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    Doctor G Review: 'डॉक्टर जी' की पटकथा 'बीमार', पढ़ें आयुष्मान खुराना की फिल्म को मिले कितने स्टार

    By Jagran NewsEdited By: Rupesh Kumar
    Updated: Fri, 14 Oct 2022 07:06 PM (IST)

    Doctor G Review डॉक्टर जी 14 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गयी है। इस फिल्म में शेफाली शाह और रकुल प्रीत भी अहम किरदारों में हैं। आयुष्मान की इससे पहले चंडीगढ़ करे आशिकी और अनेक जैसी फिल्में रिलीज हुई हैं।

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    Doctor G Review: डॉक्टर जी की कहानी कमजोर है।

    प्रियंका सिंह, मुंबई। Doctor G Review: वर्जित विषयों और लीक से हटकर फिल्में चुनने वाले अभिनेता आयुष्मान खुराना अभिनीत डॉक्टर जी उनकी ऐसी पहली फिल्म होगी, जो सेंसर बोर्ड के ए सर्टिफिकेट (वह फिल्में जिसे केवल वयस्क देख सकते हैं) के साथ रिलीज हुई है।

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    कहानी

    कहानी शुरू होती है भोपाल में रहने वाले उदय गुप्ता (आयुष्मान खुराना) से, जो एमबीबीएस करने के बाद ऑर्थोपेडिक यानी हड्डी रोग विशेषज्ञ बनना चाहता है। वह भोपाल से बाहर नहीं जा सकता है, क्योंकि उसे अपनी अकेली मां शोभा गुप्ता (शिबा चड्ढा) का ध्यान रखना है। हालांकि उदय की मां उससे ज्यादा खुले विचारों वाली है। वह डेटिंग ऐप पर अपने लिए पार्टनर तलाशने में भी नहीं झिझकती है।

    भोपाल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में एक सीट खाली है, लेकिन वह सीट स्त्री रोग विशेषज्ञ यानी गायनेकोलॉजी के लिए है। उदय को लगता है कि गायनेकोलॉजी तो लड़कियां करती है। उदय का दूर का कजिन डॉ. अशोक गुप्ता (इंद्रनील सेनगुप्ता) हड्डी रोग विशेषज्ञ है।

    वह उदय को समझाता है कि अभी गायनेकोलॉजी की सीट ले लो, एक साल बाद फिर से ऑर्थोपेडिक की सीट के लिए प्रयत्न करना। गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट में वह अकेला पुरुष है। उसकी सीनियर फातिमा सिद्दीकी (रकुल प्रीत सिंह) अपनी गर्ल गैंग के साथ मिलकर उदय की रैगिंग करती है। अस्पताल की सीनियर डॉक्टर नंदिनी (शेफाली शाह) उदय को चिकित्सा क्षेत्र के नैतिक मुल्यों को समझाती है।

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    दकियानूसी सोच पर कमजोर प्रहार

    क्या गायनेकोलॉजी केवल महिलाओं के लिए है, क्या उदय अच्छा गायनेकोलॉजिस्ट बन पाएगा? इस पर फिल्म आगे बढ़ती है। गैंग्स ऑफ वासेपुर और देव डी फिल्मों में असिस्ट कर चुकीं अनुभूति सिन्हा की बतौर निर्देशक यह पहली फिल्म है।

    डॉक्टरी की पढ़ाई में कोर्स के चुनाव में लिंगभेद का मुद्दा उठाने का प्रयत्न अच्छा है, लेकिन वह फिल्म को किसी अंजाम तक नहीं पहुंचा पाती हैं। लड़का-लड़की दोस्त हो सकते हैं या नहीं, लड़का पैदा करने को लेकर अंधविश्वास ऐसे कई मुद्दों को सतही तौर पर छूकर आगे बढ़ती कहानी नाबालिग के गर्भपात पर आकर भटक जाती है। लेखक सौरभ भारत और विशाल वाघ एक पुरुष के स्त्री रोग विशेषज्ञ बनने की असहजता की वजहों पर दमदार प्रहार नहीं कर पाए।

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    विश्वसनीय नहीं लगते दृश्य

    सरकारी अस्पताल के अंदरुनी माहौल को कुछ दृश्यों में दिखाया गया है, लेकिन वह विश्वसनीय नहीं लगता है। उदय के किरदार का कहना कि हमारे मोहल्ले में लड़के क्रिकेट खेलते हैं और लड़कियां बैडमिंटन खेलती हैं, क्योंकि कुछ चीजें लडकों को सूट नहीं करती हैं... सुमित सक्सेना के लिखे ये संवाद फिल्म को पटरी पर लाने की कोशिश करते हैं, लेकिन असफल होते हैं।

    सिनेमैटोग्राफर एशित नारायण (Eashit Narain) ने सरकारी अस्पताल और उदय के घर के सीमित दायरे में भी अच्छे विजुअल्स लिए हैं। उदय की रैगिंग करने वाला सीन बचकाना है। फिल्म कई सवाल छोड़ जाती है, जैसे उदय की मां प्रगतिशील विचारधारा वाली है, तो बेटा क्यों नहीं?, फातिमा और उदय के बीच प्यार और दोस्ती वाला एंगल क्यों रखा गया है?

    अपने अंदाज में लौटे आयुष्मान खुराना

    आयुष्मान अपने चिर-परिचित अंदाज में हैं। हंसाते हुए मुद्दों पर बात करना उनकी विशेषता है। वह उसमें कमाल कर जाते हैं। शेफाली की मेहनत गंभीर और जिम्मेदार डॉक्टर की भूमिका में नजर आती है। फातिमा की भूमिका में जो भी रकुल प्रीत के पास आया उन्होंने उसे निभाने की कोशिश की है। मां की भूमिका में शाबी कई शेड्स सहजता से दिखा पाई हैं। न्यूटन... के अलावा अमित त्रिवेदी का कोई भी गाना छाप नहीं छोड़ता है।

    फिल्म– डॉक्टर जी

    मुख्य कलाकार– आयुष्मान खुराना, रकुल प्रीत सिंह, शेफाली शाह, शिबा चड्ढा, इंद्रनील सेनगुप्ता, अभय मिश्र

    निर्देशक– अनुभूति कश्यप

    अवधि– 125 मिनट

    रेटिंग– दो स्टार