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    Bhool Bhulaiyaa 3 Review: 'हे हरि राम ये क्या बना दिया,' दीवाली पर फुस्स हुआ 'भूल भुलैया 3' का बम

    Updated: Fri, 01 Nov 2024 05:59 PM (IST)

    Bhool Bhulaiyaa 3 Movie Review निर्देशक अनीस बज्मी और एक्टर कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) की हॉरर कॉमेडी फिल्म भूल भुलैया 3 सिनेमाघरों में एंट्री मार चुकी है। बीते 2 साल से फैंस इसकी रिलीज का इंतजार कर रहे थे। अब उनका ये इंतजार कारगार साबित हुआ है या नहीं। उसका अनुमान आप भूल भुलैया 3 के फुल मूवी रिव्यू को पढ़कर लगा सकते हैं।

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    यहां पढ़ें भूल भुलैया 3 का रिव्यू (Photo Credit-Jagran)

     एंटरटेनमेंट डेस्क, मुंबई। हॉरर कामेडी फिल्म के कलेक्शन के मामले में स्त्री 2 (Stree 2) ने छह सौ करोड़ से ज्यादा की कमाई करके इतिहास रच दिया है। ऐसे में उसके सामने टिकने के लिए इस जॉनर की फिल्मों को कमर कसने की जरुरत थी। भूल भुलैया 3 (Bhool Bhulaiyaa 3 Review) इस मामले में भूली भटकी साबित हुई। साल 2007 में जब प्रियदर्शन ने भूल भुलैया के जरिए हारर कॉमेडी का जॉनर दर्शकों को दिया था, तो उन्हें भी नहीं पता था कि आगे चलकर इस लीग में फिल्में बनाना आसान नहीं होगा। कल्ट फिल्मों को बनाने में मेहनत लगती है, लेकिन खराब करने में नहीं।

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    कैसी भूल भुलैया 3 की कहानी?

    रूह बाबा और दो-दो मंजुलिका मिलकर स्त्री 2 का मुकाबला नहीं कर पाए। रूह बाबा उर्फ रूहान (कार्तिक आर्यन) का भूतों का पकड़ने का ढोंग करना जारी है। राजघराने से ताल्लुक रखने वाली मीरा (तृप्ति डिमरी) और उसके मामा (राजेश कुमार) रूहान को कहते हैं कि वो उनके साथ रक्त घाट चले, इसके लिए वह उसे एक करोड़ रूपये देंगे। रक्त घाट की हवेली के एक कमरे में मंजुलिका का भूत कैद है।

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    200 साल पहले जब उसे कैद किया गया था, तब भविष्यवाणी की गई थी कि उसी राजघराने से कोई पुर्नजन्म लेकर दरवाजा खोलकर दुर्गाष्टमी के दिन उसका खात्मा करेगा। रूह बाबा की शक्ल उस वक्त के राजकुमार देवेद्र नाथ से मिलती है। राजपुरोहित (मनीष वाधवा) का मानना है कि राजकुमार का पुनर्जन्म हुआ है। खैर, मंजुलिका उर्फ मल्लिका (विद्या बालन) के बाद कहानी में अंजोलिका उर्फ मंदिरा (माधुरी दीक्षित) की भी एंट्री होती है। फिर कहानी के क्लाइमेक्स में जो ट्विस्ट आता है, वह आपका सिर चकरा देगा।

    डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले ने बिगाड़ा काम

    क्लाइमेक्स देखने के बाद जब आप पीछे जाकर चीजों को जोड़ना चाहेंगे कि मंजुलिका जो कर रही थी, वो कैसे और क्यों कर रही थी, तो हर सवाल के जवाब नहीं मिलेंगे, जैसे जब खुफिया दरवाजे के पीछे कैद आत्मा बाहर निकली ही नहीं, तो मल्लिका का निशाना इतना सटीक कैसे लगा या अंत में मंजुलिका उर्फ मल्लिका के हाथों में जब रूह बाबा की गर्दन होती है और वह दिव्य तेल से घेरा बनाकर जब वह आग लगा देता है, तो उसकी आत्मा बाहर मौजूद अंजोलिका उर्फ मंदिरा के भीतर कैसे आती है।

    फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले और संवाद लिखने वाले आकाश कौशिक की कोशिश अच्छी थी, लेकिन कई जगहों पर बिना लॉजिक के सीन और कॉमेडी ने सारा मजा किरकिरा कर दिया। ट्रेलर में जितने जोक्स दिखाए थे, मजाल है कि उसके अलावा कोई और जोक फिल्म में हो। जॉनर को ध्यान में रखकर हंसने और डरने की बड़ी कोशिशें की, लेकिन सारी कोशिशें नाकाम साबित हुई।

    अनीस बज्मी का निर्देशन भूल भुलैया 3 से कमजोर साबित हुआ। कार्तिक और तृप्ति के बीच बिना वजह का रोमांस और गाना कहानी को और खराब करने में पेट्रोल का काम कर रहा था। आमी जे तोमार... और हरे राम हरे राम... इन दो गानों के भरोसे ही यह फ्रेंचाइज भी रही। नए गानों की भारी कमी महसूस हुई।

    कलाकारों की कैसी रही एक्टिंग

    अभिनय की बात करें, तो कार्तिक आर्यन अपने चिर-परिचित अंदाज में थे। कहीं-कहीं वह प्यार के पंचनामा वाले जोन में भी चले गए। हालांकि क्लाइमेक्स में वह चौंकाते हैं। 17 साल बाद मोजोंलिका की भूमिका में लौटी विद्या बालन को डर था कि कहीं यह रोल मूल फिल्म जैसा आइकोनिक न हुआ, तो क्या होगा। उनका डर सही था। माधुरी दीक्षित अपने अनुभव और नृत्य से फिल्म को संभालती दिखाई देती हैं।

    विद्या और माधुरी का डांस बर्बाद होते टिकट के पैसों को थोड़ा बहुत वसूलने का धैर्य देती है। छोटे पंडित के रोल में राजपाल यादव निराश करते हैं। फिल्म में शाह रुख खान की फिल्म जवान के रोल में उनका आना कोई हास्य पैदा नहीं करता है।

    अच्छी अभिनेत्री होने के बावजूद तृप्ति डिमरी केवल शोपीस साबित होती है। बार्डर के गाने संदेशे आते हैं... का प्रयोग जिस तरह से किया गया है, उसे देखकर दुख होता है। जरुरत से ज्यादा मंहगे टिकटों के दाम बुरी फिल्म को देखने का दुख और बढ़ा देते हैं।

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