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    Ram Setu Film Review: आस्‍था और तर्कों को खंगालती है अक्षय कुमार की 'राम सेतु', जानें कैसी है फिल्म

    By Nitin YadavEdited By:
    Updated: Tue, 25 Oct 2022 08:28 PM (IST)

    Ram Setu Review अक्षय कुमार की फिल्म राम सेतु सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। राम सेतु की कहानी को लेकर फैंस की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली रही है। अब देखना होगा कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कितना धमाल मचाती है।

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    Ram Setu Review: Akshay Kumar film Ram Setu explores faith and logic know how many stars film got in Review

    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। Ram Setu Review: यूपीए सरकार के कार्यकाल दौरान सेतु समुद्रम शिपिंग प्रोजेक्ट का खाका तैयार किया गया था। इसका प्रस्ताव डीएमके ने रखा था, जिसके पास तत्कालीन समय में जहाजरानी मंत्रालय था। यह भारत और श्रीलंका के बीच तैयार होने वाली परियोजना थी जिसके तहत वहां के उथले समुद्र को गहरा करके जहाजों के आने-जाने का रास्ता साफ करना था। इसके तहत उस संरचना को भी तोड़ा जाना है जो हवाई चित्रों में पुल की तरह दिखाई देता है। इसे 'राम-सेतु' कहा जाता है जिसका जि‍क्र रामायण में है। दुनिया में यह एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) के नाम से प्रख्‍यात है।

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    इस पुल की लंबाई लगभग 30 मील (48 किमी) है। इसके बारे में मान्यता है कि भगवान राम और उनकी वानर सेना ने श्रीलंका में रावण पर हमले के लिए इस सेतु का निर्माण किया था। इसके अस्तित्व को लेकर हुए विवाद से प्रेरित होकर अभिषेक शर्मा ने राम सेतु का निर्माण किया है। वर्ष 2001 में अफगानिस्‍तान में तालिबान ने भगवान बुद्ध की सबसे विशाल प्रतिमाओं को नष्‍ट कर दिया था।

    राम सेतु की कहानी

    फिल्‍म का आरंभ वर्ष 2007 में यूनेस्‍को की अगुवाई में अंतरराष्‍ट्रीय पुरातत्‍वविदों की टीम द्वारा इस बची खुची सांस्‍कृतिक संरक्षण को बचाने से होता है। मूर्तियों के बिखरे हुए अवशेषों की खोज करके भगवान बुद्ध के स्‍वरूप को फिर से रचने की कोशिश की जाती है। इस मिशन में अफगानिस्‍तान, पाकिस्‍तान, जापान के साथ भारत के पुरातत्वविद डा. आर्यन कुलश्रेष्‍ठ (अक्षय कुमार) भाग लेते हैं। उधर तमिलनाडु में सेतु समुद्रम परियोजना का विरोध हो रहा है।

    अमीर व्‍यवसायी इंद्रकांत (नास्‍सर) ने सरकार के आश्‍वासन पर इस परियोजना में अपना निवेश किया होता है। अदालती दखल की वजह से परियोजना में व्‍यवधान पड़ता है। वे तरकीब निकालते हैं कि पुरातत्‍वविद की मदद से साबित करेंगे कि राम सेतु को श्रीराम ने नहीं प्रकृति ने बनाया है। इसकी रिसर्च का जिम्‍मा नास्तिक आर्यन को सौंपा जाता है। वह अदालत वह रिपोर्ट देता है कि राम सेतु मानव निर्मित नहीं है। इस रिपोर्ट पर विवाद होता है। आर्यन को नौकरी से निलंबित कर दिया जाता है। आखिरकार वह राम सेतु की प्रमाणिकता की गहन रिसर्च करने का फैसला करता है।

    परमाणु : द स्‍टोरी आफ पोखरण फिल्‍म का निर्देशन कर चुके अभिषेक शर्मा ने इस बार रहस्य और रोमांच के साथ पौराणिक कथा को आधुनिक सोच के साथ मिलाकर राम सेतु बनाई है। इसमें सलाहकार और संवाद लेखक के रूप में चंद्रप्रकाश द्विवेदी (चाणक्य, सम्राट पृथ्वीराज के निर्देशक) हैं। सच्‍ची घटना से प्रेरित इस काल्‍पनिक कहानी को बनाने के पीछे उनकी मंशा अच्‍छी है। उन्‍होंने तथ्‍यों के साथ राम सेतु के अस्तित्‍व को लेकर उठे सवालों और उसकी प्रमाणिकता को तार्किक तरीके से दर्शाया है।

    ये हैं फिल्म में खामियां

    हालांकि पटकथा के स्‍तर पर फिल्‍म में कुछ खामियां हैं। उदाहरण के तौर पर खलनायक नास्‍सर के हिस्‍से में ज्‍यादा सीन नहीं आए हैं। फिल्‍म में सिनेमाई लिबर्टी भी बहुत ज्‍यादा ली गई है जो अपच हो जाती है। जैसे जले हुए हेलिकाप्‍टर से सभी पात्रों का सही सलामत निकल आना।

    फिल्‍म में राम सेतु के अस्तित्‍व को साबित करने के लिए रामायण, शोध आधारित किताबों और पांडुलिपि जैसे स्रोत्रों का सहारा लिया जाता है, लेकिन अंत को बेहद नाटकीय बनाया गया है। यह विरोधाभास समझ नहीं आता है। फिल्‍म की शुरुआत में आर्यन को नौकरी से सस्‍पेंड (निलंबित) बताया गया है वहीं टीवी की खबरों में निष्‍कासित बताया गया है। शायद लेखक निष्‍कासित और निलंबित में अंतर समझ नहीं पाए हैं। पुरातत्वविद दिखने के लिए अक्षय कुमार ने अपना लुक बदला है।

    इस साल उनकी कोई भी फिल्‍म बॉक्‍स आफिस पर कमाल नहीं दिखा पाई है। यहां पर भी फिल्‍म का भार पूरी तरह उनकी कंधों पर है। इस वजह से बाकी किरदारों को पूरी तरह पनपने का मौका नहीं मिला है। यहीं पर फिल्‍म मात खाती है। पर सत्‍यदेव का अभिनय शानदार है। सहयोगी भूमिका में आई जैक्लिन फर्नांनडिज और नुसरत भरूचा लेखन स्‍तर पर कमजोर होने की वजह से ज्‍यादा सहयोग नहीं कर पाती हैं। असीम मिश्रा की सिनेमेटोग्राफी नयनाभिरामी है।

    प्रमुख कलाकार : अक्षय कुमार, जैक्लिन फर्नांनडीज, नुसरत भरूचा, नास्‍सर, सत्‍यदेव

    निर्देशक : अभिषेक शर्मा

    अवधि : दो घंटे 22 मिनट

    स्‍टार : ढाई

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