Move to Jagran APP

Shehar Lakhot Review: हर किरदार में है खोट... यह है शहर लखोट, प्रियांशु और चंदन ने जमाया रंग

Shehar Lakhot Review प्राइम वीडियो पर क्राइम सीरीज शहर लखोट स्ट्रीम हो गयी है। इस सीरीज में प्रियांशु पेन्युली श्रुति मेनन और चंदन रॉय सान्याल प्रमुख किरदारों में हैं। वहीं कुब्रा सैत मनु ऋषि चड्ढा आशीष थपलियाल ने सहयोगी भूमिकाएं निभायी हैं। मारबल माइनिंग के लिए मशहूर काल्पनिक शहर में सेट की गयी यह कहानी नवदीप सिंह की शैली को दिखाती है।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthPublished: Thu, 30 Nov 2023 06:22 PM (IST)Updated: Thu, 30 Nov 2023 06:22 PM (IST)
शहर लखोट प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गयी है। फोटो- इंस्टाग्राम

मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। अनुष्का शर्मा के साथ एनएच 10 और अभय देओल के साथ मनोरमा सिक्स फिट अंडर फिल्मों के निर्देशक नवदीप सिंह का कहानियों की खासियत इसके किरदार होते हैं।

loksabha election banner

अपराध को दिखाने के लिए नवदीप की फिल्मों में जिस तरह इंसानी कमजोरियों और अपराध का ताना-बाना बुना जाता है, वो बहुत जमीनी होता है और वास्तविकता के बेहद करीब।

प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई नवदीप की क्राइम सीरीज शहर लखोट इन दोनों पहलुओं को साथ लेकर चलने वाली दिलचस्प क्राइम सीरीज है, जिसके किरदार इसकी सबसे बड़ी खूबी और कहानी के सस्पेंस का जरिया हैं। 

क्या है शहर लखोट की कहानी?

कथाभूमि उत्तर भारत का काल्पनिक कस्बा लखोट है, जो मारबल माइनिंग के कारोबार के लिए मशहूर है। शाही परिवार की नाजायज संतान  कैरव (चंदन रॉय सान्याल) इस कारोबार का सबसे बड़ा खिलाड़ी होने के साथ मारबल एसोसिएशन का अध्यक्ष भी है। सत्ता में बैठे बड़े नेताओं से संबंध रखता है।

यह भी पढ़ें: OTT Movies And Web Series- थिएटर्स में 'एनिमल' और 'सैम बहादुर' की टक्कर तो ओटीटी पर भी होगा जमकर बवाल

पुरानी विशालकाय हवेली को होटल में बदल दिया है, जिसमें जिस्मफरोशी और जुए का धंधा भी चलाता है। उसकी जिस जमीन पर मारबल की माइनिंग की जाती है, उस पर विकास (चंदन रॉय- पंचायत फेम) की अगुवाई में कचदार ट्राइबल्स आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जमीन पर उनका हक है।

ट्राइबल्स से बातचीत करने और इस मसले को सुलटाने के लिए गुरुग्राम स्थित माइनिंग कम्पनी अपने कर्मचारी देव यानी देवेंद्र सिंह तोमर (प्रियांशु पेन्युली) को लखोट भेजती है।

हालांकि, देव वहां जाने को पहले तैयार नहीं होता, क्योंकि यह उसका गृहनगर है और उसने कुछ ऐसा क्राइम किया है, जिससे उसके परिवार ने उससे अपने संबंध खत्म कर लिये हैं। कम्पनी के दबाव में देव को लखोट जाना पड़ता है, जहां उसका सामना नई तरह की मुश्किलें कर रही हैं, जिससे उसकी जिंदगी पूरी तरह बदलने वाली है।

कैसा है शहर लखोट का स्क्रीनप्ले?

शहर लखोट की स्टोरी-स्क्रीनप्ले नवदीप सिंह ने देविका भगत के साथ लिखा है। स्क्रीनप्ले की शुरुआत देव के किरदार से होती है और आगे की कहानी उसी के नजरिए से आगे बढ़ती है और नये-नये रहस्य खुलते हैं। देव का अतीत, परिवार के साथ संबंध, एक्स गर्लफ्रेंड, स्कूल के दोस्त, पुलिस, नेता... यह सब कहानी में जुड़ते चले जाते हैं। लगभग सभी किरदारों में कोई ना कोई खोट है।

