कब और कहां बना था भारत का पहला सिनेमा हॉल? इस शख्स ने रखी थी नींव; पढ़ें पूरा इतिहास
हाल फिलहाल में आपने कौन सी फिल्म देखी है? इस सवाल का जवाब हर किसी के पास होगा। मगर क्या आपने कभी सोचा है भारत का वो कौन-सा सिनेमा हॉल होगा जहां फिल्म देखी गई होगी। अगर आप नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इस सवाल का जवाब बताने वाले हैं। आइए जानते हैं पहले सिनेमाघर का इतिहास।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। First Theatre Built In India: ओटीटी के इस जमाने में व्यक्ति हफ्ते में कभी ना कभी कोई फिल्म या सीरिज देख ही लेता है। मगर सिनेमाघरों से शुरू हुए इस सिलसिले के इतिहास के बारे में आप कितना जानते हैं? भारत में फिल्मों का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश का पहला सिनेमा थिएटर कहां और कब बना था? चलिए आपको बताते हैं इस सिनेमा हॉल के बारे में।
भारत का पहला सिनेमा हॉल
अक्सर जब फिल्मों की बात होती है तो लोगो को लगता है कि सिनेमा का इतिहास मुंबई से जुड़ा हुआ है। मगर आपको बता दें कि भारत के सिनेमा का इतिहास कोलकाता से जुड़ा हुआ है। जी हां, कोलकाता में बना 'चैपलिन सिनेमा', जिसे पहले 'एल्फिन्स्टन पिक्चर पैलेस' के नाम से जाना जाता था, भारत का पहला सिनेमा थिएटर था। इसे 1907 में जमशेदजी फ्रामजी मदान ने बनवाया था। उस समय सिनेमा देखना एक नया और अनोखा अनुभव था, और यह थिएटर लोगों के लिए बड़ा आकर्षण केंद्र बन गया।
Photo Credit- X
ये भी पढ़ें- Chandrakanta में इस एक्ट्रेस ने निभाया था प्रिंसेस चंद्रकांता का किरदार, 26 साल बाद आज कहां हैं गुम?
कौन थे फिल्म प्रोडक्शन के पिता?
जमशेदजी फ्रामजी मदान को भारत में फिल्म प्रोडक्शन का पिता कहा जाता है। उन्होंने न सिर्फ पहला थिएटर बनवाया, बल्कि 'मदन थिएटर्स' नाम से भारत की पहली सिनेमा चेन भी शुरू की। चैपलिन सिनेमा कोलकाता के 5/1, चौरंगी प्लेस पर बना था। जमशेदजी की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। वह 'एल्फिन्स्टन ड्रामा क्लब' में एक छोटे से हेल्पर के तौर पर काम शुरू करते थे।
Photo Credit- Wikipedia
यह क्लब बाद में बहुत मशहूर हुआ और दुनियाभर में अपने शो दिखाए। बाद में जमशेदजी ने कोलकाता में बसने का फैसला किया। उन्होंने मशहूर 'कोरिंथियन हॉल' ड्रामा थिएटर को खरीद लिया और 1902 में मैदान इलाके में बायोस्कोप शो शुरू किए। फिर 1907 में उन्होंने 'एल्फिन्स्टन पिक्चर पैलेस' बनाया।
हॉलीवुड फिल्मों के कारण हुआ फेमस
बाद में इस थिएटर का नाम बदलकर 'मिनर्वा' कर दिया गया। यह हॉलीवुड फिल्में दिखाने के लिए बहुत मशहूर हुआ। लेकिन समय के साथ देश में राजनीतिक उथल-पुथल और अशांति बढ़ने से थिएटर को नुकसान हुआ। इसे बचाने के लिए इसका नाम मशहूर अभिनेता चार्ली चैपलिन के नाम पर 'चैपलिन सिनेमा' रखा गया। फिर भी, यह थिएटर ज्यादा दिन नहीं चल सका और 2003 में इसे तोड़ दिया गया।
'दिल से' और डिजिटल कनेक्शन
सिनेमा के इतिहास में एक और खास बात यह है कि भारत में पहली डिजिटल फिल्म 'दिल से' 1999 में दिखाई गई थी। उस समय फिल्में रील पर चलती थीं, जो काफी महंगी होती थीं। एक 2 घंटे की फिल्म के लिए रील का खर्चा करीब 50 लाख रुपये तक पहुंच जाता था। फिल्म को बांटने में भी 5 लाख रुपये और लगते थे। इस तरह सिनेमा का इतिहास हमें पुराने दिनों की याद दिलाता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।