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    फिल्म रिव्यू: एबीसीडी 2 (2.5 स्टार)

    By Monika SharmaEdited By:
    Updated: Fri, 19 Jun 2015 01:09 PM (IST)

    रैमो डिसूजा की फिल्म ‘एबीसीडी 2’ में डांस है, जोश है, देशभक्ति और अभिमान भी है, वंदे मातरम है, थोड़ा रोमांस भी है...फिल्मों में इनसे ही अलग-अलग संतुष्ट होना पड़ेगा। दृश्ये और प्रसंग के हिसाब से इन भाव और भावनाओं से मनोरंजन होता है। कमी रह गई है तो बस

    अजय ब्रह्मात्मज
    प्रमुख कलाकार: वरुण धवन, श्रद्धा कपूर, प्रभु देवा
    निर्देशक: रैमो डिसूजा
    संगीतकार निर्देशक: सचिन-जिगर
    स्टार: 2.5

    रैमो डिसूजा की फिल्म ‘एबीसीडी 2’ में डांस है, जोश है, देशभक्ति और अभिमान भी है, वंदे मातरम है, थोड़ा रोमांस भी है...फिल्मों में इनसे ही अलग-अलग संतुष्ट होना पड़ेगा। दृश्ये और प्रसंग के हिसाब से इन भाव और भावनाओं से मनोरंजन होता है। कमी रह गई है तो बस एक उपयुक्त कहानी की। फिल्म सच्ची कहानी पर आधारित है तो कुछ सच्चाई वहां से ले लेनी थी। कहानी के अभाव में यह फिल्म किसी रियलिटी शो का आभास देती है। मुश्किल स्टेप के अच्छेे डांस सिक्वेंस हैं। डांस सिक्वेंस में वरुण धवन और श्रद्धा कपूर दोनों सुरु और विन्नी के किरदार में अपनी लगन से मुग्ध करते हैं। कहानी के अभाव में उनके व्यक्तिगत प्रयास का प्रभाव कम हो जाता है। पास बैठे युवा दर्शक की टिप्पणी थी कि इन दिनों यूट्यूब पर ऐसे डांस देखे जा सकते हैं। मुझे डांस के साथ कहानी भी दिखाओ।

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    सुरु और विन्नी मुंबई के उपनगरीय इलाके के युवक हैं। डांस के दीवाने सुरु और विन्नी का एक ग्रुप है। वे स्थानीय स्तुर पर ‘हम किसी से कम नहीं’ कंपीटिशन में हिस्सा लेते हैं। नकल के आरोप में वहां उनकी छंटाई हो जाती है। उसकी वजह से जगहंसाई भी होती है। इस तौहीन के बावजूद उनका जोश ठंडा नहीं होता। वे मशहूर डांसर विष्णु को ट्रेनिंग के लिए राजी करते हैं (विष्णु सर को राजी करने के दृश्य में दोहराव से फिल्म खिंचती है। विष्णु सर अपने फ्लैट में आते समय एक खास जगह पर ही लड़खड़ाते हैं। हंसे नहीं, शायद कैमरे के एंगल से वह सही जगह हो)। बहरहाल, विषणु सर राजी तो होते हैं, लेकिन उनका कुछ और गेम प्लान है। फिल्म में आगे वह जाहिर होता है, फिर भी ड्रामा नहीं बन पाता। ‘एबीसीडी 2’ में ड्रामा की कमी है। इस कमी की वजह से ही सुरु और विन्नी का रोमांस भी नहीं उभर पाता। नतीजतन दोनों के बीच का रोमांटिक सॉन्ग अचानक और गैरजरूरी लगता है।

    प्रभु देवा फिल्मों के बेहतरीन डांसर हैं। बतौर निर्देशक उनकी कुछ फिल्में सफल भी रही हैं। मतलब वे एक्टरों से अभिनय वगैरह भी करवा लेते हैं, किंतु खुद अभिनय करते समय वे निराश करते हैं। उनके लिए कुछ नाटकीय दृश्य रचे भी गए है, लेकिन वे उसमें परफार्म नहीं कर सके हैं। डांस के गुरू के तौर उन्हें कुछ सीन मिल सकते थे। वरुण धवन और श्रद्धा कपूर ने मुश्किल स्टेप भी सहज तरीके से अपनाए हैं। ऐसा नहीं लगता कि वे मेहनत कर रहे हैं। एक्टर दृश्यों को एंजॉय करें तो इफेक्ट गहरा होता है। दोनों अभी दो-तीन फिल्मो ही पुराने हैं। दिख रहा है कि वे हर फिल्म के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पर्दे पर लगातार दिखने से स्वीकृति बढ़ती है और परफार्मेंस पसंद आ जाए तो स्टारडम में इजाफा होता है। सुरु और विन्नी की टीम के अन्य सदस्य भी डांस के दृश्यों में उचित योगदान करते हैं। अपनी पहली फिल्म ‘वेलकम टू कराची’ में निराश कर चुकी लॉरेन गॉटलिब ‘एबीसीडी 2’ में जंचती हैं। उनका डांस सिक्वेंस नयनाभिरामी (आई कैचिंग) है।

    रैमो डिसूजा ने फिल्मा में भव्यता रखी है। डांस कंपीटिशन के सेट चकमदार होने के साथ ही आकर्षक हैं। डांस के स्टेप्स नए और प्रभावशाली हैं। यहां तक कि विदेशी टीमों के नृत्यों पर भी पूरा ध्यान दिया गया है। कमी रह गई है सिर्फ कहानी की, जिसका जिक्र पहले भी किया गया।

    अवधि- 154 मिनट

    abrahmatmaj@mbi.jagran.com

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