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Blind Review: थ्रिलर फिल्म में रोमांच ही ना हो तो फिर देखेंगे क्या? पढ़िए- कैसी है सोनम कपूर की 'ब्लाइंड'!

Blind Movie Review ब्लाइंड जियो सिनेमा पर स्ट्रीम कर दी गयी है। सोनम कपूर की फिल्म का निर्देशन शोम मखीजा ने किया है। पूरब कोहली और विनय पाठक प्रमुख किरदारों में हैं। ब्लाइंड थ्रिलर फिल्म है जिसकी कहानी स्कॉटलैंड में स्थापित की गयी है। थ्रिलर फिल्मों के सामने सबसे बड़ा चैलेंज पूरी फिल्म में रोमांच को बनाये रखना ही होता है।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthPublished: Fri, 07 Jul 2023 11:37 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jul 2023 11:37 AM (IST)
Blind Movie Review Staring Sonam Kapoor Purab Kohli Vinay Pathak. Photo- Instagram

प्रियंका सिंह, मुंबई। विदेशी कहानियों का भारतीय रूपांतरण करने में हिंदी सिनेमा के फिल्ममेकर्स की हमेशा से रुचि रही है। पिछले कुछ अर्से में लाल सिंह चड्ढा, बदला, लूप लपेटा समेत कई विदेशी फिल्मों के भारतीय संस्करण आये हैं। अब साल 2011 में प्रदर्शित कोरियन फिल्म ब्लाइंड के भारतीय संस्करण का निर्देशन शोम मखीजा ने किया है।

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क्या है ब्लाइंड की कहानी?

कहानी शुरू होती है स्कॉटलैंड से। पुलिस अफसर जिया सिंह (सोनम कपूर) अपने भाई एड्रियन (दानेश रजवी) को क्लब से वापस लेकर आती है, क्योंकि उसकी परीक्षाएं हैं। अनाथ एड्रियन और जिया को मरिया (लिलिट दुबे) ने गोद लिया था। एड्रियन रैपर बनना चाहता है। वह क्लब वापस जाना चाहता है, लेकिन जिया उसके हाथ हथकड़ी से बांध देती है।

हथकड़ी की चाभी लेने के लिए कार में दोनों में झड़प होती है और एक्सीडेंट हो जाता है। जिया इस एक्सीडेंट में एड्रियन और अपनी आंखें खो देती है। वह अकेले अपनी डॉग के साथ रहती है। एक दिन मां के घर से लौटते वक्त उसे देर हो जाती है। वह टैक्सी का इंतजार करती है।

पेशे से डॉक्टर व्यक्ति (पूरब कोहली) अपनी कार रोकता है, यह कहकर कि वो टैक्सी है। कार में बैठने के बाद सोनम को लगता है कि टैक्सी की डिक्की में कोई है। दोनों में छोटी सी झड़प होती है और वह भाग जाता है। सोनम को शक है कि जो लड़कियां शहर से गायब हो रही हैं, उसमें उसी टैक्सी ड्राइवर का हाथ है।

पुलिस अधिकारी पृथ्वी खन्ना (विनय पाठक) को केस सौंपा जाता है। गायब लड़की का चश्मदीद निखिल सराफ (शुभम सराफ) भी इस केस से जुड़ जाता है। इससे आगे की कहानी बताना सही नहीं होगा।

कैसा है स्क्रीनप्ले और अभिनय?

फिल्म का लेखन भी शोम ने ही किया है। कहानी कई स्तर पर कमजोर है। स्क्रीनप्ले भी कई जगह बिखरा हुआ है। कहने को फिल्म का जॉनर क्राइम थ्रिलर है, लेकिन थ्रिल यानी रोमांच गायब है। कहानी की शुरुआत में अपराधी का खुलासा कर दिया गया है। ऐसे में उसे दिलचस्प बनाए रखने की शोम पर बड़ी जिम्मेदारी थी।

पांच से छह किरदारों के बीच ही कहानी घूमती है, उसके बावजूद शोम किसी भी किरदार को स्थापित नहीं कर पाए। लड़कियों को अगवा करने वाला शख्स ऐसा क्यों कर रहा है? वह बार-बार अपनी मां का नाम क्यों लेता है? वह अपराधिक प्रवृत्ति वाला क्यों है? लड़कियों से उसे नफरत क्यों है? इन सवालों का कोई जिक्र कहानी में नहीं है।

निखिल की पारिवारिक पृष्ठभूमि स्पष्ट न होना अखरता है। कहानी आज के दौर में सेट है। ऐसे में स्कॉटलैंड जहां कैमरे चप्पे-चप्पे पर लगे होते हैं, वहां से अपराधी का आसानी से बचकर निकल जाना पचता नहीं है। विश्वविख्यात स्कॉटलैंड पुलिस केवल एक नेत्रहीन लड़की और युवा लड़के पर क्यों भरोसा कर रही है, यह स्पष्ट नहीं है।

फिल्म की शूटिंग ज्यादातर रात में ही हुई है। कई बार ऐसे दृश्य इतने डार्क हो जाते हैं कि समझ ही नहीं आता कि स्क्रीन पर चल क्या रहा है। पर फिल्म के सिनेमैटोग्राफर गाइरिक सरकार की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने वह डार्कनेस महसूस नहीं होने दी।

फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर थ्रिल पैदा नहीं करता है। अपने भाई की मौत का अपराधबोध मन में लिए नेत्रहीन जिया की भूमिका में सोनम कपूर विश्वसनीय लगती हैं। पूरब कोहली नेगेटिव भूमिका में अभिनय के नए आयाम स्थापित करते हैं। विनय पाठक पात्र के दायरे में रहकर काम करते हैं। शुभम सराफ, लिलिट दुबे और दानेश रजवी के हिस्से खास सीन नहीं आए हैं।

मुख्य कलाकार: सोनम कपूर, पूरब कोहली, विनय पाठक, लिलिट दुबे, दानेश रजवी, शुभम सराफ

निर्देशक: शोम मखीजा

अवधि: 129 मिनट

प्लेटफार्म: जिओ सिनेमा

रेटिंग: दो


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