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    Maja Ma Movie Review: मजा कम और टेंशन ज्यादा लगी 'मजा मा', माधुरी दीक्षित की एक्टिंग भीं नहीं बचा पाई फिल्म

    By Ruchi VajpayeeEdited By:
    Updated: Thu, 06 Oct 2022 09:56 PM (IST)

    Maja Ma Movie Review मधुरी दीक्षित की फिल्म LGBT जैसे गंभीर मुद्दे पर बनी है। फिल्म प्रभाव छोड़ने में पूरी तरह से असफल है। समलैंगिकता के मुद्दे पर पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं और निराश भी कर चुकी है। उसी निराशा की एक और कड़ी है मजा मा।

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    Maja Ma Movie Review: Madhuri Dixit film maja ma fails to impress the audience

    प्रियंका सिंह,मुंबई। डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए भी फिल्में बनाई जा रही हैं। आनंद तिवारी निर्देशित फिल्म मजा मा उन्हीं फिल्मों में से एक हैं। फिल्म की कहानी शुरू होती है अमेरिका में नौकरी करने वाले तेजस पटेल (ऋत्विक भौमिक) से, जो अपनी गर्लफ्रेंड ऐशा (बरखा सिंह) के माता-पिता से मिलने की तैयारी कर रहा है। ऐशा के माता-पिता अमेरिका के अमीर और नामचीन लोगों में से हैं। गुजरात से तेजस की मां पल्लवी (माधुरी दीक्षित) उसे फोन करती है और इस शुभ काम पर जाने से पहले वीडियो कॉल के जरिए दही खिलाने की रस्म पूरी करती है।

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    बेमजा रही 'मजा मा'

    ऐशा की मां पैम (शीबा चड्ढा) और पिता बॉब (रजित कपूर) तेजस का लाई डिटेक्टर टेस्ट (झूठ पकड़ने के लिए किया जाने वाला टेस्ट) करवाते हैं, ताकि यह पता कर सके कि वह उनकी बेटी से सच्चा प्यार करता है या पैसे और अमेरिका के ग्रीन कार्ड के लिए प्यार का नाटक कर रहा है। तेजस टेस्ट में पास हो जाता है। अब ऐशा का परिवार तेजस के परिवार से मिलने गुजरात आता है। तेजस के पिता मनोहर (गजराज राव) अपनी सोसाइटी का चेयरमैन हैं, तो वहीं पल्लवी सोसाइटी में बहुत प्रसिद्ध है। तेजस की शादीशुदा बहन अपने ससुराल से दूर समलैंगिकों के जीवन पर पीएचडी करने के लिए मायके में रह रही है। वह एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय के लोगों के हक के लिए आवाज भी उठाती है।

    LGBT मुद्दे पर बनी है फिल्म

    एक दिन पल्लवी का एक वीडियो सामने आता है, जिसमें वह अपनी बेटी से गुस्से में कहते हुए दिखाई देती है कि वह समलैंगिक है। उसके बाद क्या होता है। क्या एक संस्कारी भारतीय परिवार ढूंढ रहा बॉब अपनी बेटी की शादी तेजस से कराएगा? इससे पहले समलैंगिकता के मुद्दे पर कई फिल्में बन चुकी हैं और निराश भी कर चुकी है। उसी निराशा की एक और कड़ी है फिल्म मजा मा। वेब सीरीज बंदिश बैंडिट्स के बाद निर्देशक आनंद तिवारी से एक अच्छी फिल्म की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन वह इस गंभीर मुद्दे को सतही तौर पर ही दिखाकर निराश करते हैं।

    माधुरी की एक्टिंग भी नहीं कर पाई कमाल

    लेखक सुमित बथेजा ने भी इस वर्जित मुद्दे को केंद्र में रखकर नई कहानी गढ़ने की कोशिश नहीं की। फिल्म की कहानी नारीवाद और समलैंगिकता के मुद्दे के बीच झूलती रहती है। फिल्म आज के दौर में सेट है, ऐसे में अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के दपंति का यह कहना कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं अशुद्ध होती हैं, इसलिए वह उनके हाथ की चाय नहीं पीयेंगे, निराश करता है। यह पता चलने पर की मां समलैंगिक है, अमेरिका से पढ़ाई करके लौटे बेटे का अपनी मां को झाड-फूंक वाले बाबा के पास लेकर जाना बचकाना लगता है।

    उबा देती है लंबी फिल्म

    रजित, शीबा और बरखा का अमेरिकी अंदाज में अंग्रेजी बोलना हास्यास्पद लगता है। तारा समलैंगिक समुदाय के लिए इतनी फिक्रमंद क्यों है, उसके पीछे की वजहें साफ नहीं है। पल्लवी की प्रेमिका कंचन की भूमिका में सिमोन सिंह अचानक कहानी में आ तो जाती हैं, लेकिन पल्लवी से ज्यादा उनका ध्यान पल्लवी के पति मनोहर पर होता है। पूरी फिल्म में उनकी कोई भावनाएं नहीं दिखती, ऐसे में अचानक से एक सीन में उनका पैम को गाली-गलोज देना अजीब लगता है। पल्लवी और कंचन के बीच के प्रेमप्रसंग को एक गरबा सीन में खत्म कर दिया गया है, जबकि वही फिल्म का आधार था। फिल्म बहुत धीमी है, इसकी अवधि इसे और ऊबाऊ बना देती है।

    मारा नाच... गाना हुआ पॉपुलर

    समलैंगिक होना कोई क्राइम नहीं है... यह संवाद प्रभाव नहीं छोड़ता, क्योंकि पहले भी इसे कई फिल्मों में सुन चुके हैं। कमजोर पटकथा के बावजूद माधुरी दीक्षित ने अपने अभिनय से कई सीन को संभाला है। समाज के भय से अपने समलैंगिक होने की बात को छुपाने की घुटन वह काफी हद तक महसूस कराती हैं। गजराज राव और रजित कपूर बस स्क्रिप्ट के मुताबिक चलते नजर आते हैं।ऋत्विक, सृष्टि और बरखा ने सपोर्टिग कास्ट में अच्छा काम किया है। शीबा चड्ढा कुछ-कुछ सीन्स में प्रभावित करती हैं। नवरात्र से पहले रिलीज हुआ रंगीला मारा नाच... गाना ही फिल्म खत्म होने पर याद रह जाता है। 

    फिल्म – मजा मा

    मुख्य कलाकार – माधुरी दीक्षित, गजराज राव, रित्विक भौमिक, सृष्टि श्रीवास्तव, रजित कपूर, शीबा चड्ढा, सिमोन सिंह, बरखा सिंह

    निर्देशक – आनंद तिवारी

    अवधि – दो घंटा 15 मिनट

    प्रसारण प्लेटफॉर्म – अमेजन प्राइम वीडियो

    रेटिंग – दो

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