फिल्मों और दर्शकों के बीच ब्रिज बने ये फेमस सिनेमाघर, टिकट कटाने से पहले एक बार जान लें इतिहास
सिनेमाघर के बिना भारतीय सिनेमा अधूरा है। फिल्मों को दर्शकों तक पहुंचाने का काम किसी ने आसान किया है तो वो हमारे थिएटर्स ही हैं। आज हम आपको भारत के उन मशहूर सिनेमाघरों के बारे में बताने वाले हैं जिनसे हिंदी सिनेमा ने ऑडियंस के बीच अपनी अलग जगह और पहचान बनाई। इस लिस्ट में कलकत्ता का मशहूर सिनेमाघर से लेकर पुरानी दिल्ली में स्थित थिएटर का नाम शामिल है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। फिल्में बनना, उनका रिलीज होना और फिर थिएटर में जाकर दर्शकों का एंजॉय करना। मनोरंजन का साधन आज भले ही इतने आसान हो गए हो लेकिन यहां तक आने में सिनेमाघरों का बहुत बड़ा योगदान है। फिल्मों के बनने के बाद उसको सफलता दिलाने में थिएटर्स ही अहम भूमिका निभाते आए हैं।
जब इंटरनेट, टीवी और मोबाइल जैसी सुविधा नहीं थी तो लोग खुद को एंटरटेन करने के लिए रंगमंच और थिएटर शोज का सहारा लेते थे लेकिन अब इसकी लोकप्रियता काफी कम हो गई है। आज हम आपको भारत के कुछ चुनिंदा थिएटर्स के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा को आकार देने में अहम किरदार निभाया है।
1907 में बना था पहला सिनेमा हॉल
साल 1907 में जमशेदजी राम जी मदन ने एलफिंस्टन पिक्चर पैलेस की स्थापना की थी। इस थिएटर में उत्तम कुमार के पिता प्रोजेक्टर चलाने काम किया करते थे। बाद में इस पैलेस का नाम बदलकर मिनर्वा सिनेमा कर दिया गया था।
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कलकत्ता नगर निगम के जरिए इसे ओवरहाल करने और 1980 के दशक में चैपलिन में नामकरण किए जाने से पहले मूवी थिएटर की स्थिति खराब हो गई थी। कई सालों तक नॉन-फंक्शनल रहने के बाद साल 2013 में नगर निगम के जरिए थिएटर को ध्वस्त कर दिया गया था।
कैपिटल सिनेमा
मुंबई में के कैपिटल सिनेमा के बारे में आप में से कई लोग जानते होंगे। सिनेमा हॉल को साल 1879 ने बनवाया गया था। यह थिएटर मुंबई के सबसे पुराने थिएटरों में से एक है। एक समय में यह प्ले हाउस के रूप में काफी मशहूर हुआ करता था। 1879 से लेकर अब तक इसे चलाया जा रहा है और फिलहाल यह थिएटर बी-ग्रेड हिंदी फिल्मों के लिए एक फेमस प्लेस बना हुआ है।
रॉयल थिएटर
रॉयल थिएटर अपने स्टेज शो और डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग के लिए आज भी कई लोगों के बीच चर्चा का विषय रहता है। इसे 1911 में बनवाया गया था, लेकिन 1930 के आसपास इस थिएटर में बॉलीवुड फिल्मों ने अपनी खास जगह बनाई। थिएटर में एक साथ लगभग 600 लोग बैठकर फिल्म देख सकते हैं। यह भारत की सबसे पुरानी टॉकीज में से एक है, जिसे अब तक चलाया जा रहा है।
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प्रिया सिनेमा
कोलकाता में स्थित प्रिया सिनेमा का इतिहास भी काफी पुराना है। ये मशहूर सिंगल स्क्रीन थिएटर है। 1959 में इसकी शुरुआत की गई थी और यह भारत का पहला ऐसा थिएटर था, जहां कम्प्यूटराईज टिकट बुकिंग और ऑनलाइन टिकट बुकिंग होनी शुरू हुई थी। यहां फिल्मों को दिखाने के अलावा स्टेज शो और म्यूजिकल प्रोग्राम भी होते हैं, जिनके लिए यह काफी फेमस है।
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रीगल सिनेमा
आप कनॉट प्लेस में कई बार गए होंगे और जाते आते रहते होंगे। यहां पर एक फेमस थिएटर हुआ करता था जिसका नाम रीगल सिनेमा था। रीगल सिनेमा दिल्ली के सिने प्रेमियों के साथ-साथ बॉलीवुड सितारों का भी चहेता हॉल हुआ करता था। बॉम्बे से आने वाले ज्यादातर सितारे दिल्ली के रीगल में जरूर हाजिरी लगाया करते थे।
खासकर आर.के बैनर के फिल्मों का इससे खास लगाव रहा। खुद राज कपूर भी अपनी फिल्मों का प्रीमियर रीगल सिनेमा हॉल में ही करते थे। रीगल सिनेमा पर आर.के. बैनर तले बनी लगभग सभी फिल्में रिलीज हुई और कई फिल्मों ने यहां सिल्वर जुबली का जश्न भी मनाया। रीगल के पर्दों में बॉलीवुड की अनेकों प्रेम कहानियां कैद हैं।
डिलाइट सिनेमा
दिल्ली के आसफ अली रोड पर स्थित डिलाइट सिनेमा हॉल का निर्माण साल 1955 में किया गया था। कहा जाता है कि यह देश का पहला सिंगल स्क्रीन थिएटर था, लेकिन इसे 2006 में रेनोवेट करके डबल स्क्रीन में बदल दिया गया।
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हालांकि अब भी यहां पर सिंगल स्क्रीन पर फिल्म को देखने का मजा उठा सकते हैं। इसको एक समय में दिल्ली की सबसे ऊंची इमारत भी माना जाता था। इस मल्टीप्लेक्स के दौर में अभी भी यह सिनेमा हॉल काफी फेमस है।
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