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    AP Dhillon First Of A Kind Review: गुरदासपुर से वेंकुवर आइलैंड तक, प्रेरणादायी है एपी ढिल्लों का सुरीला सफर

    By Manoj VashisthEdited By: Manoj Vashisth
    Updated: Fri, 18 Aug 2023 02:14 PM (IST)

    AP Dhillon First Of A Kind Review एप ढिल्लों डॉक्यु सीरीज में सिंगर ने कई ब्लॉकबस्टर गीत अपने करियर में दिये हैं। डॉक्यू सीरीज एपी की निजी जिंदगी और संबंधों के साथ संगीत के सफर को दिखाती है। 2022 में स्पोरिटफाई पर उनके गाने खूब देखे गये थे। डॉक्यु सीरीज काफी दिलचस्प है और दर्शकोे के सामने एक नया नजरिया पेश करती ै।

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    एपी ढिल्लों की डॉक्यु सीरीज प्राइम वीडियो पर आ गयी है। फोटो- प्राइम टीम

    नई दिल्ली, जेएनएन। पंजाब के पिंड (गांव) से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति वाले गायकों और कलाकारों की लिस्ट काफी लम्बी है। इनमें कुछ की कहानी सबको पता है, मगर कामयाबी ऐसी हैं, जिसकी कहानी लोग नहीं जानते।

    ऐसी ही एक दास्तां है पंजाबी रैपर एपी ढिल्लों की, जो कुछ साल पहले कनाडा गये और वहां रैपर के रूप में जबरदस्त शोहरत हासिल की। एपी की कहानी एक डॉक्युमेंट्री सीरीज की सूरत में सबके सामने आयी है, जो प्राइम वीडियो पर शुक्रवार को रिलीज हो गयी।

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    चार एपिसोड्स की डॉक्यु सीरीज दिलचस्प है और एपी के पंजाब के गुरदासपुर जिले से कनाडा के वेंकुवर तक के सफर को दिखाती है। गायकी के करियर की शुरुआत, संघर्ष, दोस्तों का साथ, परिवार के जज्बात, सभी पड़ावों और भावनाओं को समेटा गया है।

    डॉक्यु सीरीज धाराप्रवाह है और उस दर्शक की दिलचस्पी भी बनाकर रखती है, जो एपी के बारे में ज्यादा नहीं जानता या रैप से ज्यादा सरोकार नहीं है। 

    ऐसे हुआ संगीत के साथ याराना

    'एपी ढिल्लों- फर्स्ट ऑफ अ काइंड' की शुरुआत में दिखाया गया है कि पंजाब के गुरदासपुर जिले का रहने वाला अमृत पिता के कहने पर कनाडा चला जाता है। वहां, वेंकुवर आइलैंड पर रहने लगता है। संगीत का शौक बचपन से था।

    पिता सूफी संगीत के शौकीन हैं, जिसके चलते उसकी दिलचस्पी भी संगीत में होने लगती है। पढ़ाई-लिखाई में उसे मजा नहीं आता। वेंकुवर में कुछ लोग उससे जुड़ते हैं और फिर शुरू होता है ऐसा सफर कि 2022 में एपी स्पोटिफाई पर सबसे ज्यादा सुना जाने वाला आर्टिस्ट बन जाता है। 

    गैराज में म्यूजिक सेटअप लगाकर पहला गाना फेक बनाया तो देखते ही देखते उसे 10 हजार से ज्यादा व्यूज मिल गये। इससे एपी और टीम का हौसला बढ़ा। 

    लगभग आधे घंटे के चार एपिसोड्स में बंटी कहानी में एपी के पंजाब और वेंकुवर घरों के ओरिजिनल फुटेज का इस्तेमाल किया गया है। कहानी एपी की अपनी बाइट्स, परिजनों और दोस्तों के इंटरव्यूज के जरिए आगे बढ़ती है।

    निर्देशक जय अहमद ने बीच-बीच में फाइल और रिक्रिएटेड फुटेज का बेहतरीन इस्तेमाल किया है, जिससे डॉक्यु सीरीज में एकरूपता नहीं रहती है और दर्शक की दिलचस्पी बनी रहती है। उसे एपी की निजी जिंदगी के साथ प्रोफेशनल लाइफ के बारे में दिलचस्प जानकारियां मिलती हैं।

    कहानी में पिरोये एपी के गीत  

    एपी को वेंकुवर में भाषाई दिक्कतों के साथ जीवनयापन करने के लिए तरह-तरह के काम करने पड़ते हैं। डॉक्यु सीरीज मुख्य रूप से इस बात पर फोकस करती है कि किस तरह उन्होंने अपनी टीम बनायी और लोग कैसे उनसे प्रभावित होकर जुड़ते चले गये। एपी के वोकेलिस्ट गुरिंदर गिल, गीतकार-निर्माता शिंडा कहलों और निर्माता जी माइनर के इंटरव्यूज दिखाये गये हैं। 

    ढिल्लों के गीतों को शो में इस तरह पिरोया गया है कि दिलचस्पी बनी रहती है। सिद्धू मूसेवाला को श्रद्धांजलि सीरीज की सजीदगी को बढ़ाता है। सीरीज में कुछ जानकारियां ऐसी दी गयी हैं, जो चौंकाती हैं। 

    • एपिसोड-1: ब्राउन मुंडे- 33 मिनट
    • एपिसोड-2: अगेंस्ट ऑल ऑड्स- 27 मिनट
    • एपिसोड-3: टेकओवर- 31 मिनट
    • एपिसोड-4: फाइनल थॉट्स- 35 मिनट

    रेटिंग: 3 स्टार