School Of Lies Review: झकझोरते हैं 'स्कूल ऑफ लाइज' के सीक्रेट्स, निमरत-आमिर ने गाढ़ा किया सस्पेंस
School Of Lies Review डिज्नी प्लस हॉटस्टार की सीरीज एक बेहद अहम मुद्दे को एड्रेस करती है जो अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। शो का निर्देशन अविनाश अरुण ने किया है। अविनाश इससे पहले पाताल लोक का निर्देशन कर चुके हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। School Of Lies Review: ओटीटी स्पेस में स्कूल, कॉलेज और वहां के रहन-सहन को लेकर कई शोज हैं, मगर इनमें से ज्यादातर पढ़ाई के दवाब या हॉस्टल लाइफ को मनोरंजक अंदाज में पेश करते हैं। डिज्नी प्लस हॉटस्टार की नई वेब सीरीज 'स्कूल ऑफ लाइज' एक बोर्डिंग स्कूल में रहने वाले बच्चों के जरिए कई सवाल खड़े करता है।
जीवन के शुरुआती साल जिस स्कूल में बीतते हैं, वो जीवनभर की याद बनेगा या त्रासदी, यह बहुत कुछ स्कूल के माहौल पर निर्भर करता है। बच्चे के संगी-साथी कौन हैं? टीचर्स का व्यवहार कैसा है? मां-बाप से दूरी भावनात्मक तौर पर कितना कमजोर या मजबूत बनाती है? ऐसे तमाम सवालों को स्कूल ऑफ लाइज साथ लेकर चलती है।
क्या है 'स्कूल ऑफ लाइज' की कहानी?
शो की कथाभूमि पहाड़ों की गोद में बसा काल्पनिक कस्बा डाल्टन है, जहां स्थित बोर्डिंग स्कूल रिवर आइजैक स्कूल ऑफ एजुकेशन यानी RISE में घटनाक्रम होते हैं। 12 साल का बच्चा शक्ति सलगांवकर अचानक गायब हो जाता है। डोर्म में उसका बेड खाली होता है और क्लास में उसकी बेंच।
डोर्म इंचार्ज टीचर उसे दूसरे बच्चों की मदद से खोजने की कोशिश करते हैं, मगर जब नहीं मिलता तो पुलिस को इत्तला की जाती है और मां को बुलाया जाता है।
बच्चे को खोजने के क्रम में कहानी आगे बढ़ती है और यह सवाल बना रहता है कि शक्ति को आखिर क्या हुआ? वो खुद भागा है या कोई किडनैप करके ले गया है? इसके साथ सभी प्रमुख किरदार और उनके सीक्रेट्स एक-एक करके सामने आते हैं।
हर कोई किसी ना किसी समस्या से घिरा हुआ है। अंत में शो एक ऐसी कड़वी हकीकत को उजागर करता है, जो झकझोर देता है।
कैसा है स्क्रीनप्ले और कलाकारों का अभिनय?
आठ एपिसोड्स की सीरीज 'स्कूल ऑफ लाइज' का स्क्रीनप्ले इस तरह लिखा गया है कि पहले एपिसोड में तकरीबन सभी प्रमुख किरदार दिखा दिये जाते हैं और फिर आगे के एपिसोड्स में इन किरदारों की परतें खुलती हैं।
उनके जीवन के विभिन्न पहलू मुख्य ट्रैक के साथ आगे बढ़ते हैं। सीरीज के सस्पेंस को कायम रखने में किरदारों की निजी उलझनें योगदान देती हैं।
स्कूल ऑफ लाइज को देखते हुए बोर्डिंग स्कूल में रहने वाले बच्चों की मनोदशा से जुड़ाव होता है। उनका अकेलापन, उनकी दिक्कतें, उनका भावनात्मक संघर्ष सोचने को मजबूर करता है। जवानी की दहलीज पर खड़े किशोरों की जद्दोजहद भी जोड़कर रखती है। कुछ दृश्य अंदर तक कचोटते हैं।
स्कूल की करियर काउंसलर के किरदार में निमरत कौर और टीचर सैम के रोल में आमिर बशीर ने शो के मिजाज और सस्पेंस को बनाकर रखा है। इन दोनों कलाकारों को अभिनय करते हुए देखना सुखद अनुभव है। वरिन रूपानी, वीर पचीसिया और आर्यन सिंह अहलावत ने बराबर का साथ दिया है।
कैसा है अविनाश अरुण का निर्देशन?
2014 में मराठी ड्रामा फिल्म किल्ला बना चुके अविनाश अरुण ने स्कूल ऑफ लाइज का निर्देशन किया है। उस फिल्म की कहानी एक ऐसे बच्चे के बारे में थी, जो अपने पिता की मौत के बाद जिंदगी से सामंजस्य बिठाने की जद्दोजहद में जुटा है।
इसके बाद उन्होंने अनुष्का शर्मा निर्मित वेब सीरीज पाताल लोक का सह-निर्देशन किया। अनपॉज्ड की एक कहानी भी निर्देशित की।
इस सबके बीच अविनाश बतौर सिनेमैटोग्राफर लम्बी पारी खेल चुके हैं। स्कूल ऑफ लाइज में उन्होंने इस पारी का भरपूर उपयोग किया है। पहाड़ी लोकेशंस सस्पेंस और थ्रिल कहानियों के लिए बेहतरीन मानी जाती हैं। अविनाश ने कैमरे के जरिए कहानी के सस्पेंस को गाढ़ा किया गया है।
स्कूल ऑफ लाइज सधी हुई सस्पेंस-थ्रिलर सीरीज है, जिसमें इंसानी फितरत के जरिए रहस्य को गहरा किया गया है। हालांकि, यह धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ती है। कहानी और किरदारों को जज्ब करने के लिए कुछ वक्त देना होगा।
कलाकार- निमरत कौर, आमिर बशीर, वरिन रूपानी, वीर पचीसिया, आर्यन सिंह अहलावत आदि।
निर्देशक- अविनाश अरुण
प्लेटफॉर्म- डिज्नी प्लस हॉटस्टार
अवधि- लगभग आधे-आधे घंटे के 8 एपिसोड्स।
रेटिंग- तीन