Jewel Thief Review: क्या चोरी की पुरानी कहानी में सैफ और जयदीप ला पाए रोमांच; कितने दमदार हैं 'ज्वेल थीफ' के डायलॉग?
ज्वेल थीफ द हाइस्ट बिगिन्स हीरे की चोरी की एक साधारण कहानी है। शीर्षक से ही स्पष्ट है कि फिल्म लूट को लेकर है और कहानी आगे जाएगी लेकिन क्या यह लूट इतनी दिलचस्प बन पाई है कि उसे आगे बढ़ाने के बारे में सोचा जाए यह भी विचारणीय है। फिल्म एक्टिंग डायलॉग और संगीत कैसा है यह फिल्म क्यों देखनी चाहिए यहां पढें...

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। पिछले साल नेटफ्लिक्स पर नीरज पांडेय निर्देशित फिल्म 'सिकंदर का मुकद्दर' आई थी जो हीरे की लूट पर थी। अब बतौर निर्माता सिद्धांत आनंद फिल्म 'ज्वेल थीफ- द हाइस्ट बिगिन्स' लेकर आए हैं। शीर्षक से ही स्पष्ट है कि फिल्म लूट को लेकर है और कहानी आगे जाएगी, लेकिन क्या यह लूट इतनी दिलचस्प बन पाई है कि उसे आगे बढ़ाने के बारे में सोचा जाए यह भी विचारणीय है।
हीरो की लूट को लेकर कहानी मूलत
हीरे की चोरी की योजना बनाने और पुलिस द्वारा लुटेरे को पकड़ने पर आधारित होती है। इस सफर में कई टिवस्ट और टर्न हों। चोर और पुलिस के बीच चूहे बिल्ली जैसा खेल तभी यह रोमांचक होती है।
आप कयास लगाते हैं कि अगले पल में क्या होगा। 'ज्वेल थीफ- द हाइस्ट बिगिन्स' इन मुद्दों पर खरी नहीं उतरती है। फिल्म को बुडापेस्ट, मुंबई से लेकर इस्तांबुल ले जाया गया है लेकिन कहानी में कोई ताजगी नहीं है।
क्या है फिल्म की कहानी?
कहानी मुंबई में सेट है। राजन औलख (जयदीप अहलावत) दुनिया के सामने पेंटिंग का संग्रहकर्ता है, लेकिन उसका अंडरवर्ल्ड से संबंध रहा है। गैंगस्टर और बिजनेसमैन राजन औलख (जयदीप अहलावत) किसी को जल्दी माफ नहीं करता। दक्षिण अफ्रीका से कीमती हीरा मुंबई में प्रदर्शिनी के लिए लाया जा रहा होता है। राजन उसे हथियाने के लिए बुडापेस्ट में रह रहे रेहान राय (सैफ अली खान) को बुलाता है।
दरअसल, वह रेहान के पिता को मारने की धमकी देता है। इस वजह से परिवार से दूर होने के बावजूद रेहान हीरा चोरी करने को राजी होता है। उसकी मुलाकात राजन की पत्नी फराह (निकिता दत्ता) से होती है। राजन का फराह साथ व्यवहार अच्छा नहीं है।
ऐसे में रेहान के साथ फराह की नजदीकियां बढ़ती हैं। हीरो की चोरी को लेकर रेहान के पीछे पुलिस अधिकारी विक्रम पटेल (कुणाल कपूर) पड़ा होता है। हीरा चोरी करने को लेकर रेहान की पहली कोशिश नाकाम होती है। वह दोबारा उसे लूटने की योजना बनाता है।
न कहानी में दम और न डायलॉग दमदार
कूकी गुलाटी और राबी ग्रेवाल निर्देशित फिल्म देखते हुए लगता है कि स्टाइलिंग, मेकअप, कॉस्टयूम पर बहुत ध्यान दिया गया है, लेकिन कहानी की ओर नहीं। लूट की कहानी में अगर रोमांच और कौतूहल न हो तो बेमजा होती है।
यहां पर लूट की योजना बनानी हो या लूट दोनों को लेकर न आप चौंकते न उसमें कोई नयापन दिखता है। फिल्म में पुराने घिसे-पिटे फॉर्मूले दिखते हैं। हर काम सधे तरीके से होता है। उसमें कोई रोड़ा नहीं आता। जहां आता है वह पूर्वानुमानित होता है। संवाद भी अप्रभावी हैं।
रेहान के चोर बनने की बैक स्टोरी भी बहुत कच्ची है। राजन को बहुत खूंखार दिखाया गया है। उसका कुत्ता पहली बार में रेहान से बिस्कुट खा लेता है। यह बात उसे इतनी नागवार गुजरती है कि उसे मारने में कोई तकलीफ नहीं होती, लेकिन उसका रुतबा सिर्फ घर में दिखता है।
इस्तांबुल में दिखाया अंडरवर्ल्ड मूसा (दोरेंद्र सिंह लोइतोंगबाम- DORENDRA SINGH LOITONGBAM) का किरदार बेहद कच्चा है। वह साफ हिंदी बोलता है, यह भी चौंकाता हैं। मूसा ने राजन की पीठ पर निशान दिया। फिर भी राजन में उसे लेकर प्रतिशोध की भावना नहीं है। फराह और राजन के रिश्ते सामान्य क्यों नहीं हैं?
यह भी पढ़ें- Phule Review: धीमी पर बेहद अहम फिल्म है 'फुले', क्या है फिल्म की यूएसपी; कैसी है प्रतीक और पत्रलेखा की एक्टिंग?
फ्लाइट में रहने के दौरान रेहान को पहचानने के लिए एयर होस्टेस से कहा जाता है वह सिर्फ इकोनॉमी क्लास में खोजती है बाकी क्यों नहीं देखती? ऐसे ही कई सवालों के जवाब या तर्क खोजने पर भी नहीं मिलेंगे। पुलिस का पक्ष पिछली सदी के आठवें और नौवें दशक की याद दिलाता है, जब पुलिस आखिर में सब कुछ हो जाने के बाद पहुंचती थी।
यह भी पढ़ें- Ground Zero Review: कश्मीर में आतंक का 'ग्राउंड जीरो' और BSF की शौर्य गाथा; क्यों देखें यह फिल्म?
एक्टर नहीं, एक्ट्रेस ने किया न्याय
फिल्म में मूल रूप से सैफ अली खान ही छाए हैं। ऐसा लगता है कि अपनी अलग-अलग फिल्मों के कुछ पात्रों को यहां पर दोबारा जी रहे हैं। वह कहीं से प्रभावी नहीं लगे हैं। जयदीप अहलावत बेहतरीन अभिनेता है, लेकिन उनका पात्र बहुत कमजोर दिखा है।
निकिता दत्ता ग्लैमरस दिखी हैं। उन्होंने दी गई भूमिका साथ न्याय किया है। फिल्म का गीत संगीत कोई प्रभाव नहीं छोड़ता है। फिल्म के अंत में सीक्वल का संदेश है। बेहतर होता कि इसे ही मुकम्मल फिल्म बनाते।
यह भी पढ़ें- लॉगआउट मूवी रिव्यू: इंटरनेट का जुनून और शोहरत की भूख कैसे खतरों में डाल रही, बाबिल खान ने दिया दमदार मैसेज
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।