Kapkapiii Movie Review: कहानी के साथ श्रेयस-तुषार ने किया 'गोलमाल'? हॉरर कॉमेडी फिल्म 'कपकपी' का पढ़ें रिव्यू
हॉरर कॉमेडी फिल्में इस वक्त बॉक्स ऑफिस पर बहुत ही शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। ऐसे में इस जॉर्नर की फिल्में बनाने की होड़ लग गई है। द भूतनी के बाद अब हाल ही में तुषार कपूर और श्रेयस तलपड़े फिल्म कपकपी लेकर थिएटर में आए हैं। क्या उनकी फिल्म को देख सच में आपकी थिएटर में कंपकंपी छूटेगी या नहीं यहां पर पढ़ें रिव्यू।
प्रियंका सिंह, मुंबई। स्त्री 2, भूल भुलैया 3 हॉरर कॉमेडी फिल्मों ने बाक्स आफिस पर अच्छा प्रदर्शन क्या किया, इस जॉनर की फिल्मों की बहार लग गई है। पिछले दिनों इसी जॉनर की द भूतनी रिलीज हुई थी, अब बारी है कंपकंपी : आत्माजी दर्शन दो ना की, जो साल 2023 में रिलीज हुई फिल्म रोमांचम की रीमेक है। उस फिल्म में सात दोस्त थे, इसमें छह दोस्त हैं।
क्या है 'कपकपी ' फिल्म की कहानी?
कहानी शुरू होती है अस्पताल में घायल पड़े मनु (श्रेयस तलपड़े) से, जो अपने दोस्तों से मिलना चाहता है, लेकिन उसे मिलने नहीं दिया जाता है। वह नर्स को बताता है कि उसे चोट कैसे लगी। वहां से कहानी थोड़ा पीछे आती है। मनु समेत छह दोस्त एक नए घर में शिफ्ट होते हैं। वहां मनु एक दिन एक बोर्ड के जरिए भूत बुलाने का प्रयास करता है और अनामिका नाम की आत्मा उनके बीच आ जाती है। इसी बीच मनु का दोस्त कबीर भी उसके साथ रहने आ जाता है। वह भी अजीब हरकतें करता है। आगे क्या होगा, उसे फिल्म में देखना बेहतर है।
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मूल फिल्म की कहानी में थोड़े बहुत बदलाव करके कपकपी को लेखक सौरभ आनंद और कुमार प्रियदर्शी ने हिंदी में लिखा है। शीर्षक के अनुसार इसे देखते हुए कोई कपकपी नहीं होगी, लेकिन हां, कुछ दृश्यों में हंसी जरूर आएगी।
सीक्वल के साथ मेकर्स करेंगे ज्यादा बोर?
कई हिंदी और मलयालम फिल्मों का निर्देशन कर चुके संगीत सिवन का पिछले साल ही देहांत हो गया था। तब यह फिल्म पोस्ट प्रोडक्शन में ही थी। खैर, छह दोस्तों की कहानी में उनके पास हॉरर और कॉमेडी दोनों का ही भरपूर तड़का लगाने का स्कोप था। जो मूल फिल्म के मुकाबले थोड़ी कमजोर पड़ती है। अंत में सीक्वल का संकेत है। इसलिए कई सवाल जो इस फिल्म को देखते हुए मन में आते हैं, उनके जवाब फिल्म में नहीं मिलेंगे।
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सिनेमैटोग्राफर दीप सावंत सीमित दायरों में फिल्म को बेहतर शूट कर पाए हैं। आर्ट डिपार्टमेंट की सराहना बनती है, क्योंकि जिस घर में शूटिंग की गई उसे भी वह एक किरदार की तरह पेश करते हैं, इसके साथ ही साल 2007 के दौर के फोन, कंप्यूटर जैसे हुआ करते थे, उन बारीकियों पर भी खासा ध्यान दिया गया है। अजय जयंती का संगीत काफी अलग और नया है।
इस बार नहीं चला श्रेयस-तुषार की जोड़ी का जादू
श्रेयस तलपड़े गंभीर भूमिकाओं के साथ कॉमेडी में भी माहिर हैं, फिल्म का भार उन्हीं के कंधों पर टिका है। तुषार कपूर की एंट्री फिल्म में काफी देरी से होती है, लेकिन जो रहस्य वह अपने पात्र से लाना चाहते थे, उसमें वह कामयाब होते हैं। हालांकि गोलमाल 3 और गोलमाल अगेन की इस जोड़ी के साथ में और कॉमिक सीन की कमी महसूस होती है।
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सिद्धि इदनानी खास प्रभावित नहीं करती हैं। फिल्म में दोस्तों की भूमिकाओं में मौजूद कलाकारों को जिस तरह से फिल्म के शुरू में इंट्रूड्यूस किया गया था, उसके अनुसार उनका प्रयोग नहीं किया गया है। फिर भी सभी कलाकार सीमित दायरे में ठीक काम करते हैं।
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