ये किरदार जैसे-जैसे सामने आते हैं, देव के अतीत की एक नई परत खुलती जाती है और शो का रोमांच बना रहता है। देव ने अतीत में ऐसा क्या किया था कि 10 साल बाद लखोट लौटने पर हर कोई उसे शक की नजर से देखता है। ताने मारता है। सीधे मुंह बात तक नहीं करता।

बड़ा भाई जयेंद्र सिंह तोमर उर्फ जय (कश्यप हर्ष शंगारी) उसे देखते हुए ऑफिस से बाहर निकाल देता है। थानाध्यक्ष भी उसे धमकाने लगता है। एक्स गर्लफ्रेंड से लखोट से चले जाने को कहती है। यह सब बिंदु शुरुआत के एपिसोड्स को सस्पेंस में लपेटे रखते हैं, जिससे दृश्यों का रोमांच बना रहता है। 

कहानी में अहम मोड़ तब आता है, जब देव के बड़े भाई की कार एक्सीडेंट में मौत हो जाती है, मगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चलता है कि जय का कत्ल हुआ है। जय से खराब संबंध और आपराधिक रिकॉर्ड को देखते हुए पुलिस देव को पकड़ लेती है। कोई ठोस सबूत ना होने पर उसे जमानत मिल जाती है, मगर इस वजह से देव गुरुग्राम नहीं लौट पाता।

हालांकि, इस प्रसंग के बाद सीरीज की गति थोड़ा शिथिल मालूम पड़ती है, क्योंकि तब तक देव के अतीत की परतें खुल चुकी होती हैं, जो अभी तक सस्पेंस बनाये रखे हुए थीं। अलबत्ता, कैरव का किरदार जरूर सीरीज को इस पड़ाव पर सम्भालने की कोशिश करता है, जो ताकतवर बनकर उभरता है।

देव की एक्स गर्लफ्रेंड सैंडी अब कैरव के लिए काम करती है। जय की हत्या के तार भी कैरव से जुड़ते हैं। कैरव के किरदार के जरिए सीरीज अपराध, राजनीति और छोटे शहरों में पुलिस की शिथिल और पक्षपातपूर्ण कार्यशैली पर भी कमेंट करती है। 

कैसा है कलाकारों का अभिनय?

देव यानी देवेंद्र सिंह तोमर के किरदार में प्रियांशु पेन्युली की परफॉर्मेंस बेहद सधी हुई और किरदार के दायरे में है। यह किरदार इतना परतदार है कि अभिनय करने का भरपूर मौका देता है, जिसे प्रियांशु ने पूरी तरह भुनाया है। इसके लिए नवदीप और देविका की तारीफ भी करनी होगी।

उनका कैरेक्टर ग्राफ देव के किरदार को रियल जैसा रखता है। कैरव के किरदार में चंदन रॉय सान्याल ने पूरी तरह रंग जमाया है। बीच-बीच में अंग्रेजी की फिलॉस्फी झाड़ता ये किरदार अलग ही उभरकर आता है।

अन्य किरदारों की बात करें तो देव की गर्लफ्रेंड संध्या (सैंडी) के रोल में श्रुति मेनन, दोस्त के किरदार में आशीष थपलियाल, एसएचओ रणबीर रंगोट के किरदार में मनु ऋषि चड्ढा, ट्राइबल लीडर विकास कचदार के रोल में चंदन रॉय, एसआइ के किरदार में कुब्रा सैत और देव की भाभी विदुषी तोमर के किरदार में श्रुति जॉली ने उल्लेखनीय काम किया है। विदुषी के किरदार के जरिए सोशल मीडिया में रील बनाने के चलन पर भी कमेंट किया गया है।

यह भी पढ़ें: Filmfare OTT Awards 2023- इन 9 सीरीज ने जमाई धाक, अब तक नहीं देखीं तो इन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर करें बिंज वॉच

कैसी है सीरीज?

औसतन एक-एक घंटे के आठ एपिसोड की सीरीज अपनी लम्बाई की वजह से मात खाती है। इस वजह से बीच-बीच के कुछ एपिसोड खिंचे हुए लगते हैं, मगर कलाकारों का अभिनय साध लेता है।

संवाद बेहद सहज रखे गये हैं, जो बोलचाल वाली शैली में हैं, मगर इस रवानगी की वजह से गालियों की भरमार है। मिर्जापुर के 'ये भी सही है' की पुनरावृत्ति 'सही है' के रूप में सुनने को मिलती है। बेहतर है, हेडफोन का इस्तेमाल करें। अन्यथा सीरीज मनोरंजक है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.