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    Kaala Paani Review: अंडमान में फैली महामारी, इंसान के जूझने और बचने की कोशिश का भावनात्मक चित्रण

    By Manoj VashisthEdited By: Manoj Vashisth
    Updated: Thu, 19 Oct 2023 10:06 PM (IST)

    Kaala Paani Review कोरोना वायरस महामारी के दौरान मौजूदा पीढ़ी ने कई ऐसे दृश्य अपनी आंखों से देखे हैं जिन्हें भुलाना आसान नहीं होगा। नेटफ्लिक्स की सीरीज काला पानी में एक बार फिर उन्हीं दृश्यों की याद दिलाई गयी है। बस महामारी के केंद्र सीमित कर दिया गया है। विश्वपति सरकार लिखित सीरीज में आशुतोष गोवारिकर और मोना सिंह ने मुख्य भूमिकाएं निभायी हैं।

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    काला पानी सीरीज नेटफ्लिक्स पर आयी है। फोटो- इंस्टाग्राम/Netflix

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज काला पानी मूल रूप से एक सरवायवल थ्रिलर है, जिसकी कथाभूमि अंडमान द्वीप है और विलेन एक अज्ञात महामारी, जो लोगों की जान ले रही है। विश्वपति सरकार ने इसकी कहानी लिखी है, जो टीवीएफ के लिए मस्ती-मजाक से भरे शोज लिखने के लिए जाने जाते हैं।

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    उनकी लिखी परमानेंट रूममेट्स का तीसरा सीजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो चुका है। यहां विश्वपति के लेखन शैली का जिक्र करना इसलिए जरूरी था, क्योंकि काला पानी उनके पिछले कामों से बिल्कुल अलग है।

    कोरोना वायरस पैनडेमिक का विकराल रूप देखने के बाद विश्वपति ने ऐसी ही महामारी की कल्पना अंडमान में की है, जहां चारों तरफ समंदर का खारा पानी है। रहस्मयी बीमारी फैलने पर इसे क्वारंटीन कर दिया जाता है।

    ब्रिटिश काल में कुख्यात काला पानी की सजा का मतलब दुनिया-जहान से कट जाना होता था और महामारी पूरे अंडमान को ही काला पानी बना देती है, जो इसका प्रतीकात्मक चित्रण है। 'काला पानी' अच्छी लेखनी और सधे हुए अभिनय का सफल कॉम्बिनेशन है। 

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    क्या है काला पानी की कहानी?

    अंडमान में सलाना जलसा होने वाला है, जिसमें देश-दुनिया से हजारों टूरिस्ट पहुंचने वाले हैं। इधर एक रहस्मयी बीमारी लोगों को धीरे-धीरे चपेट में ले रही है, जिसमें गर्दन पर रैशेज के साथ खांसी होती है और फिर अचानक मौत।

    मरीजों में इसके लक्षण मिलने के बाद सीएमओ डॉ. सौदामिनी सिंह (मोना सिंह) जांच में जुटी हैं। सौदामिनी इस फेस्टिवल के खिलाफ है, मगर इससे होने वाले फायदे को देखते हुए एलजी एडमिरल जिब्रान कादरी (आशुतोष गोवारिकर) उसे मना लेता है। फेस्टिवल आयोजित होता है और सौदामिनी को डर सही साबित होता है।

    कादरी जनता को समय रहते सूचित करने से चूक जाता है और महामारी द्वीप पर फैल जाती है। दहशत में आये लोग किसी तरह आइलैंड से निकलने की कोशिश करने लगते हैं। एक ट्राइब का प्लॉट इसके साथ डलता है, जो बीमारी के लिए इम्यून है। 

    कैसा है सीरीज का स्क्रीनप्ले और अभिनय?

    सीरीज में लगभग एक घंटा अवधि के सात एपिसोड्स हैं, जिनके शीर्षक नेचर विंस, द स्विच, गर्जन, एरबा रेटा मोनो, द इमोरटल बीइंग, फोरफादर्स और डारविंस बे रखे गये हैं। समीर सक्सेना और अमित गोलानी ने शो का निर्देशन किया है। कोविड-19 के दहलाने वाले मंजर अपनी आंखों से देखने के बाद ऐसी महामारियों के दृश्यों को लिखना और निर्देशित करने में वास्तविकता बनी रहना लाजिमी है।

    काला पानी के यह दृश्य असर छोड़ते हैं, जिनमें वीरान रास्ते, बीमारी का फैलना, लोगों का दहशत में आना और जान बचाने की जद्दोजहद दिखाया गयी है। आदिवासी प्रजाति ओराकस की मौजूदगी दिलचस्प लगती है। स्क्रीनप्ले नॉनलीनियर फॉर्मेट में है। सीरीज का कालखंड साल 2027 है। अतीत की घटनाओं को बीच-बीच में दिखाया गया है।

    कलाकारों का अभिनय सीरीज की रीढ़ है। डॉ. सौदामिनी के किरदार में मोना सिंह का अभिनय जबरदस्त है। वहीं, आशुतोष गोवारिकर ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। एसीपी के किरदार अमेय वाघ जंचे हैं, मगर कहानी के असली हीरो सुकांत गोयल और विकास कुमार हैं। दोनों कलाकार ओटीटी शोज में नजर आते रहे हैं। विकास आर्या सीरीज में एसीपी खान के किरदार में दिखाई देते हैं।

    काला पानी में लोकेशंस खुद में एक किरदार का काम करती है और कथ्य को सहजता के साथ पेश करने में मदद करती हैं। सिनेमैटोग्राफी के जरिए अंडमान की खूबसूरती को पेश किया गया है, जिससे प्रकृति के कहर और खूबसूरती के बीच सांकेतिक कशमकश जाहिर होती है।

    अवधि- सात एपिसोड्स (प्रति एपिसोड लगभग एक घंटा)

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