मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म 'बच्चन पांडेय' के बाद और सलमान खान की फिल्म 'किसी का भाई किसी की जान' से पहले निर्देशक फरहाद सामजी एक कॉमेडी वेब सीरीज 'पॉप कौन' लेकर आये हैं, जो शुक्रवार को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो चुकी है।
फरहाद की यह तीसरी सीरीज है। इससे पहले उन्होंने 'बेबी कम ना' और 'बू सबकी फटेगी' कॉमेडी शोज ओटीटी के लिए डायरेक्ट किये हैं। मैड कॉमेडी के तौर प्रचारित पॉप कौन में इंडस्ट्री के बेहतरीन कलाकारों ने विभिन्न किरदार निभाये हैं, जिनमें दिवंगत सतीश कौशिक, सौरभ शुक्ला, चंकी पांडेय, जॉनी लीवर, राजपाल यादव, जाकिर हुसैन और अश्विनी कालसेकर के साथ कुणाल खेमू और नूपुर सेनन प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
इसके बावजूद फिल्मी स्टाइल में बनी छह एपिसोड्स की यह सीरीज असर नहीं छोड़ती। कुछ दृश्यों को जाने दें तो पॉप कौन बड़े पैमाने पर निराश करती है। इसकी सबसे बड़ी खामी सीरीज का लेखन है, जो ना सिर्फ आउटडेटेड है, बल्कि स्वाभिक हास्य से कोसों दूर है।
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क्या है पॉप कौन की कहानी?
पॉपकॉर्न से निकाला गया सीरीज का शीर्षक पॉप कौन इसकी कहानी का संकेत देता है और नायक पूरी सीरीज में अपने पिता की खोज करता नजर आता है। हरियाणा में दिखायी गयी कहानी के केंद्र में कुणाल खेमू का किरदार साहिल तिवारी है, जो बचपन से अपने असली पॉप यानी पिता की खोज कर रहा है।
इसी क्रम में वो हिंदू पिता से होता हुआ मुस्लिम, सिख और ईसाई पिता तक पहुंचता है। हिंदू पिता ब्रज किशोर तिवारी के किरदार में जॉनी लीवर हैं, जो सत्ता पक्ष का सांसद है। मुस्लिम पिता के किरदार सादिक कुरैशी में राजपाल यादव हैं, जो तिवारी का बॉडीगार्ड हुआ करता था और उसकी जान बचाते हुए मारा गया था।
सिख पिता का रोल करतार सिंह सतीश कौशिक ने निभाया है हैं, जबकि ईसाई पिता एंथनी गोंसाल्विस का किरदार चंकी पांडेय ने निभाया है। साहिल जिस पिता की खोज में जाता है, वैसा ही बन जाता है। इस क्रम में साहिल के नाम भी बदलते रहते हैं। साहिल से वो सादिक, सुखविंदर और सैंडी बनता है।
सीरीज का हास्य, साहिल के उसके असली पिता तक पहुंचने के सफर के दौरान सामने आने वाली परिस्थितियों, किरदारों की क्रिया-प्रतिक्रिया और कॉमेडी ऑफ एरर्स से पैदा किया गया है।
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लेखन के मोर्चे पर संघर्ष करती सीरीज
फरहाद के इन किरदारों में कहीं ना कहीं अतीत में गढ़े गये फिल्मी किरदारों का अक्स नजर आता है। गैंगस्टर केबीसी सौरभ शुक्ला का शब्दों को सुनने-समझने में हेरफेर। जॉनी लीवर का अजीबोगरीब बीमारी से ग्रसित होना। अतीत में 10 सेकंड पहले और फिर 10 सेकंड बाद प्रतिक्रिया देने की बीमारी।
गनीमत हो कि ये दृश्य सौरभ और जॉनी पर फिल्माये गये हैं, जिससे कुछ दृश्यों से गुदगुदी होती है, नहीं तो इन्हें ढेर होने से कोई नहीं बचा सकता था। राजपाल यादव ने डबल रोल निभाये हैं, सुल्तान और उसके पिता का। उनका बॉडीगार्ड सुल्तान वाला भाग बेहतर है।
किसी भी कॉमेडी सीरीज में परिस्थितियां और संवाद, हंसने-हंसाने के लिए बेहद जरूरी होते हैं। इस मोर्चे पर सीरीज घिसटती करती नजर आती है। जोर से चिल्लाने की ध्वनि जमीन से होते हुए आसमान में उड़ते जहाज तक पहुंचने की अतिरेकता कल्पनी की बेजा उड़ान की मिसाल है।
खराब लेखन को अभिनय से साधने की कोशिश
कुणाल खेमू ने कई फिल्मों में अपनी कॉमिक टाइमिंग से प्रभावित किया है। यहां भी वो रंग जमाने की पूरी कोशिश करते हैं, मगर जब तक दमदार लिखायी ना हो, सिर्फ अभिनय से संतुलन नहीं बनाया जा सकता। गैंगस्टर सौरभ शुक्ला की बेटी और साहिल की प्रेमिका पीहू के किरदार में नूपुर सेनन ने साथ देने की कोशिश की है, मगर उन्हें लम्बा सफर तय करना है। इस किरदार की हुकलाइन ही बेहद बचकानी है।
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नकारात्मकता के खिलाफ लोगों को मोटिवेट करने की दीवानगी में वो इस कदर डूबी है कि जहां कहीं भी NO होता है, वो उसे YES करवा देती है। मिसाल के तौर पर वो नौटंकी को यशटंकी बोलेगी। आत्महत्या के लिए पुल की रेलिंग पर चढ़े शख्स को वो कूदने के लिए प्रेरित करती है, क्योंकि उसे नकारात्मकता बिल्कुल पसंद नहीं।
अगर, ऐसे जोक्स पर आपको हंसी आती है तो आप यह सीरीज विंज वॉच कर सकते हैं। जॉनी लीवर की बेटी जैमी लीवर बीच-बीच में आती हैं। उन्होंने कुछ दृश्य अतिरेकता से भरे हैं, मगर गुदगुदाते हैं। कुछ जगहों पर कैमरा एंगल से भी दृश्यों का ह्यूमर बढ़ाने की कोशिश की गयी है।
कलाकार- दिवंगत सतीश कौशिक, सौरभ शुक्ला, जॉनी लीवर, चंकी पांडेय, कुणाल खेमू, नूपुर सेनन आदि।
निर्देशक- फरहाद सामजी
प्लेटफॉर्म- डिज्नी प्लस हॉटस्टार
अवधि- लगभग 30 मिनट के छह एपिसोड्स
रेटिंग- **