसमें भरपूर सस्पेंस भी डाला है, लेकिन फिल्म को 2 घंटे के भीतर खत्म किया जा सकता था। तबस्सुम का किरदार अगर फिल्म में नहीं भी होता, तो भी कहानी पर ज्यादा इम्पैक्ट नहीं होता। इसके अलावा चोरी से पहले कभी एक दूसरे का नाम तक न जानने वाले कामिनी और सिकंदर के बीच अचानक लव स्टोरी कैसे शुरू हो जाती है, ये भी सोच से परे है। 32 साल से हीरे की कंपनी में काम कर रहे आरोपी नंबर 1 मंगेश के किरदार को एकदम से ही गायब कर दिया गया।
इसके अलावा जसविंदर की पत्नी क्यों उससे तलाक लेती है, ये भी फिल्म के एंड तक समझ नहीं आता। फिल्म के प्लस प्वाइंट ये हैं कि सिकंदर के साथ चोरी में प्रिया शामिल है, ये शायद फिल्म की एंडिंग तक किसी के दिमाग में ख्याल आए भी नहीं। तीनों में से आरोपी कौन है, बस एक ये सवाल आपको फिल्म से जोड़े रखने के लिए काफी है। नीरज पांडे ने फिल्म की कहानी को शानदार तरीके से लिखने के साथ-साथ उसे अच्छी तरह से एग्जीक्यूट किया है, बस फिल्म का टाइमिंग थोड़ा ज्यादा हो गया है।
तमन्ना से लेकर जिम्मी तक सितारों ने किया कैसा काम?
इस बात की तारीफ करनी पड़ेगी कि फिल्म में हर एक्टर ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। तमन्ना भाटिया एक शादीशुदा महिला कामिनी सिंह के रूप में खूब जंची। उनके डायलॉग फिल्म में काफी लिमिटेड थे, लेकिन उन्होंने वह काफी अच्छे से निभाए।
इसके अलावा सब इंस्पेक्टर जसविंदर सिंह के रूप में जिम्मी शेरगिल का काम काबिल-ए-तारीफ हैं। उनके बोले डायलॉग आपकी जुबान पर चढ़ने वाले हैं। इसके अलावा अविनाश तिवारी 'सिकंदर' के रूप में मासूम चेहरे के पीछे छुपे चालाक दिमाग वाले व्यक्ति के रूप में खूब जंचे। अहम भूमिका निभाने वालीं जोया अफरोज, दिव्या दत्ता, राजीव मेहता ने भी अपने-अपने किरदार में जान फूंकी है।
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