Move to Jagran APP

Kabzaa Review: 'कांतारा' के बाद हिंदी पट्टी में 'अंडरवर्ल्ड का कब्जा', एक्शन से भरपूर है उपेंद्र की फिल्म

Kabzaa Movie Review अंडरवर्ल्ड का कब्जा कन्नड़ भाषा की फिल्म है जिसे हिंदी बेल्ट में भी बड़े पैमाने पर रिलीज किया गया है। फिल्म में उपेंद्र ने लीड रोल निभाया है जिनकी हिंदी पट्टी में यह पहली फिल्म है।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthFri, 17 Mar 2023 05:11 PM (IST)
Kabzaa Review: 'कांतारा' के बाद हिंदी पट्टी में 'अंडरवर्ल्ड का कब्जा', एक्शन से भरपूर है उपेंद्र की फिल्म
Kabzaa Movie Review Upendra Shriya Saran. Photo- Instagram

स्मिता श्रीवास्‍तव, मुंबई। 'बाहुबली' की सफलता के बाद कई दक्षिण भारतीय फिल्‍ममेकर अपनी फिल्‍मों को दो पार्ट में बना रहे हैं। 'केजीएफ' दो पार्ट में रिलीज हो चुकी है। 'पोन्नियन सेल्‍वन' का दूसरा पार्ट अगले महीने रिलीज होगा। 'पुष्‍पा: द राइज' के दूसरा पार्ट की इन दिनों शूटिंग चल रही है।

खास बात यह है कि पुष्पा को छोड़कर यह सभी पीरियड ड्रामा फिल्‍म रही हैं। इस कड़ी में आनंद पंडित और आर चंद्रू की फिल्‍म 'अंडरवर्ल्‍ड का कब्‍जा' भी शामिल हो गई है। मूल रूप से कन्‍नड़ में बनी यह फिल्‍म हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु और मलयालम में डब करके सिनेमाघरों में रिलीज की गई है।

पायलट के डॉन बनने की कहानी

शीर्षक के अनुरूप फिल्‍म की कहानी अंडरवर्ल्‍ड की दुनिया पर राज करने को लेकर है। अंडरवर्ल्‍ड की पृष्ठभूमि पर हिंदी सिनेमा में भी कई फिल्में बनी हैं, जिनमें नायक प्रतिशोध के चलते या परिवार पर हुए अत्‍याचार की वजह से इस दलदल का हिस्‍सा बन जाता है। कब्जा, स्‍वतंत्रता सेनानी के सीधे-सादे और कानून में यकीन करने वाले वायुसेना में पायलट बेटे आर्केश्‍वरा (उपेंद्र) के परिस्थितियों के चलते अंडरवर्ल्‍ड डान बनने की है।

इसके साथ ही राजकुमारी मधुमती (श्रिया सरन) के साथ उसके प्रेम संबंधों की कहानी समानांतर रूप से चलती है। पिता राजा वीर बहादुर (मुरली शर्मा) की इच्‍छा के विपरीत राजकुमारी आर्केश्‍वरा से शादी कर लेती है। अंडरवर्ल्‍ड की दुनिया में आर्केश्‍वरा का नाम देश-दुनिया में छा जाता है। उसकी इस दुनिया को बर्बादी करने के पीछे भी कोई पड़ा है? यही कहानी का रहस्‍य है। यह फिल्‍म देखने पर ही जानना उचित होगा।

चौथे से सातवें दशक का सफर करती फिल्म

कन्‍नड़ सुपरस्‍टार उपेंद्र की पैन इंडिया रिलीज होने वाली यह पहली फिल्‍म है। चंद्र मौली द्वारा लिखित और आर चंद्रू निर्देशित इस पीरियड फिल्‍म में घटनाक्रम तेजी से आगे बढ़ते हैं। पिछली सदी के चौथे दशक से लेकर सातवें दशक को दर्शाने के लिए उन्‍होंने भव्‍य सेट बनाए हैं। यहां तक कि संवाद और पार्श्‍व संगीत भी सामान्‍य से तेज और ऊंची फ्रीक्‍वेंसी पर है।

कभी-कभी कुछ दृश्‍य शोर में बदल जाते हैं, जबकि फिल्‍म में आर्केश्‍वरा का किरदार एक जगह कहता भी है- आइ एम एलर्जिक टू साउंड, आइ प्रिफर साइलेंस (I am allergic to sound. I prefer silence) यानी मुझे तेज आवाज से चिढ़ है। मुझे मौन पसंद है। फिल्‍म में एक्‍शन भरपूर है। फिल्‍म की एक्‍शन कोरियोग्राफी के लिए एक्‍शन डायरेक्‍टर और कलाकार दोनों ही बधाई और सराहना के पात्र हैं। उन्‍होंने लेखक की कल्‍पना को उड़ान दी है।

हालांकि, आर्केश्‍वरा के पात्र को अधिक महत्‍व देने के कारण बाकी किरदारों को समुचित तरीके से पनपने का मौका नहीं मिला है। आर्केश्‍वरा के भाई को काफी बलशाली दिखाया गया है। मां के साथ बदतमीजी करने वाले हाथ को वह बचपन में काट देता है। वह अन्‍याय के खिलाफ चुप नहीं बैठता, लेकिन उसके किरदार को जल्‍दबाजी में मार दिया गया, जबकि उसे विकसित करके आर्केश्‍वरा के प्रति सहानुभूति बढ़ती।

उपेंद्र की हिंदी बेल्ट में धांसू एंट्री

फिल्‍म का गाना नमामि नमामि कर्णप्रिय है। उसका फिल्‍मांकन भी सुंदर है। सिनेमैटोग्राफर अरूण शेट्टी ने उस दौर को सटीक तरीके से कैमरे में दर्शाया है। कलाकारों में उपेंद्र अपने पात्र में रमे हुए नजर आए हैं। सीधे-सादे व्‍यक्ति से लेकर अंडरवर्ल्‍ड डॉन बनने के सफर में उनके व्‍यक्तित्‍व में आए बदलाव पर्दे पर साफ नजर आते हैं। फिल्‍म में कई खलनायक हैं, ऐसे में उपेंद्र को एक्‍शन करने का काफी मौका मिला है। उसमें वह जंचे भी हैं।

मधुमती की भूमिका में श्रिया सरन को यहां पर अपनी नृत्‍य प्रतिभा दर्शाने के साथ कुछ भावनात्‍मक दृश्‍य मिले हैं, जिनमे ह खरी उतरी हैं। मुरली शर्मा, सुनील पुराणिक, अनूप जैसे कलाकारों का काम उल्‍लेखनीय है। फिल्‍म में सख्‍त पुलिस अधिकारी भार्गव बख्‍शी की भूमिका में किच्‍चा सुदीप का कैमियो है।

संभवत: अगले पार्ट में उनका किरदार निखर कर सामने आएगा। फिल्‍म के आखिर में शिवराज कुमार की एंट्री कहानी में नया ट्विस्‍ट लाती है। उसके आगे कहानी क्‍या रूख लेगी, उसके लिए अगले पार्ट का इंतजार करना होगा। बहरहाल, डब होने की वजह से फिल्‍म के संवादों पर थोड़ा काम करने की जरूरत थी। यहां पर एक दृश्‍य में नाती को पोता बताया गया है। हिंदी में डबिंग के समय रिश्‍तों को समुचित तरीके से बताने पर लेखक और निर्देशक को खास ध्‍यान देने की जरूरत है।

कलाकार: उपेंद्र, श्रिया सरन, किच्‍चा सुदीप, मुरली शर्मा आदि।

निर्देशक: आर चंद्रू

अवधि: 136 मिनट

स्‍टार: तीन